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Actor Darshan Kumar will soon be seen in the lead role | द कश्मीर फाइल्स के बाद बदल रहा करियर ग्राफ: दर्शन कुमार बोले, अब मिल रहे हैं लीड रोल, सितंबर में बड़ी फिल्म रिलीज होगी


19 मिनट पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता

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दर्शन कुमार ने ‘मैरी कॉम’ से लेकर ‘द कश्मीर फाइल्स’ और वेब सीरीज ‘आश्रम’ तक अपने हर किरदार से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। इस खास बातचीत में उन्होंने आने वाली फिल्मों और अन्य बातों पर चर्चा की…

आपकी आने वाली फिल्में कौन सी हैं जिनमें आप लीड रोल में हैं?

कुछ बहुत अच्छे कॉन्सेप्ट पर काम चल रहा है और दो फिल्मों की शूटिंग तो लगभग पूरी हो चुकी है, जिनमें मैं लीड रोल में हूं। फिलहाल नाम नहीं रिवील करने की इजाजत है। अभी प्रोड्यूसर्स से बातचीत चल रही है। बड़े निर्देशकों के साथ काम करने में बजट थोड़ा ज़्यादा होता है क्योंकि उनकी फीस और टॉप लेवल की टीम शामिल होती है।

‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी मेरी पिछली फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन किया, जिससे मेकर्स को हिम्मत मिल रही है कि अगर कॉन्सेप्ट और फिल्म अच्छी हो तो कम बजट में भी अच्छा काम किया जा सकता है। निर्देशकों की तरफ से सकारात्मक संकेत हैं, बस उन्हें थोड़ा और आत्मविश्वास दिखाने की ज़रूरत है। मैं इस बात को लेकर श्योर हूं कि निर्देशक अब मुझे लीड रोल में लेने के लिए तैयार हैं।

क्या अब दर्शक आपको लीड रोल में ज्यादा देखेंगे?

‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद ‘धोखा’ आई जिसमें माधवन लीड रोल में थे, उनके साथ मेरा भी किरदार काफी मजबूत था। ‘कागज 2′, जिसमें अनुपम जी और मैं मुख्य भूमिकाओं में थे। तो हां, धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। मेरी अगली फिल्म सितंबर में रिलीज होने वाली है, जिसमें मैं लीड में हूं।

‘आर एम सी एस’ नामक एक और प्रोजेक्ट पर बातचीत चल रही है और अगर सब ठीक रहा तो मैं उसे भी साइन कर लूंगा। इसके अलावा भी दो-तीन फिल्मों पर चर्चा चल रही है। इसलिए हां, अब मैं लीड रोल्स पर ज़्यादा ध्यान दे रहा हूं।

स्क्रिप्ट चुनते समय आपका क्या पैमाना होता है?

मेरा सीधा सा फंडा है कि जब मैं कोई स्क्रिप्ट पढ़ता हूं तो उसे एक बार में पढ़ता हूं, बिना किसी डिस्टरबेंस के, एक दर्शक की तरह। अगर वह कहानी और किरदार मेरे दिल को छूते हैं, तो मुझे लगता है कि यह दर्शकों के दिलों को भी छुएंगे। मैं देखता हूं कि मेरे किरदार में कितना दम है, कितनी संभावना है। अगर मेरा दिल कहता है ‘हां’, तभी मैं उस प्रोजेक्ट को साइन करता हूं।

‘मैरी कॉम’ के बाद मैंने बहुत सोच-समझकर फिल्में की हैं। मैं अच्छा काम करना चाहता हूं, भले ही वह कम हो।

वेब सीरीज आपके करियर के लिए कितनी फायदेमंद रही हैं?

मुझे लगता है कि फिल्में टी20 मैच की तरह होती हैं, जहां आपके पास सीमित समय होता है और आपको कई किरदारों को उस दायरे में ही समेटना होता है। वहीं, वेब सीरीज टेस्ट मैच की तरह होती है, जहां आप खुलकर खेल सकते हैं, अपने किरदार को गहराई से विकसित कर सकते हैं।

थिएटर की तरह, हर एपिसोड के बाद आपको अपने किरदार की नई परतें समझने को मिलती हैं। वेब सीरीज का एक और फायदा यह है कि लोग इसे अपने निजी समय और स्थान पर देखते हैं, जिससे एक जुड़ाव महसूस करते हैं। एक वेब सीरीज लगभग चार-पांच फिल्मों के बराबर होती है, इसलिए जब दर्शक आपको इतने लंबे समय तक देखते हैं, तो वे आपके किरदार और कहानी से जुड़ जाते हैं। लंदन में शूटिंग के दौरान लोगों का प्यार देखकर मुझे यह एहसास हुआ कि वेब सीरीज के किरदारों से लोगों का कितना गहरा नाता बन जाता है।

‘द फैमिली मैन’ के दौरान क्या मनोज बाजपेयी कुछ गाइडेंस भी देते रहे?

