मुंबई1 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

अप्रैल से सितंबर बीच छह महीनों में भारत ने 6 बिलियन डॉलर (करीब 50,454 करोड़ रुपए) के ‘मेड इन इंडिया’ आइफोन का एक्सपोर्ट किया है। यह पिछले साल के इसी अवधि के मुकाबले करीब एक तिहाई (33%) ज्यादा है।
मौजूदा वित्त वर्ष (2024-25) के पूरा होने तक इसके 10 बिलियन डॉलर (84,086 करोड़ रुपए) तक पहुंचने की उम्मीद है। ब्लूमबर्ग ने सोर्सेज के हवाले से इस बात की जानकारी दी है।
चीन से डिपेंडेंसी कम करना चाह रही है एपल
एपल चीन और अमेरिकी के बीच तनाव के चलते वहां से अपनी निर्भरता कम करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए एपल भारत में अपने मैन्यूफैक्चरिंग नेटवर्क को तेजी से बढ़ा रही है। इसमें लोकल सब्सिडी, स्कील्ड वर्कफोर्स और देश की टेक्नोलॉजिकल कैपेबिलिटिज एपल को काफी मदद कर रही है।
फॉक्सकॉन एपल स्मार्टफोन्स की सबसे बड़ी सप्लायर
एप्पल के तीन सप्लायर्स – ताइवान के फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप और पेगाट्रॉन कॉर्प और भारत की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स – दक्षिण भारत में आइफोन सेट्स असेंबल करतीं हैं। इसमें फॉक्सकॉन की लोकल यूनिट भारत में आइफोन की सबसे बड़ी सप्लायर है। इसके अलावा कंपनी भारत से आइफोन एक्सपोर्ट में आधा का योगदान करती है।
टाटा की कंपनी ने ₹14,292 करोड़ के आईफोन एक्सपोर्ट किए
अप्रैल से सितंबर के बीच टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने कर्नाटक स्थित कारखाने से करीब 1.7 बिलियन डॉलर (14,292 करोड़ रुपए) के आईफोन एक्सपोर्ट किए। टाटा ने पिछले साल विस्ट्रॉन कॉर्प से यह यूनिट खरीदी थी। यह एपल के सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट्स की पहली भारतीय असेंबलर है।
भारत में 2017 से बन रहे आईफोन
एपल ने 2017 में आईफोन SE के साथ भारत में आईफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी। इसके तीन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस (EMS) पार्टनर- फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन है।
एपल ने पहली बार शिपमेंट में 10 मिलियन यूनिट
मार्केट रिसर्च फर्म काउंटर पॉइंट रिसर्च के अनुसार, एपल ने 2023 में पहली बार भारत में रेवेन्यू जनरेट करने के मामले में टॉप पॉजीशन हासिल की है। हालांकि, सेल्स के मामले में सैमसंग आगे बना हुआ है।
काउंटरपॉइंट ने रिपोर्ट में बताया कि एपल ने पिछले साल पहली बार शिपमेंट में 10 मिलियन यूनिट का आंकड़ा पार किया। ट्रेड इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म द ट्रेड विजन के अनुसार, भारत से एपल का आईफोन एक्सपोर्ट 2022-23 में 6.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 12.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो करीब 100% की भारी वृद्धि दिखाता है।