10 दिसंबर 2024, यूपी के ललौली कस्बे में 185 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद के पास प्रशासन ने 3 बुलडोजर खड़े किए। आसपास का 500 मीटर एरिया सील कर दिया। 10 थानों के करीब 200 पुलिसवाले, रैपिड एक्शन फोर्स और PAC की 3 टुकड़ियों ने पूरा इलाका घेर लिया। मस्जिद
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प्रशासन ने मस्जिद के पिछले हिस्से को अवैध बताया और महज 90 मिनट में उसे ध्वस्त कर दिया। ये कार्रवाई उस वक्त हुई, जब 3 दिन बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में नूरी मस्जिद केस पर सुनवाई होने वाली थी।
मस्जिद पर बुलडोजर एक्शन के बाद ललौली के हालात जानने दैनिक भास्कर फतेहपुर पहुंचा। यहां मस्जिद के गिरे हिस्से को कपड़ों से ढंक दिया गया है। लोग ढहाए गए हिस्से के सामने नमाज अदा कर रहे हैं। हमने विवाद की वजह समझने के लिए लोकल लोगों, मस्जिद कमेटी और प्रशासन से बात की। हमें ये 3 बातें समझ आईं…
फतेहपुर में बुलडोजर कार्रवाई के बाद नूरी जामा मस्जिद के टूटे हिस्से को ढंक दिया गया है।
1. नूरी मस्जिद भले 185 साल से ज्यादा पुरानी है, लेकिन पहले इसका ढांचा अलग था। 100 साल पहले मस्जिद का आकार छोटा था। तब ये 210 स्क्वायर मीटर में फैली थी। मस्जिद कमेटी ने हमें सरकारी खसरा का 185 साल पुराना नक्शा दिखाया, जिसमें यही नाप है।
2. मस्जिद के आस-पास मुस्लिम रहते हैं। ये दावा करते हैं कि इनके पुरखे, कई पीढ़ियों से इसी मस्जिद में रोजाना नमाज पढ़ते आए हैं। ASI ने खुद इसे ऐतिहासिक धरोहर माना है।
3. फतेहपुर प्रशासन का कहना है कि यहां सड़क चौड़ी की जा रही है। इसमें ललौली गांव में 139 प्रॉपर्टीज की पहचान की गई थी, जिनका कुछ हिस्सा हाईवे में आ रहा था। सड़क की नपाई के दौरान पाया गया कि मस्जिद के पीछे का 150 स्क्वायर फीट हिस्सा अवैध है, इसलिए इसे ध्वस्त किया गया।
ये नूरी जामा मस्जिद का 185 साल पुराना नक्शा है, जो हमें मस्जिद कमेटी ने दिखाया।
मस्जिद पर बुलडोजर चलाने से इस्लामिक संगठन नाराज 1839 में बनी नूरी मस्जिद पर बुलडोजर चलने से ललौली के लोग गुस्सा हैं। ये कार्रवाई उस वक्त हुई है, जब देशभर की अदालतों में मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ केस चल रहे हैं। हाल में संभल में इसी तरह के एक विवाद में हिंसा भड़की थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके अलावा जौनपुर की अटाला मस्जिद, फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद और राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह के मामले भी कोर्ट में है। दावा है कि इन्हें मंदिर ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था। इस बीच नूरी मस्जिद का एक हिस्सा ढहाए जाने की ऑल इंडिया मुस्लिम जमात जैसे कई इस्लामिक संगठनों ने निंदा की है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी कहते हैं, ‘180 साल पुरानी नूरी मस्जिद ऐतिहासिक धरोहर है। हुकूमत के सभी अभिलेखों में इसका नाम दर्ज है। फिर भी इसे अवैध बताकर बुलडोजर चलाना ज्यादती है।‘
‘सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगाई है। मगर सरकार इसे नजरअंदाज करके इंसाफ और संविधान के खिलाफ काम कर रही है।‘
‘बुलडोजर चलाने की इतनी जल्दी कि सामान तक नहीं निकालने दिया’ मस्जिद कमेटी के चीफ सेक्रेटरी मोहम्मद तैय्यब नूरी उस दिन के बारे में बताते हुए भावुक हो जाते हैं। कहते हैं, ‘जिस मस्जिद में सदियों से नमाज अदा की जा रही है। उसे गिराने से पहले प्रशासन ने एक बार भी नहीं सोचा।‘
