मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान उस जनहित याचिका को निरस्त कर दिया, जिसके माध्यम से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के राज्य शासन के निर्णय को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने 2021 में दायर इसी जनहित याचिका पर 2023 म
.
यहां 87 का आशय अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व सामान्य वर्ग के लिए निर्धारित कुल आरक्षण के 87 प्रतिशत से है। जबकि 13 का आशय ओबीसी के लिए निर्धारित 27 में से 14 का लाभ दिए जाने के उपरांत शेष 13 प्रतिशत के परिप्रेक्ष्य में पद होल्ड किए जाने से था।
हाईकोर्ट ने 87 : 13 का फॉर्मूला देने वाली जनहित याचिका निरस्त हो चुकी है अत: न केवल 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का बल्कि भर्तियों में 13 प्रतिशत होल्ड पद अन-होल्ड करने का रास्ता भी साफ हो गया है। कुल मिलाकर ओबीसी आरक्षण को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद का भी पटाक्षेप हो गया है।
सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि अभिमत के कारण चार अगस्त, 2023 को हाई कोर्ट ने समस्त भर्तियों में 87:13 का फॉर्मूला लागू किया था। हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य में आरक्षण से संबंधित विवाद को समाप्त करने और भर्ती प्रक्रिया को सुचारु रूप से शुरू करने के लिए एक अहम कदम है। इससे सरकार को आरक्षण नीति के तहत काम करने की स्पष्टता मिलेगी और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही प्रदेश में रुकी हुई सभी भर्तियों को अन-होल्ड करने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार अब ओबीसी आरक्षण के तहत 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करते हुए भर्तियों को तेजी से आगे बढ़ा सकती है। इससे ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ा लाभ मिलेगा, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
यूथ फॉर इक्विलिटी द्वारा दायर याचिका में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आरक्षण संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। लेकिन हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बैंच ने मंगलवार के आदेश में चार अगस्त, 2023 के आदेश को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में रुकी हुई सभी भर्तियों को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले से उन लाखों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, जिनकी भर्तियां कोर्ट के आदेश के चलते होल्ड पर थीं।
हाईकोर्ट ने दिया था अंतरिम आदेश
- चार अगस्त 2023 को हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश के तहत राज्य सरकार को 87:13 का फॉर्मूला लागू करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के बाद प्रदेश की सभी भर्तियां ठप हो गई थीं।
- सरकार ने यह फॉर्मूला महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर तैयार किया था। जिसके तहत 87 प्रतिशत सीटें अनारक्षित और 13 प्रतिशत सीटें ओबीसी के लिए रखी गई थीं।
- इससे 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की मांग करने वाले उम्मीदवारों में आक्रोश था।
- यूथ फॉर इक्विलिटी द्वारा दायर जनहित याचिका में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी।