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सोनीपत में धक्के मारकर स्टार्ट की एम्बुलेंस: सरकारी अस्पताल में मरीज लेकर आई, मेंटेनेंस पर हर महीने खर्च होते हैं 10 हजार – Sonipat News


सरकारी एम्बुलेंस को धक्के मारकर स्टार्ट करते हुए

हरियाणा के सोनीपत नागरिक हॉस्पिटल में हेल्थ सेवाओं की हकीकत उस वक्त उजागर हो गई जब एक सरकारी एम्बुलेंस को धक्के मारकर स्टार्ट करना पड़ा। जो वाहन मरीजों की जान बचाने के लिए एक्टिव होने चाहिए, वे खुद ही बदहाली का शिकार हैं। हॉस्पिटल प्रशासन और हेल्थ वि

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मरीजों को समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल पा रही और जो एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, वे मेंटेनेंस की कमी के कारण बीच रास्ते में खराब हो जाती हैं। कई बार तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि एम्बुलेंस को धक्के मारकर स्टार्ट करना पड़ता है। ताजा मामला नागरिक हॉस्पिटल में आज देखने को मिला है।

क्या था मामला

सोनीपत के नागरिक अस्पताल में इलाज के लिए एक मरीज को लाया गया था। मरीज को नागरिक अस्पताल में छोड़ने के बाद एंबुलेंस को नागरिक अस्पताल में खड़ा किया था। जहां दोबारा उसे स्टार्ट करने लगे तो वह स्टार्ट नहीं हुई। जिसके चलते मौके पर कर्मचारियों ने धक्के मार कर उसे स्टार्ट किया।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। पहले भी कई बार मरीज गाड़ी में होने के दौरान भी एंबुलेंस खराब हो चुकी है। हालांकि एंबुलेंस सेवा के जिला नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष गहलावत का कहना है कि एंबुलेंस में कोई खराबी नहीं थी, केवल बंद होने के बाद उसे स्टार्ट करने के लिए धक्के लगाए थे।

बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) को धक्के से चालू करते कर्मचारी

सोनीपत नागरिक हॉस्पिटल में 27 एम्बुलेंस तैनात हैं, जिनमें से 6 खराब पड़ी हैं। इनमें एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (ALS), बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS), पेशेंट ट्रांसपोर्ट (PTA) और किलकारी एम्बुलेंस शामिल हैं।

एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (ALS) एम्बुलेंस: कुल 7, लेकिन सिर्फ 4 चालू, बाकी मरम्मत के लिए भेजी गईं।

बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) एम्बुलेंस: कुल 6, जिनमें से 5 काम कर रही हैं।

पेशेंट ट्रांसपोर्ट (PTA) एम्बुलेंस: कुल 11, जिनमें से सिर्फ 9 चालू स्थिति में हैं।

किलकारी एम्बुलेंस: जिले में 3 हैं। जो गोहाना, सोनीपत और खानपुर में तैनात हैं।

हॉस्पिटल के बाहर खड़ी एम्बुलेंस

प्रति दिन 60-70 कॉल, लेकिन सेवा बदहाल

सोनीपत में एम्बुलेंस सेवा के लिए हर दिन 60 से 70 कॉल आती हैं, यानी महीने में 1800 से 2000 बार मरीजों को एम्बुलेंस की जरूरत पड़ती है। लेकिन खराब हालत में खड़ी एम्बुलेंस मरीजों तक समय पर नहीं पहुंच पातीं, जिससे उनकी जान पर बन आती है। जिले में 108 और 112 नंबर हेल्पलाइन के जरिए एम्बुलेंस सेवा दी जाती है, लेकिन इन नंबरों पर कॉल करने के बावजूद मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।

आईसीयू जैसी सुविधाएं, लेकिन मेंटेनेंस पर सवाल

एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (ALS) एंबुलेंसों को मिनी आईसीयू की तरह तैयार किया गया है। इनमें वेंटिलेटर, ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफीब्रीलेटर (AED), मल्टी-पैरा मॉनिटरिंग सिस्टम जैसी मॉडर्न सुविधाएं होती हैं। लेकिन अक्सर इन वाहनों में उपकरण खराब हो जाते हैं और मरम्मत में लंबा समय लग जाता है।

जब एंबुलेंसों की स्थिति पर अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि, “डीजल इंजन वाली गाड़ी होने के कारण इसमें हवा आ गई थी, इसलिए स्टार्ट करने के लिए धक्का लगाना पड़ा।”

सरकारी एम्बुलेंस सुस्त, प्राइवेट एम्बुलेंस मस्त

सोनीपत नागरिक हॉस्पिटल में सरकारी एम्बुलेंस सेवा लचर है, जबकि प्राइवेट एम्बुलेंस ज्यादा सक्रिय हैं। मरीजों को सरकारी एम्बुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, जिससे वे मजबूरी में मंहगी निजी एम्बुलेंस का सहारा लेते हैं। कई मामलों में एम्बुलेंस मरीज को हॉस्पिटल ले जाते समय रास्ते में ही खराब हो जाती हैं। गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक हो सकती है। समय पर एम्बुलेंस के न मिलने से कई मरीजों की जान पर बन आती है। हेल्थ विभाग का दावा है कि 21 एम्बुलेंस ठीक स्थिति में हैं।

जानकारी के अनुसार, 10 हजार रुपए तक के मेंटेनेंस खर्च को सोनीपत नागरिक हॉस्पिटल वहन करता है, लेकिन अगर खर्च 10 हजार रुपए से अधिक हो तो उसके लिए चंडीगढ़ से अप्रूवल लेनी पड़ती है। अप्रूवल आने में 20 से 25 दिन लग जाते हैं, और इस दौरान एम्बुलेंस गैराज में खड़ी रहती है। इस वजह से अस्पताल में एम्बुलेंस की भारी कमी बनी रहती है।

वहीं डायल 112 से एम्बुलेंस को जोड़ने के बाद, मरीजों की सेवा के लिए अधिक चक्कर लगाने पड़े, जिससे मेंटेनेंस की जरूरत भी बढ़ गई। इसके चलते कई एंबुलेंस मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाने के बजाय गैराज में मेंटेनेंस के लिए खड़ी रहती हैं।

धक्के से चालू करने में लगा काफी समय

इलाज कम, रेफर ज्यादा

सोनीपत नागरिक हॉस्पिटल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी के कारण छोटे से छोटे दुर्घटनाग्रस्त मरीज को भी रोहतक या खानपुर रेफर कर दिया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर दिन 21-22 मरीज रेफर होते हैं।

स्थिति इतनी खराब हो गई है कि एक ही एम्बुलेंस में दो से तीन मरीजों को एक साथ लेटाकर रेफर किया जा रहा है, जिससे मरीजों की तकलीफ और भी बढ़ जाती है।

नई एम्बुलेंस का इंतजार, पुरानी की हालत खराब

सोनीपत में नई एम्बुलेंस का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। पुरानी एंबुलेंसों का या तो मेंटेनेंस नहीं हो रहा या फिर लंबे चक्कर लगाने की वजह से वे जल्दी खराब हो जाती हैं। कई बार तो बीच रास्ते में ही एम्बुलेंस खराब हो जाती है, जिससे मरीजों को गंभीर परेशानी झेलनी पड़ती है।

हेल्थ विभाग की लापरवाही से मरीजों की जान पर खतरा

हेल्थ विभाग और हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही की वजह से मरीजों को समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल रही। मेंटेनेंस में देरी, नई एम्बुलेंस की कमी और अस्पतालों से ज्यादा रेफर किए जाने के कारण मरीजों की स्थिति बदतर होती जा रही है।अब देखना होगा कि सरकार और हेल्थ विभाग इस गंभीर समस्या का समाधान कब तक करते हैं या फिर मरीजों को इसी तरह परेशान होना पड़ेगा।



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