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‘1 करोड़ लोग, 1000 ईरानी मिसाइल इजराइल को मिटा देंगी’: ईरानी प्रोफेसर बोले- झुकेंगे नहीं; जानिए क्या है ईरान की छिपी हुई ‘बसीज आर्मी’


आसमान में मिसाइलों की रोशनी, शहरों से उठता काला धुआं, सायरन की गूंज, खून से लथपथ लोग और सड़कों पर दौड़ती एंबुलेंस, शुक्रवार सुबह इजराइली हमले के बाद ये ईरान का हाल था। शनिवार देर रात यही सब इजराइल में हुआ। ईरान ने हमले के जवाब में इजराइल पर 150 से ज्या

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इजराइल पर हमले के लिए ईरान की बसीज आर्मी भी तैयार है। 1 करोड़ आम लोगों से बनी ये आर्मी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने बनाई थी और उन्हीं के आदेश पर काम करती है।

ये इजराइल के ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के जवाब में ईरान के ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ ऑपरेशन की शुरुआत थी। ईरान ड्रोन और मिसाइलों से हमले कर रहा है। जंग के पहले 24 घंटे में ईरान में 138 और इजराइल में 3 लोग मारे गए। ये 1980 से 1988 तक चले ईरान-इराक युद्ध के बाद ईरान पर सबसे बड़ा हमला है।

इस बीच ईरान के मीडिया ने दावा किया है कि ईरानी फौज ने इजराइल के तीन F-35 फाइटर जेट मार गिराए हैं। दो पायलट उसकी कस्टडी में हैं।

ईरान की राजधानी तेहरान में इजराइल के विरोध में बैनर-पोस्टर लगे हैं। इस पोस्टर पर लिखा है कि रात में हम उन पर टूट पड़े, तेज रफ्तार बाज की तरह, जो दिन और रात नहीं देखता।

ईरानी प्रोफेसर बोले- अब तक हुए हमले कुछ नहीं इजराइली हमले के बाद ईरान में क्या माहौल है और लोग इस जंग को कैसे देख रहे हैं, इस पर दैनिक भास्कर ने ईरान के प्रोफेसर जमीर अब्बास जाफरी से बात की। वे मुंबई से हैं, लेकिन 15 साल से कोम शहर में रह रहे हैं। जमीर ईरान की जानी-मानी शख्सियत हैं।

वे कहते हैं, ‘अब तक हुए हमले कुछ भी नहीं हैं। ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइल का इतना जखीरा है कि इजराइल का डिफेंस सिस्टम आयरन डोम उन्हें रोक नहीं पाएगा।’

‘ईरान के पास एक हजार से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल हैं। इजराइल को खत्म करने के लिए इतनी मिसाइलें काफी हैं। मिलिट्री के अलावा ईरान के पास एक करोड़ लोगों की बसीज आर्मी है। ये वॉलंटियर हैं, जो ईरान की आर्मी से कभी भी जुड़ सकते हैं।’

ईरान ने शुक्रवार रात इजराइल की राजधानी तेल अवीव पर मिसाइलें दागीं। इजराइली डिफेंस सिस्टम आयरन डोम ने उन्हें इंटरसेप्ट कर लिया। हालांकि 6 मिसाइलें रिहायशी एरिया में गिरने की खबरें हैं।

सवाल: ईरान के लोग इजराइली हमले के बारे में क्या सोच रहे हैं? जवाब: इजराइल ने 13 जून की सुबह पहला हमला किया था। इसमें मिलिट्री कमांडर के अलावा 100 से ज्यादा आम लोग मारे गए। इजराइल ने मिलिट्री बेस पर नहीं, बल्कि कमांडर्स के घरों पर सीधे हमला किया है। सेना से जुड़े लोगों के साथ उनके पत्नी, बच्चे और घरवाले भी मारे गए।

ईरान के लोगों को पता चल गया है कि इजराइल के पास कोई नैतिकता नहीं है। इजराइली फोर्स सिर्फ जुल्म और कत्लेआम करना ही जानती है।

सवाल: ईरान के पास ऐसा क्या है कि वो ताकतवर इजराइल को चुनौती दे सकता है? जवाब: ईरान के पास बैलिस्टिक मिसाइल हैं, जिन्हें इजराइल के आयरन डोम्स इंटरसेप्ट नहीं कर सकते। अगर इजराइल यमन की मिसाइल इंटरसेप्ट नहीं कर सकता, तो वो ईरान की मिसाइल तो बिल्कुल भी नहीं पकड़ पाएंगे।

बीती रात इजराइल ने ईरान पर हमला किया। इजराइल ने दो महीने पहले हमला किया था, तब ईरान ने खुद को रोकते हुए जंग नहीं छेड़ी। इस बार इजराइल ने रात के अंधेरे में आम लोगों पर हमला किया है।

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने कहा भी है कि वो जमाना खत्म हो गया, जब तुम हमें मारकर भाग जाओगे और हम शांत बैठ जाएंगे। अब मारोगे, तो मार खाने के लिए भी तैयार रहो।

शुक्रवार रात तेल अवीव के रिहायशी एरिया में बड़ा धमाका हुआ। इसमें कितना नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है।

सवाल: हमले के बाद ईरान में कैसा माहौल है, क्या लोग डरे हुए हैं? जवाब: मैं अभी ईरान की राजधानी तेहरान से करीब 150 किमी दूर कोम शहर में हूं। कुछ देर पहले ही दोपहर की नमाज पढ़कर आया हूं। अगर किसी देश पर हमला हो जाए, तो लोग घर में दुबक कर बैठ जाते हैं। ईरान में लाखों लोग सड़कों पर निकल आए और इंतकाम इजराइल के नारे लगाने लगे।

उनका साफ कहना है कि अगर इजराइल मारेगा, तो मार खाने के लिए भी तैयार रहे। ईरान इस बार मारेगा, ये बात इजराइल समझ ले। हमारे सुप्रीम लीडर ने भी ये बात बार-बार दोहराई है।

ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों ने इजराइल के घनी आबादी वाले शहरों रमत गान और रिशोन लेजियन को निशाना बनाया। फोटो रिशोन लेजियन की है।

सवाल: इजराइल ने ईरान के टॉप कमांडर और न्यूक्लियर साइंटिस्ट को मार दिया। क्या ये बात सही है? जवाब: अफसोस की बात है, लेकिन ये सही है। आपको समझना होगा कि ईरान में मिलिट्री कमांडर को शहीद करना इजराइल के लिए इतना आसान क्यों रहा। ईरान में मिलिट्री के लोग अपने घरों में परिवारों के साथ रहते हैं। वे आर्मी बेस पर नहीं रहते, बल्कि ईरानी लोगों के बीच में रहते हैं।

फौज ये संदेश देना चाहती है कि जंग के दौरान हम बंकर में जाकर नहीं छिपेंगे। जनता के साथ खड़े रहेंगे। इजराइल के जिस हमले में अहम लोग मारे गए हैं, वे सभी सिविल एरिया में हुए हैं। मिलिट्री पोस्ट पर किसी कमांडर की मौत नहीं हुई।

सवाल: ईरान के लोग इस युद्ध को कैसे देख रहे हैं? जवाब: युद्ध में ईरानी लोगों के जज्बे को समझने के लिए आपको इस्लाम, मुसलमान, ईरान के इतिहास और संघर्ष को समझना होगा। मैं शिया-सुन्नी विवाद नहीं पैदा करना चाहता, लेकिन एक मुस्लिम इमाम हुसैन और कर्बला को मानता है।

महात्मा गांधी ने भी कहा है कि मैं इमाम हुसैन से प्रेरणा लेता हूं कि हक के लिए कुर्बानी कैसे दी जाती है। मैंने ये इमाम हुसैन से सीखा। नेल्सल मंडेला भी कहते थे कि इमाम हुसैन से मैंने सीखा कि कमजोर होने के बाद भी कैसे जीता जा सकता है। ईरान ने 10 साल तक इराक से जंग लड़ी। इराक को 67 देशों ने हथियार दिए, फिर भी वे सब मिलकर ईरान को नहीं हरा पाए।

इजराइली हमले के विरोध में कोम शहर में लोग सड़कों पर आ गए। उन्होंने इंतकाम इजराइल के नारे लगाए।

इजराइली हमले के विरोध में कोम शहर में लोग सड़कों पर आ गए। उन्होंने इंतकाम इजराइल के नारे लगाए।

सवाल: ईरान ने इजराइल पर 100 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागी हैं। क्या ईरान और हमले करेगा? जवाब: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से पूछा गया कि ईरान पर हमला क्यों नहीं करते, तब उन्होंने कहा था कि ईरान शक्तिशाली देश है। अमेरिका ने पहले ही दिन इजराइली हमले से खुद को अलग कर लिया। ये बात साफ मैसेज देती है कि अमेरिका भी ईरान से खुलकर लड़ाई नहीं करना चाहता। अब तक जो हमले हुए, वे कुछ भी नहीं हैं।

इजराइल ईरान से अकेले नहीं लड़ सकता है, इसलिए वो चाहता है कि अमेरिका उसके साथ रहे। इजराइल पश्चिमी देशों की प्रॉक्सी कंट्री है। उसके पास सारी चीजें अमेरिका की दी हुई हैं।

इजराइल के मुकाबले ईरान के पास कई गुना मिलिट्री मैनपावर है। हमारे पास बेहतर मिसाइल सिस्टम है। यूक्रेन के साथ जंग में रूस ईरान की मिसाइलों का इस्तेमाल कर रहा है।

इससे पता चलता है कि ईरान की मिसाइलों की क्वालिटी कितनी अच्छी है। सबसे बड़ी बात ये कि ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल के अटैक ने इजराइल के आयरन डोम सिस्टम की पोल खोलकर रख दी है। ईरान ऐसा देश है जो ज्ञान, विज्ञान, खेल से संस्कृति तक, हर चीज में आगे रहता है।

सवाल: इजराइल ने कहा है कि उसकी लड़ाई ईरान के लोगों से नहीं, वहां की लीडरशिप से है? जवाब: महात्मा गांधी जैसे हिंदुस्तान में इंकलाब लाए थे, वैसे ही ईरान में इमाम अयातुल्ला खामेनेई ने क्रांति की। दोनों जगह अहिंसक तरीके से बदलाव आया। लोग रास्ते पर आए और शहादत देकर अपना मकसद हासिल किया। ईरान के लोग अपने मूल्य कर्बला से लेते हैं, जहां कुर्बानी, जान देना बहुत पाक समझा जाता है। जंग में अगर एक हजार लोग मर भी जाते हैं, तो खौफ नहीं होता बल्कि जान देने के लिए मोहब्बत होती है।

ईरानी कौम कुर्बानी देने के लिए तरसती है। जिसे कर्बला समझ नहीं आता, उसे ईरान समझ नहीं आएगा। हक के लिए घर और जिंदगी कुर्बान कर देना लोगों के लिए सबसे बड़ी बात है।

इजराइल पर मिसाइलें गिरने की तस्वीरें आपने देखी होंगीं। सड़कें सूनी हो जाती हैं और लोग बंकर में दुबक कर बैठ जाते हैं। ईरान में मिसाइलें गिरीं और लाखों लोग सड़कों पर उतर गए। ईरानी कौम में शहादत का यही जज्बा है। जो लोग मौत से नहीं डरते, आप उन्हें किसी चीज से नहीं डरा सकते।

सवाल: पहले और अब के ईरान में क्या बदला है? जवाब: ईरान के 9 करोड़ लोग फौज के साथ है। ईरान में पैरामिलिट्री भी है। इसके अलावा करीब 1 करोड़ बसीज आर्मी में हैं। सद्दाम हुसैन ने ईरान पर हमला किया था, तब भी बिना हथियारों और तकनीक के ईरान ने एक साल तक जंग लड़ी थी।

आज ईरान के पास हथियार, तकनीक, संगठन, ताकत सब कुछ है। पहले के मुकाबले ईरान 1000 गुना मजबूत है। उस वक्त पूरी दुनिया ईरान को नहीं हरा सकी, तो आज क्या हरा पाएगी। इजराइल भी जानता है कि ईरान का हमला बड़ा सख्त होगा और लंबा होगा।

