मई 2023 में हुआ था विवाह, सुप्रीम कोर्ट के प्रकरणों का दिया हवाला
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पति की याचिका पर मप्र हाई कोर्ट ने धारा 377 का केस निरस्त कर दिया। याचिका को इस बिंदु पर स्वीकार करते हुए ग्वालियर बेंच ने कहा कि प|ी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध दुष्कर्म नहीं, बल्कि क्रूरता हैं। सुप्रीम कोर्ट के कई प्रकरणों में दिए आदेशों का हवाला देते हुए कोर्ट ने दोहराया कि प|ी के साथ अप्राकृतिक सैक्स के मामले में धारा 376 या 377 का केस नहीं बनता। हालांकि, कोर्ट ने ये भी कहा कि प|ी की इच्छा के बिना अप्राकृतिक सैक्स करना और मना करने पर मारपीट करना क्रूरता की श्रेणी में आता है। केस के अन्य तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के केस को निरस्त करने से इनकार कर दिया। ऐसे में दहेज प्रताड़ना का केस चलेगा। केवल धारा 377 का केस निरस्त किया गया है।
दरअसल, ग्वालियर के सिरोल क्षेत्र में निवासरत पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए अपने खिलाफ दर्ज धारा 377 और 498 (ए) का केस निरस्त करने की मांग की। कोर्ट को बताया गया कि आरोप लगाने वाली महिला याची की प|ी है। 2 मई 2023 को दोनों का विवाह हुआ था। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार दहेज में 5 लाख रुपए, एक बाइक और अन्य सामान दिया गया था। शादी के दिन से ही पति शराब पीकर अप्राकृतिक सैक्स करता था और मना करने पर प|ी के साथ मारपीट करता था। आरोपी पति की ओर से दलील दी गई कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में संशोधन के अनुसार, प|ी के बालिग होने की स्थिति में पति द्वारा किया गया ऐसा कृत्य बलात्कार या अप्राकृतिक कृत्य की श्रेणी में नहीं आता। जबकि मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग प्रकरणों का हवाला दिया, जिसमें इस संबंध में पहले भी निर्णय आ चुके हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे क्रूरता माना है।