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हाईवे पर 15 कदम की दूरी पर शराब: भिंड में 80KM घूमा भास्कर रिपोर्टर, 13 दुकानें मिलीं; ढाबों में शराब परोसते कर्मचारी कैमरे में कैद – Bhind News


मध्यप्रदेश के ग्वालियर से उत्तरप्रदेश के इटावा को जोड़ने वाला नेशनल हाईवे-719 को ‘मौत का हाईवे’ तक कह दिया गया है। हादसों का सिलसिला ऐसा है कि थमने का नाम नहीं ले रहा। केवल भिंड जिले के हिस्से में साल 2024 में ही 218 लोगों की जानें गईं।

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हादसों के कारणों को लेकर अब तक कई दावे किए गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि करीब 30% हादसों के पीछे कहीं न कहीं नशा है, हालांकि शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाले हादसों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। हादसों के पीछे नशा है, इसे जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम भिंड जिले से गुजरे 80 किमी लंबे हाईवे पर घूमी।

टीम को हाईवे से लगीं 13 शराब की दुकानें मिलीं। टीम ने खुद हाईवे से इनकी दूरी नापी। कई ढाबों पर खुलेआम शराब परोसना भी कैमरे में कैद हुआ। लोग शराब खरीदकर वहीं खड़े-खड़े या अपनी गाड़ियों में बैठकर पीते भी दिखाई दिए।

इस खतरनाक स्थिति को लेकर स्थानीय संत समाज में भी आक्रोश है। उनकी मांग है कि इन दुकानों को तत्काल बंद किया जाए, ताकि हाईवे को सुरक्षित बनाया जा सके। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…

हाईवे पर 11 से 20 कदम की दूरी नशे की दुकान हाईवे पर शराब दुकानों की पड़ताल करने टीम ने सबसे पहले फूप कस्बे का रुख किया। यहां हाईवे के किनारे दो शराब दुकानें मिलीं। टीम ने नापा तो सड़क से दुकान की दूरी महज 17 कदम थी। यहां सड़क किनारे खड़े होकर शराब पीना आम बात हो गई है।

यहां से टीम भिंड़ पहुंची, जहां इंदिरा गांधी चौराहे पर भी एक शराब की दुकान हाईवे से सिर्फ 11 कदम की दूरी पर मिली। लहार चुंगी और भिंड बायपास पर स्थित दुकानों की दूरी महज 13-14 कदम ही मिली।

भास्कर टीम दिन में फूप और भिंड की दुकानों पर पहुंची। वहीं, मालनपुर, गोहद और मेहगांव की स्थिति देखने रात में निकली। रात में मालनपुर में चौंकाने वाला नजारा दिखा। रात करीब 8 बजे, मालनपुर की तीन शराब दुकानों पर हाईवे से गुजरने वालों की भीड़ नजर आई।

ग्वालियर से भिंड की ओर आने वाले मार्ग पर स्थित पहली दुकान हाईवे से मात्र 18 कदम की दूरी पर थी। वहां लोग खुलेआम शराब पी रहे थे। कुछ दुकान के दाएं-बाएं खड़े होकर, तो कुछ बीड़ी, सिगरेट और सोडा-पानी लेकर वहीं पीते मिले। इसके बाद नशे की हालत में सीधे अपनी गाड़ी में बैठकर जाते दिखे। बाकी दो दुकानों की हाईवे से दूरी भी 14 और 20 कदम है, यहां भी हालात वैसे ही दिखाई दिए।

भास्कर रिपोर्ट ने खुद शराब दुकान से हाईवे तक की दूरी पैदल चलकर देखी।

गोहद और मेहगांव में भी हाईवे किनारे शराब गोहद में भी हाईवे पर दो शराब की दुकानें मिलीं, जिनकी सड़क से दूरी लगभग 15 कदम रही। यहां देशी और विदेशी दोनों तरह की शराब उपलब्ध थी। लोग दुकानों से शराब खरीदकर वहीं खड़े होकर या वाहनों में बैठकर शराब पीते नजर आए।

