जेल में किताबें लिखने और अपने केस की तैयारी कर वकील को देने वाला था।
गुजरात हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी नारायण साईं की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें साईं ने सूरत की लाजपोर जेल में खुद के लिए कंप्यूटर, मोबाइल और प्रिंटर उपलब्ध कराने के लिए आवेदन किया था। नारायण साईं ने ये चीजें जेल में किताब लिखने के लिए मांगी थीं।
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बता दें, नारायण साईं रेप मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है। जहांगीरपुरा पुलिस स्टेशन में नारायण साईं के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(सी), 377, 354, 344, 357, 342, 323, 504, 506(2), 120बी, 212, 153 और 114 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। जबकि उनके खिलाफ दो अन्य शिकायतें डीसीबी सूरत और हरियाणा में दर्ज की गई हैं।
गंभीर केस के आरोपियों को STD/PCO नहीं दे सकते
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने साईं की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी।
आवेदक ने कहा कि वह एक अच्छा लेखक है। जेल जाने से पहले उन्होंने 19 किताबें लिखीं है। जो ऑनलाइन खूब बिकी। जेल से भी उन्होंने 5 पुस्तकें लिखी हैं। इस प्रकार आरोपी जेल में समय का सदुपयोग कर रहा है। आरोपी कंप्यूटर का खर्च वहन करने को तैयार है। वह जेल में अपने और अपने पिता आसाराम के केस के कागजात तैयार करना चाहता है। जो 50 हजार पेपर्स के बराबर होंगे। इस पर कोर्ट ने कहा, गंभीर केस के आरोपियों को STD/PCO की मदद नहीं दे सकते।
नारायण साईं अपना केस खुद तैयार करके वकील को देना चाहता हैं। वह मोबाइल और कंप्यूटर से भी अपने केस के बारे में अपडेट रह सकते है। नारायण साईं के पिता आशाराम 82 साल के हो गए हैं। जबकि मां 78 साल की हैं। पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, जबकि मां चल-फिर नहीं सकतीं। आवेदक को एसटीडी/पीसीओ प्रदान किया जाना चाहिए। आवेदक अपने वकीलों से बात करने के लिए मोबाइल का उपयोग करना चाहता है।