अमेजिंग एक्सपीरियंस! ‘द फैमिली मैन’ में हमारे ज़्यादातर सीन्स अलग-अलग लोकेशन्स पर शूट होते थे। हालांकि इस बार हमें साथ में काम करने का मौका मिला। उन्होंने अपने हाथ का बना हुआ बहुत ही स्वादिष्ट मटन खिलाया, जो मैंने अपनी जिंदगी में पहले कभी नहीं खाया था। उनके साथ मैंने पहले ‘बागी 2′ में भी काम किया है। उनके साथ हमेशा बड़े भाई जैसा महसूस होता है। वह हमेशा सपोर्टिव रहते हैं और हम सीन्स पर बहुत डिस्कस करते हैं क्योंकि हम दोनों थिएटर से हैं।

वह सीन्स पर बहुत मेहनत करते हैं, तो बड़ा मजा आता है। वह भी मेरी तरह एक छोटे शहर से आए हैं और आज इतने बड़े मुकाम पर पहुंच गए हैं, तो वह अपने अनुभव और मुश्किल समय से कैसे निपटा जाए, इस बारे में भी गाइड करते हैं। उनके जैसे बेहतरीन और अच्छे इंसान के साथ काम करना कमाल का अनुभव है। ‘द फैमिली मैन’ सीजन 3 की शूटिंग मैंने पूरी कर ली है और अभी डबिंग चल रही है। यह जल्द ही अमेजन प्राइम वीडियो पर आएगा।

बॉबी देओल के साथ ‘आश्रम’ में काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बॉबी देओल जितने बेहतरीन कलाकार हैं, उससे भी बेहतरीन इंसान भी हैं। जब हम ‘आश्रम’ के पहले पार्ट की शूटिंग अयोध्या में कर रहे थे, तो हमारे कमरे आसपास ही थे। वह अक्सर सोफे पर बैठ जाते थे और सबको बुलाकर रिहर्सल करते थे, बातें करते थे ताकि हम किरदारों पर अच्छे से काम कर सकें।

उनका काम के प्रति बहुत जुनून है और वह मुझे छोटे भाई की तरह ट्रीट करते हैं। मैं उन्हें आधी रात को भी किसी भी काम के लिए कॉल कर सकता हूं। वह हमेशा बड़े भाई की तरह रिस्पॉन्ड करते हैं। हम लगभग हर हफ्ते वीडियो कॉल पर बात करते रहते हैं। उनसे मेरा रिश्ता परिवार जैसा हो गया है। दिल्ली का होकर मुंबई आकर मुझे एक परिवार और एक बड़ा भाई मिला, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है।

क्या कभी बॉबी देओल ने शूट के दौरान कुछ निजी बातें भी आपसे चर्चा कीं?

‘आश्रम’ उनके लिए बहुत लकी साबित हुआ। इसके बाद उन्हें पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी हैं क्योंकि उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर बहुत मेहनत की। मुझे याद है कि हम हर सीन पर कितनी मेहनत करते थे। उन्होंने अपने किरदार ‘बाबा’ को एक भोला-भाला दिखने वाला इंसान और एक शातिर कॉनमैन के रूप में दिखाने के लिए बहुत मेहनत की। उनकी मेहनत रंग लाई और आज वह हर जगह छाए हुए हैं।

एक एक्टर के तौर पर हमें भी अच्छा लगता है कि कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। मेरी पसंदीदा लाइन है, “लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।’ बॉबी भाई ने यह करके दिखाया कि उन्होंने खुद पर विश्वास रखा, मेहनत की और देखिए, आज वह कितने प्रोजेक्ट साइन कर रहे हैं। बाकी जो उन्होंने पब्लिकली भी एक्सेप्ट किया था कि एक समय उनके पास काम नहीं था और वह लोगों से काम मांग रहे थे, वैसी चर्चाएं मुझसे भी हुईं।

प्रकाश झा कलाकारों को रिपीट करते हैं। ‘आश्रम’ के बाद क्या किसी और प्रोजेक्ट पर चर्चा हुई है?

वह अभी अपनी नई फिल्म पर फोकस कर रहे हैं। ‘आश्रम’ के चौथे पार्ट की भी शायद बात चल रही है और स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। मुझे उम्मीद है कि अगर वह कुछ बनाएंगे तो हमें जरूर याद रखेंगे। भगवान करे यह बात उन तक पहुंचे और उन्हें याद रहे।

एक्टिंग के अलावा आपकी और किन चीजों में दिलचस्पी है?

मैं बचपन में कविताएं लिखता था और उन्हें परफॉर्म करना मुझे बहुत अच्छा लगता था। लिखने का थोड़ा शौक है लेकिन वह शौकिया तौर पर। कुछ चीजें अभी भी लिख रहा हूं और इसके अलावा, मेरा इंटरेस्ट डायरेक्शन में भी बढ़ रहा है, तो भविष्य में शायद मैं कोई फिल्म डायरेक्ट भी करूं।



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