ऐसा ही दृश्य मेहगांव में भी देखने को मिला। यहां भी शराब की दुकानों और हाईवे के बीच की दूरी महज 17 कदम थी। दुकानों के सामने कई वाहन खड़े मिले, जिनमें लोग बैठकर खुलेआम शराब पी रहे थे। कुछ लोग कार रोककर दुकान से शराब खरीदकर लेकर जाते दिखे।

लोग शराब की बोतल खरीदकर ले जाते या वहीं, बैठकर पीते नजर आए।

पड़ताल में हाईवे पर कई ढाबों पर भी शराब परोसने की तस्वीरें दिखीं।

अफसर बोले- “शराब से सरकार को मिलता है राजस्व” दैनिक भास्कर ने इस मामले में जिला आबकारी अधिकारी महेश कुमार गौड़ से बात की, तो उन्होंने स्वीकार किया कि शराब की दुकानें हाईवे पर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमों के तहत शराब की दुकान और हाईवे के बीच कम से कम 200 मीटर की दूरी होना चाहिए।

साथ ही दुकान का मुख्य द्वार हाईवे की ओर नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह नियम केवल ग्रामीण क्षेत्रों में लागू होता है। नगरीय क्षेत्रों या नगर पंचायत क्षेत्रों में इस प्रकार की कोई बाध्यता नहीं है।

संत बोले- यह सीधा-सीधा मौत बांटने जैसा संत समाज ने हाईवे को सिक्सलेन बनाने की मांग को लेकर 10 से 19 अप्रैल तक 10 दिवसीय आंदोलन चलाया था। इस आंदोलन के दौरान संतों ने कहा कि हाईवे पर हो रहे हादसों के पीछे एक बड़ा कारण शराब भी है, जिसे रोकना जरूरी है। संतों की मांग थी कि हाईवे पर शराब बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए, ताकि आम लोगों की जान बच सके।

हालांकि यह आंदोलन भिंड शहर के कुछ प्रभावशाली राजनेताओं के हस्तक्षेप के शांत हो गया। नेताओं ने संतों को आश्वासन दिया कि छह महीने के भीतर सिक्स लेन निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। इसके बाद संतों ने आंदोलन को स्थगित जरूर कर दिया, लेकिन उनके भीतर हाईवे और शराब को लेकर नाराजगी अब भी बरकरार है।

संत समिति के अध्यक्ष कालीदास महाराज ने इस विषय पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जहां लोगों की जान जा रही हो, वहां शराब दुकानें खोलना सीधा-सीधा मौत बांटने जैसा है। शासन और प्रशासन को ऐसी दुकानों को तत्काल बंद करना चाहिए।

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683 हादसों में 218 की मौत हुई, विधानसभा में भी उठा था मुद्दा

उपनेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता हेमंत कटारे ने विधानसभा में ग्वालियर-इटावा नेशनल हाईवे-719 को मौत का हाईवे बताया। कटारे विधानसभा में कह चुके हैं कि एक विषय है जो हमारे क्षेत्र से जुड़ा है, इसके लिए मैं हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं कि आप इसे संज्ञान में लीजिए।

हालांकि यह विषय केंद्र का है, इसलिए मैंने उसे अशासकीय संकल्प के माध्यम से पहले दो बार और इस बार भी भेजा है। जो हमारा ग्वालियर से भिंड और भिंड से इटावा का हाईवे है, इसे अब मौत का हाईवे नाम दिया जाने लगा है। क्योंकि वहां आए दिन 8-10 लोगों की मौत हो ही जाती है। पूरी खबर पढ़िए…

हाईवे के नाम पर सिंगल लेन रोड, ओवर स्पीडिंग-तेज रोशनी भी हादसों की वजह

दरअसल, ग्वालियर से भिंड होते हुए यूपी के इटावा को जोड़ने वाले इस हाईवे का ज्यादातर हिस्सा टू लेन है, जिसकी वजह से यहां आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। साल 2024 में ही यहां 683 हादसों में 218 लोगों की जान चली गई। हाईवे पर गायों की मौत से भी संत समाज नाराज है।

ग्वालियर-इटावा हाईवे पर हादसों की आखिर क्या वजह है? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर ने चंबल पुल से मालनपुर तक 80 किमी का सफर तय किया, तो हादसों की कई वजह सामने आई। ​पूरी खबर पढ़िए…



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