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सिर्फ शक होता था तो नक्सली सिर काट देते थे: नक्सलमुक्त बड़ेसट्‌टी गांव, जहां सरकारी भवन भी नक्सलियों की परमिशन से बनते थे – Sukma News


छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव नक्सल मुक्त हो गया है। इसका जिक्र खुद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने किया है। इस गांव में सिर्फ तीन साल पहले तक दहशत का ऐसा आलम था कि शक पर ही नक्सली गांव वालों का गला काट देते थे। यहां कभी भी सरकारी भवन नहीं बन

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सरकार ने इस गांव से नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने के बाद इसे नक्सलमुक्त घोषित किया और इसके विकास के लिए 1 करोड़ रुपए दिए। इस बात की जानकारी खुद सरपंच को नहीं थी। जब भास्कर की टीम वहां पहुंची, तो सरपंच ने कहा कि ये अभी हमें नहीं पता चला है। अगर ऐसा है तो अच्छा है।

ग्राउंड रिपोर्ट में सबसे पहले जानिए इस गांव के बारे में-

ये केरलापाल एरिया का हेडऑफिस था

ये गांव केरलापाल एरिया का हेडऑफिस जैसा था। गांव से करीब 1 किमी की दूरी पर ही पहाड़ और बेहद घना जंगल है। बड़े कैडर्स के नक्सली इस गांव में लगातार यहां आते थे और मीटिंग्स करते थे।

साल 2000 के बाद धीरे-धीरे नक्सलियों ने इस गांव में अपनी पैठ बनानी शुरू की। साल 2004-05 में सलवा जुडूम के समय ग्रामीणों को यहीं से नक्सल संगठन से जोड़ना शुरू किया। इसके बाद नक्सलियों का पूरे गांव में वर्चस्व हो गया।

ये बैलाडीला पहाड़ है जहां नक्सली छिपने के लिए शरण लेते थे।

गंधार पारा में लेते थे बैठक

फिलहाल ग्रामीण दहशत में खुलकर कैमरे के सामने नहीं आ रहे। कुछ ग्रामीण दबी जुबान यहां के हालात के बारे में बताते हैं। उनका कहना है कि, गांव में गंधार पारा में अक्सर नक्सलियों का जमावड़ा होता था। यहां बड़े लीडर्स पहुंचते थे।

यहीं बैठक लेते थे और जन अदालत लगाते थे। करीब 4 से 5 ग्रामीणों की जन अदालत में हत्या भी हुई है। जो लीडर आते थे उनके पास ऑटोमेटिक वेपंस हुआ करते थे। वेपंस के साथ कई नक्सली पकड़े भी गए हैं।

नक्सलियों ने पंचायत भवन नहीं बनने दिया था, इस कारण इसी पेड़ के नीचे पंचायत लगती है।

स्कूल-अस्पताल भवन तोड़ दिया

नक्सलियों ने 2009 में गांव में बने अस्पताल को तोड़ दिया। स्कूल भवन को IED ब्लास्ट कर उड़ा दिया था। इस स्कूल में गांव के जो बच्चे पढ़ाई करते थे ,उनमें कई बच्चों ने नक्सल दहशत की वजह से पढ़ाई छोड़ दी।

जो पढ़ना चाहते थे, उन्हें परिजन गांवों से दूर स्थित हॉस्टल्स में छोड़ आए। अस्पताल के अभाव में ग्रामीणों को इलाज नहीं मिल पाता था। उन्हें मजबूरन जड़ी-बूटियों का सहारा लेकर रहना पड़ता था।

ग्रामीण महिलाएं राशन दुकान में अपनी बारी का इंतजार करते हुए।

सरपंच को काट डाला था

बड़ेसट्टी गांव के सरपंच को नक्सलियों ने सिर्फ इसलिए काट डाला, क्योंकि वो गांव की सड़क बनवा रहे थे। नक्सलियों ने इसके लिए उन्हें मना किया, लेकिन सड़क बनना शुरू हुआ, तो नक्सलियों ने सरपंच की हत्या कर दी।

सरपंच का परिवार आज भी सदमे में है। परिजन न तो कुछ बोलना चाहते हैं और न ही उस दौर को याद करना चाहते हैं।

कमलू जोगा (पिंक शर्ट) सरपंच हैं, वहीं कमलू दुला पूर्व सरपंच हैं। अब दोनों मिलकर गांव के विकास के बारे में चर्चा करते हैं।

बाजार में आए कारोबारियों का गाड़ियां जला दी थीं

गांव वालों ने बताया कि, बड़ेसट्टी में सुकमा ब्लॉक का सबसे बड़ा बाजार भरता था। आम, इमली, महुआ जैसे वनोपज का यहां भंडार होता था। बाजार से ही नक्सलियों को राशन समेत अन्य जरूरत के सामान बड़ी आसानी से मिल जाते थे।

वहीं कुछ साल पहले बाजार में दुकानें लगाने आए व्यापारियों की करीब 3 गाड़ियों को नक्सलियों ने फूंक दिया था। इसके बाद बाजार भी बंद हो गया था। हालांकि, तीन साल पहले कैंप खुला तो बाजार फिर से शुरू हुआ।

पूर्व सरपंच बोले- पंचायत भवन की मनाही

इस गांव के पूर्व सरपंच कलमू दुला का कहना है कि नक्सली पंचायत भवन नहीं बनने दिए। आज भी गांव की पंचायत इमली पेड़ के नीचे लगती है। यहीं बैठकर गांव के सारे फैसले होते हैं। हालांकि, सरकारी दस्तावेज किसी के घर में रखते हैं।

उन्होंने कहा कि PM आवास और शौचालय बनाने की मनाही थी। इसके लिए नक्सलियों से परमिशन लगती थी या यूं कहें कि निर्माण के लिए NOC लगती थी, लेकिन वे बनाने नहीं देते थे।

पहले और अब की कुछ तस्वीरें

तस्वीर स्कूल और अस्पताल भवन की है जिसे नक्सलियों ने तहस-नहस कर दिया था।

ये विकास की तस्वीर है, अब यहां निर्माण कार्य हो रहे हैं।

अब गांव में PM आवास के तहत घरों का भी निर्माण हो रहा है।

गांव में पहुंचने के लिए सड़क बनाई गई है।

तीन साल पहले हजार जवानों ने घेरा, तो नक्सली बैकफुट पर गए

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले साल दावा किया कि बस्तर को मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त करेंगे, लेकिन इस गांव को नक्सलमक्त करने की तैयारी तीन साल पहले ही शुरू हो गई थी। यहां करीब 3 कंपनी ने अपना कैंप लगाया। इस गांव और आसपास के गांवों में तीन कंपनियों के जवानों ने मूवमेंट शुरू किया, तो नक्सली पीछे हटे। फोर्स के स्थायी रूप से रहने से वहां सड़कें बननी शुरू हुईं। आज गली-गली पक्की हो गई है। स्कूल के भवन का काम चल रहा है।

इन 11 नक्सलियों के सरेंडर के बाद गांव नक्सलमुक्त हो गया है। ये सरेंडर नक्सली अभी पुनर्वास केंद्र में हैं।

बंदूक से नहीं विकास की राह से बदलाव संभव- विजय शर्मा

छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि, ग्रामीण जान चुके हैं कि बंदूक से नहीं विकास की राह से बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ शासन की नक्सलवाद आत्मसमर्पण एवं पीड़ित राहत पुनर्वास नीति 2025, और नक्सली इलवद पंचायत योजना के तहत आज सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव नक्सलवाद के चंगुल से आजाद हो गया है। नक्सल मुक्त होने वाला ये प्रदेश का पहला गांव बन गया है।



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