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34 मर्डर करने वाला बोला-पिता का प्यार नहीं मिला: सजा दिलाने पुलिस ने ढूंढी 10 साल पुरानी पीएम रिपोर्ट; दोबारा ओपन कराए कई केस – Madhya Pradesh News


क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा ट्रक चोरी के मामले में एक आरोपी जयकरण को पुलिस ने पकड़ा था। जांच के दौरान एक अन्य आरोपी आदेश खामरा तक पुलिस पहुंची। पूछताछ के दौरान पता चला कि खामरा सीरियल किलर है। वो अपनी गैंग चलाता है। दिन में टेलर का काम करता

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अब आगे की कहानी में पढ़िए…

खामरा ने पुलिस को दिए बयान में कहा-पिता फौजी थे, मारते थे

पूछताछ के दौरान खामरा ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि –

मुझे अपने पिता से कभी प्यार नहीं मिला। पिता फौज में नायब सूबेदार थे। घर में भी वो आर्मी जैसा अनुशासन रखते थे। वो मुझे मारते थे और छोटी-छोटी बातों के लिए घर से निकाल देते थे। पिता का प्यार नहीं मिलने की वजह से धीरे-धीरे इंट्रोवर्ट हो गया। बचपन से अंदर एक गुस्सा था। जो वक्त के साथ बढ़ता ही गया।

हालांकि, खामरा एक शातिर अपराधी था इसलिए पुलिस ने उसके बयानों पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया। सभी बयान क्रॉस चेक किए गए।

जेल में बदमाशों से हुई दोस्ती

पुलिस को जांच में पता चला कि 48 वर्षीय आदेश खामरा की जल्दी शादी हो गई थी। वो पत्नी के साथ गोंदिया में रहता था। उसके पिता गुलाब खामरा सेना से रिटायर्ड हुए थे। गोंदिया में रहने के दौरान उसका वहां एक व्यक्ति से विवाद हो गया था। जिसके बाद आदेश को जेल जाना पड़ा।

तब तक आदेश मंडीदीप में शिफ्ट हो चुका था। दर्जी का काम करने लगा था। मार्केट में उसकी दुकान थी। एक दिन उसके घर जेल में मिले दोस्त मिलने आए। उन्होंने आदेश को ट्रक चुराने का आइडिया दिया। कहा कि चोरी का ट्रक और माल वो खरीद लेंगे। उसे तो बस ट्रक चुराना है।

2010 में पकड़ा गया लेकिन छूट गया

2006 से आदेश ने इस तरह जुर्म की दुनिया में कदम रखा। वारदात के बाद कोई सबूत पीछे न छूटे इसलिए आदेश खामरा ट्रक चुराने के बाद ड्राइवर-क्लीनरों की हत्या कर देता था। ताकि पुलिस उस तक पहुंच नहीं पाए। 2010 में महाराष्ट्र पुलिस ने एक मामले में उसे गिरफ्तार भी किया। इसके बाद भी वो पुलिस की गिरफ्त में आया, लेकिन छूटता गया। तब पुलिस उससे ये पता नहीं लगा सकी कि वो सीरियल किलर है।

खामरा के साथ जुड़े दो हाईवे गैंग के बारे में पुलिस को जानकारी मिली थी। खामरा की गैंग से कई लोग जुड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने अलग-अलग गैंग बना लिए।

4 साल में जितने भी ब्लाइंड मर्डर हुए सभी को ट्रेस किया

एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि आरोपी आदेश खामरा के पुराने मर्डर केस में सबूत जुटाना बहुत ही मुश्किल था। एक 2009 का केस था, जिसमें ट्रक मंडीदीप से चोरी हुआ था। ट्रक के ड्राइवर राजेश यादव और क्लीनर मनोज यादव दोनों भाई थे। आदेश ने ड्राइवर की लाश राघोगढ़ तो क्लीनर की लाश उसने गोहद (भिंड) में फेंकी थी। ट्रक को आदेश आगे लेकर गया। उसने आगरा में ट्रक छोड़ दिया। ट्रक मालिक को उसका ट्रक मिल चुका था। आरोप लगे कि ड्राइवर-क्लीनर ट्रक छोड़कर भाग गए, इसलिए किसी ने तब इस केस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

कई थानों में जाकर पुलिस ने निकाले रिकॉर्ड

ये स्पष्ट नहीं था कि मर्डर 2008 का है या 2009 का है, क्योंकि आरोपी आदेश को सिर्फ घटनाक्रम याद थे। ये याद नहीं था कि वो कब के हैं।

राहुल लोढ़ा ने बताया रिकॉर्ड निकालने के बाद पुलिस ने पता किया कि आरोपी आदेश के बताए अनुसार कौन सा मर्डर है। फिर हमने आगरा में पता करवाया कि ऐसा कोई ट्रक पकड़ा गया था क्या? गोंदिया के ट्रक मालिक के बारे में पता चला। कुछ नाम मिले। इस तरह कड़ी से कड़ी को जोड़ा। संबंधित गोहद थाना दो हिस्से में बंट गया था। इसलिए रिकॉर्ड निकालने में और परेशानी आई।

बेटों के गम में पिता हो गए पागल

एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि दोनों भाई ट्रक ड्रायवर-क्लीनर की गुमशुदगी पिता ने बैतूल जिले के पुलिस थाने (पाढर चौकी) में दर्ज करवाई थी, लेकिन दोनों बेटे नहीं मिले तो उनके गम में पिता दो साल बाद पागल हो गए। लेकिन यहां आरोपी आदेश खामरा के साथी तुकाराम ने एक गलती कर दी। उसने दोनों भाईयों में से एक का मोबाइल लेकर उसे आदेश के झोले में रख दिया।