‘10 दिसंबर को भारी फोर्स लेकर अधिकारी मस्जिद के पास पहुंचे। उन्हें बुलडोजर चलाने की इतनी जल्दी थी कि हमें मस्जिद के अंदर से सामान तक नहीं निकालने दिया गया। अंदर डेढ़ लाख की कालीनें थीं। 2.5 लाख रुपए का सोलर प्लांट लगा था। धार्मिक किताबें, पंखे-कूलर, AC और तमाम घड़ियां लगी थीं। सब एक झटके में तोड़ दिया गया।‘
नूरी जामा मस्जिद मामले की इलाहाबाद हाईकोर्ट में 13 दिसंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने सुनवाई से 3 दिन पहले ही बुलडोजर कार्रवाई कर दी।
जब मस्जिद इतनी पुरानी है, तो इसे अचानक अवैध क्यों बताया गया? मस्जिद का 185 साल पुराना मुहाफिजखाने का नक्शा दिखाते हुए तैय्यब जवाब देते हैं, ‘कोई दूसरे की जमीन पर कब्जा कर ले, तो उसे अतिक्रमण कहते हैं। हमने तो सरकारी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई।‘
‘इस कार्रवाई में सिर्फ प्रशासन की जल्दबाजी दिखी। कुछ हद तक इसे सरकार की मनमानी भी कह सकते हैं। वो एक ही कौम को लगातार टारगेट कर रही है।
‘नाजायज जमीनों पर मस्जिदें नहीं बनती, हम कोर्ट में चैलेंज करेंगे’ फतेहपुर प्रशासन मस्जिद पर कार्रवाई कर सकता है या नहीं, इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 13 दिसंबर को सुनवाई होनी थी। उससे पहले ही मस्जिद का एक हिस्सा ढहा दिया गया। कानूनी तौर पर मस्जिद गिराए जाने के बाद उस पर कार्रवाई का मामला स्टैंड नहीं करता। ऐसे में हमने मस्जिद कमेटी के चीफ सेक्रेटरी तैय्यब नूरी से पूछा कि अब वे क्या करेंगे?
तैय्यब कहते हैं, ‘मस्जिद तो गिरा दी गई। अब हम प्रशासन को कोर्ट में चैलेंज करेंगे कि वो साबित करें कि ललौली में मस्जिद पहले आई है या रोड। इतनी पुरानी मस्जिद पर कैसे अचानक कार्रवाई हो सकती है।‘
‘हम जानना चाहते हैं कि अगर ये इबादतगाह अवैध थी, तो प्रशासन आज तक क्यों सोता रहा। इस बारे में पहले क्यों नहीं बोला गया। इस्लाम में ये कानून है कि किसी भी मस्जिद का निर्माण नाजायज या गैर कानूनी जमीन पर नहीं हो सकता है। फिर प्रशासन इसे अवैध अतिक्रमण कैसे बता सकता है।‘
जब मस्जिद नहीं थी, तब क्या था नूरी मस्जिद के इतिहास पर कमेटी कई दावे करती है। ललौली के रहने वाले अंसार खान के मुताबिक, ‘1839 के आसपास नूरी मस्जिद स्थानीय लोगों ने बनवाई थी। तब यहां कोई सड़क नहीं थी। ये सुनसान इलाका था। आजादी के बाद 1956 में पहली बार यहां हाईवे बना। उसके पहले से यहां लोग नमाज पढ़ते रहे हैं।‘
‘इस मस्जिद का आजादी की लड़ाई में भी योगदान रहा है। अंग्रेजों के समय फतेहपुर में गांव बसने लगे। बड़ी तादाद में मुस्लिम बिरादरी के लोग यहां रह रहे थे। इनमें से कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार आज भी यहां रह रहे हैं।‘
अंसार कहते हैं, ‘कमेटी ने फतेहपुर प्रशासन और PWD को 3 नोटिस भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। नूरी मस्जिद केस को लेकर हाईकोर्ट में 6 दिसंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन बाद में इसे 13 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया। प्रशासन ने सुनवाई से 3 दिन पहले ही मस्जिद के पिछले हिस्से को ध्वस्त कर दिया।‘
मस्जिद के साथ कई हिंदू-मुसलमान दुकानदारों की रोजी-रोटी छिनी अगस्त, 2024 में बांदा-फतेहपुर स्टेट हाईवे के एक्सटेंशन से पहले प्रशासन ने ललौली में 139 मकान और दुकानों पर लाल निशान लगाए थे। इनका कुछ हिस्सा सड़क के दायरे में आ रहा था। इन्हें गिराए जाने से पहले ही लोगों ने अपने घर और दुकानें खुद ढहा दी थीं ताकि उनसे कोई डेमोलिशन चार्ज न लिया जाए। नूरी जामा मस्जिद का एक हिस्सा गिरने के बाद यहां के लोगों का दर्द फिर बढ़ गया है।
