इंदौर और भोपाल के महानगर बनने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने मप्र मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 2025 का ड्राफ्ट तैयार करने की नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग को मंजूरी दे दी है। एक हफ्ते के भीतर ये ड्राफ्ट तैयार कर मुख्य सचिव की अध्यक्षता
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सोमवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मेट्रोपॉलिटन एरिया के गठन के प्रस्ताव पर समीक्षा बैठक हुई। नगरीय आवास एवं विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला ने प्रेजेंटेशन में बताया कि इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया के प्रथम चरण का काम पूरा हो चुका है। भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी कर दी गई है।
दोनों शहरों के विकास का जिम्मा मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी का होगा। पढ़िए इंदौर-भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में कौन-कौन से क्षेत्र आएंगे और इसका स्वरूप क्या होगा?
पहले जानिए इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया के बारे में…..
5 जिलों के 1756 गांव होंगे शामिल
इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में पांच जिले इंदौर, देवास, उज्जैन, धार और शाजापुर को शामिल किया गया है। कुल क्षेत्रफल करीब 9 हजार वर्ग किमी का होगा। इस एरिया की आबादी 55 लाख के करीब होगी। इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया को डेवलप करने का काम तेजी से हो रहा है।
इंदौर विकास प्राधिकरण( आईडीए) को नोडल एजेंसी बनाया है। आईडीए ने डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्त कर ली है। मेट्रोपॉलिटन एरिया को 4 चरणों में डेवलप किया जाना है। जिसमें इंसेप्शन, सिचुएशन एनालिसिस, रीजनल एवं इन्वेस्टमेंट प्लान और डीपीआर शामिल है।
इसके पहले चरण यानी इंसेप्शन का काम पूरा हो चुका है यानी ये तय हो गया है कि मेट्रोपॉलिटन एरिया का कुल क्षेत्रफल कितना होगा? इनमें कौन-कौन से जिले शामिल होंगे, तहसील और गांवों की संख्या कितनी होगी? अब सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा यानी इसमें शामिल जिलों की अलग-अलग तहसील, निकायों का डेटा, वहां की जनसंख्या, स्थापित उद्योग, क्षेत्र की विशेषता की स्टडी होगी।
इसके बाद वहां की भौगोलिक, आर्थिक, धार्मिक-सामाजिक स्थिति का आकलन होगा। कहां कौन सी इंडस्ट्री है, किस तरह की जरूरतें हैं, इसका भी खाका तैयार होगा। इसके बाद रीजनल एवं इन्वेस्टमेंट प्लान बनेगा जिसमें ये देखा जाएगा कि मेट्रोपॉलिटन एरिया का समान रूप से विकास हो सके। इसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जारी की जाएगी।
अवंतिका मेट्रोपॉलिटन रीजन नाम संभावित
समीक्षा बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि दोनों महानगरों का नाम क्या होगा? इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया के लिए तीन नामों का विकल्प रखा गया है।
- इंदौर-उज्जैन महानगरीय क्षेत्र
- मालवा महानगरीय क्षेत्र
- अवंतिका महानगरीय क्षेत्र
सूत्र बताते हैं कि बैठक में तीसरे विकल्प यानी अवंतिका महानगरीय क्षेत्र पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। हालांकि, अंतिम फैसला मेट्रोपॉलिटन एक्ट बनने के बाद लिया जाएगा।
इंदौर में तेजी से काम की वजह इंदौर मेट्रोपॉलिटन के तेजी से हो रहे काम की वजह है सिंहस्थ 2028। दरअसल, इंदौर का जो एरिया तय हुआ है उसमें दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) को जोड़ा गया है। सरकार की कोशिश है कि इससे उद्योगों और व्यापार को नई गति मिले।
इससे देवास, पीथमपुर, उज्जैन और बदनावर जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही इंदौर, देवास और अन्य शहरों को मजबूत सड़क, रेल और हवाई मार्गों से जोड़ा जाएगा। जिससे सिंहस्थ में आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर कनेक्टिविटी मिल सके।
भोपाल के लिए जून में कंसल्टेंट की नियुक्ति
भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल- सीहोर- रायसेन-विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। भोपाल विकास प्राधिकरण को मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलप करने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। हालांकि अभी तय नहीं है कि इन जिलों का कितना क्षेत्रफल भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में शामिल होगा।