मोबाइल लोकेशन से पुलिस पहुंची आदेश तक

लोकेशन के जरिए बैतूल पुलिस आदेश खामरा तक पहुंच गई। आदेश को भी इस बात का अंदाजा नहीं था। उससे जब मोबाइल के बारे में पूछा तो उसने पुलिस से कहा कि ये उसे रास्ते में मिला है।

इस केस में पुलिस को 10 साल पुरानी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट चाहिए थी। उसे ढूंढने के लिए लगभग साढ़े तीन महीने तक पूरा रिकॉर्ड खंगाला गया। टीम लगी रही। अस्पताल-कोर्ट में रिपोर्ट ढूंढने की कोशिश की। आखिर में वो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी मिल गई।

केस डायरी ढूंढना और जांच करना बेहद चैलेंजिंग

आरोपी आदेश से तात्कालिक घटनाएं स्वीकार करवाना पुलिस के लिए आसान था, लेकिन 2006 से 2018 तक उसने जो हत्याएं की थी। उन सारी हत्याओं को कबूल करवाना और उसके बाद उन सभी मामलों को अलग-अलग पुलिस थानों में ढूंढना आसान नहीं था। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उड़ीसा के केस थे। केस की डायरी ढूंढना और फिर उनकी जांच करना बेहद चैलेंजिंग था।

एनएच-6 पर की ज्यादातर वारदात, टोल नाके से बचता था

पुलिस ने नक्शा सामने रख खामरा से पूछताछ की। इस दौरान सामने आया कि उसने सबसे ज्यादा वारदात एनएच-6 पर की। ये महाराष्ट्र, मप्र, छग और ओडिशा होकर गुजरता है।

इसके अलावा वह राजगढ़, ब्यावरा, मुंगावली, चंदेरी, गुना, ग्वालियर रूट पर भी वारदात करता था, जो स्टेट हाईवे है। इसका इस्तेमाल वह इसलिए करता था, क्योंकि इस रूट पर टोल नाका नहीं मिलता।

खामरा का खास बिल्ला भी पकड़ाया

खामरा को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस की जांच जारी थी। इस बीच आरोपी साहब सिंह ने सरेंडर किया। वो देशभर से चोरी और लूट के ट्रक, ट्राले खरीदकर उसे ठिकाने लगाने का काम करता था। आरोपी साहब सिंह की निशानदेही पर पुलिस ने झांसी निवासी 58 वर्षीय परमजीत सिंह बिल्ला सरदार, 47 वर्षीय बबलू उर्फ यशपाल परिहार और 40 वर्षीय गुरबक्श सिंह बरार उर्फ लक्की को यूपी से गिरफ्तार किया। बिल्ला खामरा का दाहिना हाथ माना जाता था। बिल्ला ने एमपी में 6, महाराष्ट्र में 8 और कर्नाटक आंध्रप्रदेश में एक-एक लूट और चोरी की वारदातें कबूली थी। खामरा से मिलने से पहले बिल्ला लूट और चोरी करता था।

व्यापारी बीमा क्लेम ले लेते

पुलिस की जांच में सामने आया कि आदेश और जयकरण द्वारा लूटे गए ट्रक तो कभी नहीं मिले। लेकिन इन ट्रक के चोरी या लूटे जाने की रिपोर्ट में खात्मा लगवाकर मालिकों ने इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम ले लिया। एक शहर से लूटे गए ट्रक के ड्राइवर-क्लीनर की लाश दूसरे शहर में मिलती थी, जो वहां की पुलिस के लिए अज्ञात होती थी। दोनों जिलों की पुलिस ऐसे मामलों की इन्वेस्टिगेशन को हल्के में लेती थी, इसलिए इन मामलों में बड़ा खुलासा इससे पहले नहीं हो सका था।

मुंहबोले चाचा को मानता था गुरु

पुलिस को पूछताछ में ये भी पता चला कि आदेश खामरा अपने मुंहबोले चाचा अशोक खामरा को अपना गुरु मानता था।

अपराध करते-करते उसे बचने के सारे दांव-पेंच आ गए थे। वो ये तक बता देता था कि उसे किस केस में सजा होगी और किस में वो बच जाएगा। सजा क्यों होगी, क्या ग्राउंड रहेगा। सब कुछ उसे पता रहता था। कहां उसने गलती की है और कहां पुलिस से चूक हुई है, ये सब वो फाइंड आउट कर लेता था। पुलिस को भी वो ज्यादा कुछ नहीं बताता था।

जेल में पढ़ने लगा धार्मिक ग्रंथ और प्रेरणादायक किताबें

पुलिस ने जांच के बाद कोर्ट में चालान पेश किया। केस चला और आरोपी आदेश को सजा हुई। उसे भोपाल जेल में रखा गया। बाद में जेल अधिकारियों के माध्यम से पता चला कि जेल में उसके व्यवहार में बदलाव आया।

बाद में सबूतों के अभाव में एक मामले में वो बरी भी हो गया। जेल में कभी-कभी उससे मिलने पत्नी और बेटे आते रहते थे।

बरी केस में सजा के लिए सीआईडी को लिखा

तत्कालीन एसपी राहुल लोढ़ा का कहना है कि जिन मामलों में आदेश खामरा बरी हुआ है। हाल ही में मैंने वो मामले भी देखे हैं। हम लोग प्रयास कर रहे हैं कि जिन बिंदुओं के आधार पर वो बरी हुआ है। उनमें हाई कोर्ट में फिर अपील की जाए। इस संबंध में मैंने एक लेटर सीआईडी को लिखा है। प्रयास ये कर रहे हैं कि केस में सबूतों के आधार पर उसे सजा करवाई जाए।



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