विजय कुमार ललौली बाजार में 17 साल से ज्वेलरी का बिजनेस कर रहे हैं। उन्हें भी अपनी दुकान तोड़नी पड़ी। विजय कहते हैं, ‘सरकार एक तरफ कहती है कि हम लोगों को मकान और रोजगार दे रहे हैं, लेकिन यहां न तो मकान बचे और न ही रोजगार। ललौली में लोग इस तोड़फोड़ से तंग आ चुके हैं।‘
विजय अपनी बात कह रहे थे, तब उनके बगल में खड़े महबूब अली भी सिर हिलाकर उनसे सहमति जताते हैं।
महबूब नाज मोबाइल शॉप नाम से दुकान चलाते थे। 3 महीने पहले उनकी दुकान भी गिरा दी गई। महबूब सरकार से मांग करते हुए कहते हैं, ‘हम सरकार से यही चाहते हैं कि जल्द से जल्द ये रोड बने ताकि लोगों की तकलीफें कम हों।‘
ललौली के लोगों से जुड़े सवाल और मस्जिद पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन का क्या कहना है, अब ये जान लीजिए…
PWD इंजीनियर बोले- कार्रवाई नियम के मुताबिक, अवैध हिस्सा ही तोड़ा गया हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले मस्जिद पर बुलडोजर एक्शन कैसे हुआ? प्रशासन ने कार्रवाई में जल्दबाजी क्यों की? इन सवालों को लेकर हम यूपी PWD के ऑफिस पहुंचे। मामला संवेदनशील होने की वजह से अधिकारी इस पर ऑन कैमरा कुछ भी कहने से बचते हैं।
फतेहपुर संभाग के एक PWD इंजीनियर कहते हैं, ‘विभाग ने नियम के मुताबिक कार्रवाई की है। हमारे पास सड़क चौड़ी करने के आदेश हैं। इस बारे में PWD ने ललौली में अगस्त में ही नोटिस भेज दिया था।‘
बांदा-बहराइच हाईवे की चौड़ाई के लिए सड़क नापी गई, तो पता चला कि मस्जिद के पीछे वाला 150 स्क्वायर फीट हिस्सा अवैध बनाया गया है। इसलिए उसे ध्वस्त कर दिया गया।
क्या सुनवाई पूरी होने तक कार्रवाई रोकी नहीं जा सकती थी? इस पर अधिकारी कहते हैं, ‘नूरी मस्जिद का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। PWD को सड़क का काम रोकने के लिए कोर्ट से ऑर्डर नहीं मिला था, इसलिए विभाग ने तय समय के हिसाब से ही कार्रवाई की।‘
फतेहपुर के एडिशनल SP विजय शंकर मिश्रा कहते हैं, ‘10 तारीख को हुई कार्रवाई के बाद से ललौली में कानून-व्यवस्था मजबूत बनी हुई है। हर दिन टाइम-टू-टाइम पुलिस इलाके में गश्त कर रही हैं। कार्रवाई के बाद मस्जिद के आसपास की दुकानें कुछ दिन बंद रखी गई थीं, लेकिन अब यहां हालात पूरी तरह सामान्य हैं। दुकानें, स्कूल-मदरसे खुल रहे हैं।‘ ……………………………………….
संभल के जामा मस्जिद विवाद से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें…
1. संभल के मुस्लिम मोहल्ले में मिले मंदिर का सच, 46 साल पहले दंगा भड़का
संभल की शाही जामा मस्जिद से करीब एक किमी दूर है खग्गू सराय मोहल्ला। मेन रोड से करीब 500 मीटर अंदर जाने पर एक पुराना मंदिर दिखाई देता है। करीब 70 गज जमीन पर बने इस मंदिर में 46 साल बाद पहली बार पूजा की गई। 1978 में यहां दंगे हुए, जिसमें 184 से ज्यादा लोग मारे गए थे। तभी डर की वजह से खग्गू सराय में रहने वाले 100 हिंदू परिवार पलायन कर गए। पढ़िए पूरी खबर…
2. मस्जिद में तोड़फोड़ की अफवाह से संभल में भड़की हिंसा
24 नवंबर को सुबह 6 बजे टीम दोबारा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। एडवोकेट कमिश्नर, DM, SP के साथ RAF, PAC और उत्तर प्रदेश पुलिस की 8 गाड़ियां थीं। लोग सुबह की नमाज अदा करके मस्जिद से बाहर निकले। तभी अफवाह फैली की मस्जिद के अंदर तोड़फोड़ की जा रही है। इसी से हिंसा भड़की। पढ़िए पूरी खबर…