सवाल: इजराइल कहता है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके अस्तित्व पर खतरा है। आपको लगता है कि यही हमले की असली वजह है? जवाब: ईरान और इजराइल के बीच फिलिस्तीन को लेकर नैतिकता की जंग है। इजराइल के हमले के पीछे फिलिस्तीन ही सबसे बड़ा मुद्दा है। ईरान ने हमेशा फिलिस्तीन का समर्थन किया और इसलिए इजराइल ईरान को तबाह करना चाहता है। न्यूक्लियर वेपन का मुद्दा बनाकर इजराइल बहाना ढूंढ रहा है।

महात्मा गांधी ने भी कहा था कि जिस तरह से इंग्लैंड इंग्लिश लोगों के लिए है, फ्रांस फ्रेंच लोगों के लिए है, वैसे ही फिलिस्तीन फिलिस्तीनियों के लिए है। ईरान महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के मूल्यों पर टिका रहा। आज ईरान जो कुर्बानी दे रहा है वो नैतिकता के लिए है। फिलिस्तीन में इजराइल बच्चों को मारे जा रहा है।

ईरान ही है, जो इजराइल को ऐसा करने से रोकना चाहता है। फिलिस्तीन में सुन्नी मुस्लिम हैं, लेकिन शिया मुल्क होने के बावजूद ईरान नैतिकता के पैमाने पर फिलिस्तीन के साथ खड़ा है।

सवाल: भारत और ईरान के रिश्ते को ईरान के आम लोग किस तरह से देखते हैं? जवाब: ईरान हमेशा से भारत का दोस्त रहा है। ईरान की विदेश नीति भारत की सोच से मेल खाती है। दोनों देशों ने आजादी के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। एक इंकलाब के बाद भारत 1947 में और ईरान 1979 में आजाद हुआ।

सवाल: आप भारत के लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे? जवाब: हिंदुस्तान ने अंग्रेजों को भागने पर मजबूर कर दिया। भारत के लोगों को समझना चाहिए कि फिलिस्तीन भी उसी तरह से आजादी के लिए लड़ रहा है। फिलिस्तीन के लोग अपनी जमीन के लिए लड़ रहे हैं।

अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता रोक सकता है ईरान ईरानी न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने शनिवार को कहा कि अमेरिका ईरान पर इजराइल के हमले का समर्थन कर रहा है। ऐसे में परमाणु वार्ता का कोई मतलब नहीं है।

हालांकि अब्बास अराघची ने वार्ता रद्द करने की बात सीधे तौर पर नहीं कही। वहीं, अमेरिका ने कहा है कि वह ईरान पर इजराइली हमलों का हिस्सा नहीं है। अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु वार्ता का छठा राउंड रविवार को ओमान में होना है।

इजराइल ने कहा- तेहरान अब सुरक्षित नहीं, और हमले करेंगे ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने कहा कि अगर ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने और मिसाइलें दागीं, तो तेहरान जला देंगे। वहीं, इजराइल डिफेंस फोर्स के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने कहा कि तेहरान अब सुरक्षित नहीं है। ईरान की राजधानी पर इजराइली हमलों का खतरा बढ़ गया है।

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ईरानी मस्जिदों पर बदले के लाल झंडे, लोग बोले- अब बातचीत नहीं

ईरान की राजधानी तेहरान में कई जगह से धुआं उठ रहा है। राहत-बचाव के काम में लगी गाड़ियों के सायरन शुक्रवार सुबह से ही बज रहे हैं। इजराइल के हमलों में ईरानी सेना के टॉप 20 कमांडर मारे जाने की खबरें हैं। मरने वालों में 6 परमाणु वैज्ञानिक भी हैं। उधर, तेहरान से करीब 150 किमी दूर कोम शहर की जमकारन मस्जिद पर बदले का प्रतीक लाल रंग का झंडा फहराया जा रहा है। पढ़िए पूरी खबर…



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