साल 2022 में शिवराज सरकार ने भोपाल में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को मंडीदीप तक विस्तार करने के लिए मेट्रोपॉलिटन एरिया के प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी दी थी। उस वक्त भोपाल मेट्रोपॉलिटन का प्रांरभिक एरिया डिफाइन किया था जिसमें भोपाल की 59 ग्राम पंचायतें और मंडीदीप निवेश क्षेत्र (रायसेन) की 9 ग्राम पंचायतें शामिल की गई थी।
समीक्षा बैठक में बताया गया कि कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए टेंडर जारी किया गया है, जो जून में ओपन होगा।
भोजपाल महानगरीय क्षेत्र हो सकता है नाम
इंदौर की तरह भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया के लिए भी तीन नाम सुझाए गए हैं…
- भोपाल महानगरीय क्षेत्र
- मध्य प्रदेश राज्य राजधानी क्षेत्र
- भोजपाल महानगरीय क्षेत्र
बैठक में मौजूद सूत्र बताते हैं कि भोजपाल महानगरीय क्षेत्र के नाम पर सैद्धांतिक सहमति दी गई है।
इंदौर-भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया का प्रेजेंटेशन सीएम समेत तीन विभागों के मंत्री ने देखा।
नया कानून बनेगा, अथॉरिटी का होगा गठन
दोनों शहरों को मेट्रोपॉलिटन रीजन में डेवलप करने के लिए सरकार को नया कानून बनाना पड़ेगा। बैठक में मप्र मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 2025 का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग को निर्देश दिए गए है। सरकार की कोशिश है कि विधानसभा के मानसून सत्र( जुलाई में संभावित) में मेट्रोपॉलिटन एक्ट के मसौदे को पेश किया जाए।
इसके अलावा महानगर विकास प्राधिकरण( मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी) का गठन किया जाएगा। मुख्यमंत्री अथॉरिटी के अध्यक्ष होंगे। ये अथॉरिटी मेट्रोपोलिटन एरिया का प्लान तैयार करने के साथ इसके क्रियान्वयन में अहम भूमिका अदा करेगी। साथ ही महानगर योजना समिति( मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी) का भी गठन किया जाएगा।
ये समिति मेट्रोपॉलिटन रीजन में आने वाले विभिन्न प्राधिकरण, नगरीय निकायों व जिला पंचायतों के मध्य अधोसंरचना विकास एवं नई विकास योजनाओं में समन्वय का काम करेगी।
मौजूदा प्राधिकरणों के अधिकारों में नहीं होगी कटौती समीक्षा बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी का गठन होने के बाद इंदौर, भोपाल, देवास और उज्जैन में जो विकास प्राधिकरण अस्तित्व में है उनका क्या होगा? नगरीय प्रशासन विभाग ने इसके लिए तीन विकल्प सुझाए
- पहला विकल्प: इंदौर उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण को मर्ज करते हुए नया महानगर विकास प्राधिकरण बनाया जाए।
- दूसरा विकल्प: इंदौर, उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण का अस्तित्व रहेगा और महानगर विकास प्राधिकरण प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन का काम करें।
- तीसरा विकल्प: इंदौर, उज्जैन और देवास विकास प्राधिकरण की सीमाओं के बाहर, शेष क्षेत्र में प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन का काम महानगर विकास प्राधिकरण करें।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में तीसरे विकल्प पर सहमति बनी है, यानी मौजूदा प्राधिकरण शहरों के भीतर प्रभावी रहेंगे और उनकी सीमाओं के बाहर बाकी क्षेत्र में डेवलपमेंट का काम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी देखेगी।
मेट्रोपॉलिटन एरिया बनने से 5 बड़े फायदे
बुनियादी ढांचे और स्मार्ट सिटी विकास: योजना में शामिल होने से नए उद्योगों और निवेशकों को आकर्षित करने का अवसर मिलेगा। नई टाउनशिप, सड़कें, पुल, लॉजिस्टिक पार्क और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी। स्वच्छता, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा।
रोजगार के अवसरों में वृद्धि: नए उद्योगों और व्यापारिक विस्तार से स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
पर्यावरण और जल संरक्षण: योजना में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हरे क्षेत्रों और जल स्रोतों को संरक्षित करने पर ध्यान दिया गया है। झीलों, तालाबों और छोटे नदियों के संरक्षण की योजना बनाई जा रही है।
रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा: योजना के तहत भोपाल-इंदौर में शहरी क्षेत्र से लगे इलाकों में नई आवासीय योजनाएं और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर में उछाल आएगा और निवेशकों के लिए नए अवसर बनेंगे।
कृषि और ग्रामीण विकास: दोनों क्षेत्रों का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। योजना के तहत किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी। कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों में बेचने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा।