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मनरेगा से जॉब कार्ड रहने पर हीं लाभुकों को पीएम आवास योजना का लाभ मिल सकेगा। बता दें कि पीएम आवास योजना (ग्रामीण) आवास प्लस की सूची में अब तक छुटे हुए सभी योग्य लाभुकों के नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
विभागीय निर्देशानुसार आवास योजना की सूची में वैसे ही लाभुकों का नाम शामिल किया जाना है, जिनका मनरेगा से जॉब कार्ड बना है। अब सर्वे के दौरान बिना जॉब कार्ड वाले गरीब व आवास योजना के अन्य सभी पात्रता रखने वाले लाभुकों को आवास योजना की सूची में शामिल नहीं हो सकेंगे। बता दें कि जिले के पंचायतों में बड़ी संख्या में गरीब परिवार अब तक पीएम आवास योजना के लाभ से वंचित हैं। फिलहाल आवास योजना के लाभुकों की सूची तो बनाई जा रही है किंतु जॉब कार्ड के अभाव में लाभुकों को सूची से बाहर रखा जा रहा है। आवास प्लस एप पर चढ़ेगा नाम बता दें कि 31 मार्च तक आवास सहायकों द्वारा आवास प्लस एप के जरिए सभी पंचायतों में योग्य लाभुकों की सूची बनाने का काम पूरा किया जाना है। इसके लिए प्रत्येक पंचायत में वार्ड स्तर पर संबंधित आवास सहायकों को योग्य लाभुकों के सर्वेक्षण करने का विभागीय निर्देश दिया गया है।
जॉब कार्ड बनवाने के लिए प्रखंड कार्यालय का लगाना पड़ रहा चक्कर दूसरी ओर जॉब कार्ड बनवाने के लिए लाभूक मनरेगा व प्रखंड कार्यालयों का रोज चक्कर लगा रहे हैं। आवास योजना के लाभ के लिए लाभुकों को जॉब कार्ड बनवाने के लिए मनरेगा प्रखंड कार्यालय पर भी लाभुकों का जॉब कार्ड फिलहाल नहीं बन रहा है।
नाम जोड़ने में धांधली का लगाया आरोप दूसरी और पीडब्ल्यूडी संघ के जिला अध्यक्ष अगस्त उपाध्याय ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत सर्वे किया जा रहा है तथा नाम जोड़ा जा रहा है, उसमें मनरेगा के तहत जॉब कार्ड अनिवार्य किया गया है, जो ठीक नहीं है। इसमें पूरी तरह से धांधली की जा रही है। उन्होंने कहा कि जॉब कार्ड बनवाने के लिए पैसे की डिमांड की जा रही है जो ठीक नहीं है। इसमें सभी गरीबों जो इसके लाभुक हैं उनको सर्वे करके नाम जोड़ना चाहिए। इसमें मनरेगा के तहत जॉब कार्ड की कोई फिलहाल जरूरत नहीं है। जॉब कार्ड के लिए दिव्यांगों को तथा गरीब तबके के लोगों को दौड़ाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि अच्छे लोग लाभार्थी बन जाते हैं जबकि जो गरीब मजदूर और पीड़ित है उनको इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।