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CJI ने कहा- न्याय व्यवस्था दिव्यांग बच्चों की परेशानियां समझे: कहा- मेरी दो दिव्यांग बेटियां हैं, उन्होंने मेरा दुनिया को देखने का नजरिया बदला


नई दिल्ली7 मिनट पहले

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वर्कशाप का थीम विकलांग बच्चों की सुरक्षा और कल्याण था।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि न्याय व्यवस्था को दिव्यांग बच्चों की जरूरतों को समझना चाहिए। मेरी दो दिव्यांग बेटियां है, जिन्होंने मेरा दुनिया देखने का नजरिया ही बदल दिया है।

CJI बाल संरक्षण पर नौवे नेशनल एनुअल स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन वर्कशाप को संबोधित कर रहे थे। सीजेआई, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और जस्टिस नागरत्ना ने दिव्यांग व्यक्तियों पर हैंडबुक जारी की। यह समाज को सही शब्दावली का इस्तेमाल करने में मदद करेगी।

विकलांगता लिंग, जाति और आर्थिक स्थिति के साथ मिलकर और भेदभाव पैदा करती है CJI ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था में पुलिस से लेकर कोर्ट रूम तक दिव्यांग बच्चों की परेशानियों को समझा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों को शारीरिक चुनौतियों के साथ-साथ समाज में मौजूद गलत धारणाओं का भी सामना करना पड़ता है। दिव्यांग लिंग, जाति और आर्थिक स्थिति के साथ मिलकर और भी अधिक भेदभाव पैदा करती है।

रेस्टोरेटिव जस्टिस के तरीकों को शामिल करने पर जोर दिया उन्होंने जूडिशल सिस्टम में पुनर्स्थापनात्मक न्याय (रेस्टोरेटिव जस्टिस) के तरीकों को शामिल करने पर जोर दिया, जिससे बच्चों को शिक्षा और वोकेशनल ट्रेनिंग मिल सके। समानता, सम्मान और भेदभाव न होना दिव्यांग बच्चों के मौलिक अधिकार है।

चार मुद्दों पर पॉलिसी मेकर्स को ध्यान देने के लिए आग्रह किया सीजेआई ने चार बातों पर न्यायपालिका और पॉलिसी मेकर्स को ध्यान देने के लिए कहा-

  1. समस्या को पहचानना- उन्होंने कहा कि ऐसे दिव्यांग बच्चों का कोई डाटा नहीं जो सेक्सुअल ऑफेंस से पीड़ित होते हो या कानून के साथ कैसे भी टकराते हैं। ऐसे दिव्यांग बच्चों के मुद्दों के दायरे को समझे बिना नीतियां कैसे बना सकते हैं और समाधान कैसे लागू कर सकते हैं? इस पर उन्होंने सुझाव दिया कि हमें जवेलाइन जस्टिस के फ्रेमवर्क में डेटा क्लेकशन सिस्टम को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  2. जांच करना- हमारे पास दिव्यांग बच्चों के लिए न्याय तक पहुँचने के रास्ते को सुविधाजनक बनाने के लिए मजबूत ढाँचा है।
  3. क्षमता निर्माण- इस पर सीजेआई ने कहा कि पुलिस और वकील विकलांग बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों को सही से नहीं समझ पाते। इस पर सुझाव देते हैं कि इन बच्चों की छोटी से छोटी कमजोरी को समझने के लिए जस्टिस सिस्टम से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग लेनी चाहिए।
  4. आपस में जुड़े हुए मुद्दे- सीजेआई ने कहा कि विकलांगता अक्सर लिंग, जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थिति जैसी पहचानों से जुड़ी होती है, जिससे बच्चों के साथ होने वाले भेदभाव और बढ़ जाते हैं।

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