Homeराज्य-शहरसीएम बोले-MP में तमिल,तेलुगू जैसी भाषाओं में पढ़ाएंगे: कर्मयोगी कार्यशाला में...

सीएम बोले-MP में तमिल,तेलुगू जैसी भाषाओं में पढ़ाएंगे: कर्मयोगी कार्यशाला में कहा- जो छात्र इनमें जाएंगे, विशेष अंक देकर प्रोत्साहित करेंगे – Bhopal News


भोपाल में राजभवन के सभागार में बी ए कर्मयोगी कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस कार्यशाला में राज्यपाल मंगू भाई पटेल, सीएम डॉ मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस अनुपम राजन, कमिश्नर निशांत बरवडे़ मौजूद थे।

.

सीएम ने मप्र में मिशन कर्मयोगी के लिए राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों को शामिल करते हुए एक कमेटी बनाने की घोषणा की। ताकि इसका क्रियान्वयन ठीक प्रकार से हो। सीएम ने कहा- हमने मप्र में 2020 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की लेकिन वर्तमान के दौर में जब भाषा की इस प्रकार की बातें आती हैं तो कोई बात नहीं, जिनको जैसी बातें करना वो राजनीतिक दृष्टि से करते होंगे। लेकिन, हम तो राष्ट्रनीति के आधार पर सोचते हैं।

काम का श्रेय कभी खुद न लें

मुख्यमंत्री ने कहा, “हमारे यहां एक शब्द प्रचलित है—’ऋषि’ और ‘मुनि’। मुनि वे होते हैं, जो एक विशेष मार्ग का संकल्प लेकर अपनी आध्यात्मिक साधना में लीन रहते हैं और गृहस्थ जीवन अपनाने के बजाय एकाकी जीवन जीते हैं। वहीं, ऋषि गृहस्थ होते हुए भी अपना पूरा जीवन समाज को समर्पित कर देते हैं। वे न्यूनतम आवश्यकताओं के साथ जीवन व्यतीत करते हैं और समाज के कल्याण के लिए कार्य करते हैं।

इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए हम विभिन्न रूपों में इनका योगदान देखते हैं—कभी वे वैज्ञानिक के रूप में, कभी आचार्य, तो कभी चिकित्सक के रूप में दिखाई देते हैं। जो भी कार्य करें, उसका श्रेय स्वयं लेने के बजाय समाज और सेवा की भावना को प्राथमिकता दें।”

अपने कर्म का दोष भगवान को न दें सीएम ने कहा- गीता में ये बात समझाने का प्रयास किया गया कि कर्म, अकर्म और विकर्म। कर्म वो जिसने भी जन्म लिया सांस लेना भी कर्म है। सोना भी कर्म है। खाना भी कर्म है। कर्म तो सबके होंगे। हम अपने कुछ भी काम करें और भगवान पर दोष दें कि भगवान को लगता है। भगवान को नहीं लगता, उन्हें लग भी नहीं सकता।

बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय की बात UN के गठन से पहले से कर रहे सीएम ने कहा- हमारे जो भी कर्म, अकर्म हमारे अपने आचरण के आधार पर की जाने वाली गतिविधि से जैसे जल से बर्फ तो बनता है लेकिन बर्फ बनने के बाद जल कहां गया वो पता नहीं चलता। फिर वापस बर्फ पिछलेगी तब जल बनेगा। ये जल और बर्फ के उदाहरण से हमको समझ आएगा। हम अपने-अपने कर्म से जिस स्थान पर जो पहुंच गए। उस काम को उतनी ही ऊर्जा, आनंद के साथ करें।

हमारी खिलाड़ी का किसी कारण से वजन कम-ज्यादा हो जाता है। तो कोई बात नहीं, आगे मेहनत करना। फिर आपको आगे बढ़ाएंगे। ये जो लगातार कर्मयोग की बात कही गई है उसमें अंदर का जो भाव है उसमें निष्काम, निस्वार्थ भाव से हमारे बीच में कर्तव्य, ईमानदारी और निष्ठा के साथ काम करने की कर्मयोग के माध्यम से केवल कर्मचारी वाला भाव नहीं हैं।

काम के आधार पर अपने जीवन को भी सफल करना और उसे राष्ट्र और राज्य के साथ तालमेल करना। इसलिए हमारी संस्कृति केवल स्वार्थ की नहीं हैं। हमारी संस्कृति में उसी प्रकार से देखा गया है जब बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की बात करते हैं तो संयुक्त राष्ट्र संघ अब बना है इसको तो हम प्रारंभ से करते आ रहे हैं। इसी प्रकार से हम विश्व के कल्याण की बात करते रहते हैं।

राज्यपाल बोले- 21वीं सदी भारत की होगी कार्यशाला में राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा- वी ए कर्मयोगी विषय पर राष्ट्र के भविष्य निर्माताओं के बीच चिंतन, ये सही समय पर सही पहल है। शिक्षा स्वास्थ्य वित्तीय समावेशन, नेटवर्किंग, परिवहन सेवाओं का विस्तार, अर्थव्यवस्था की प्रगति और स्टार्ट अप ईको सिस्टम और क्लीन ग्रीन इंडिया ने दुनिया में भारत की नई पहचान और साख बनाई है।

इतिहास साक्षी है कि आज के विकसित देश जापान, जर्मनी, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया चार-पांच दशक पहले ऐसे ही मोड पर आए थे। जहां से उन्होंने एकजुट होकर एकमत प्रयासों से राष्ट्र विकास की नई इबारत लिखी। आज हमारा देश भी उसी मोड़ पर है जहां से हम विकसित भारत का निर्माण कर सकते हैं।

राज्यपाल ने कहा- आज की तकनीकी जिंदगी में मानसिक तनाव और जीवनशैली जन्य रोगों से हमारी कार्य दक्षता और क्षमता पर जो दबाव पड़ रहे हैं उन सबसे कर्मयोग जीवन दर्शन के अभ्यास द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है। आज की दुनिया में कर्मयोगी बनने के लिए काम की प्रकृति चाहे जो भी हो।

व्यक्तिगत लाभ की इच्छा परिणाम सफलता और असफलता की चिंता के बिना लगातार काम करने वाला ही सच्चा कर्मयोगी होता है। कर्मयोग पथ के अभ्यासी को शुरू-शुरू में परिणामों की चिंता, समाज की अपेक्षाएं, मान्यताएं और दैनिक जीवन की व्यस्तताओं में समय की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

तमिलनाडु CM बोले- हिंदी ने 25 भाषाओं को खत्म किया तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन ने गुरुवार को कहा कि जबरन हिंदी थोपने से 100 सालों में 25 नॉर्थ इंडियन भाषाएं खत्म हो गई। स्टालिन ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा – एक अखंड हिंदी पहचान की कोशिश प्राचीन भाषाओं को खत्म कर रही है।

उत्तर प्रदेश और बिहार कभी भी हिंदी क्षेत्र नहीं थे। अब उनकी असली भाषाएं अतीत की निशानी बन गई है। यहां पढ़ें पूरी खबर..



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version