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अल्बर्टा3 मिनट पहले
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कनाडा के कैननास्किस में G7 समिट शुरू हो गया है। इस समिट में सभी 7 सदस्य देशों के बीच इजराइल-ईरान संघर्ष पर सहमति बनना मुश्किल नजर आ रहा है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि, जाहिर है इस पर चर्चा होगी लेकिन प्रस्ताव को ठोस रूप देना बाकी है। हमें लोगों को एक साथ लाना होगा यह कैसे किया जाएगा इस पर बात करनी होगी।
कनाडा की न्यूज वेबसाइट CBC ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि, अमेरिकी राष्ट्रपति इजराइल और ईरान से जुड़े जी7 के जॉइंट बयान पर साइन करने को तैयार नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और कनाडा के पीएम मार्क कार्नी के बीच मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद ट्रम्प ने कहा- G7 पहले G8 हुआ करता था। बराक ओबामा और ट्रूडो दो ऐसे शख्स थे जो रूस को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे। और मैं कहूंगा कि यह एक गलती थी।
कनाडाई पीएम की वर्ल्ड नेताओं के साथ पहली बैठक
कनाडाई पीएम मार्क कार्नी की वर्ल्ड नेताओं के साथ पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक है। उन्हें 4 चैलेंज का सामना करना पड़ सकता है।
1. ईरान-इजराइल संकट: ईरान का मुद्दा G7 एजेंडा में सबसे ऊपर रहेगा। इस पर सहमति बनाना कठिन साबित हो सकता है।
2. ट्रम्प का टैरिफ: यह समिट ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक व्यापार युद्ध चल रहा है। इसकी ट्रम्प ने की थी। वे कारोबारी रिश्तों को संतुलित करने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल कर रहे हैं।
3. 2018 जैसे वॉकआउट से बचना: राष्ट्रपति के तौर पर ट्रम्प की यह दूसरी कनाडा यात्रा है। पहली बार वे 2018 में क्यूबेक के शार्लवॉ में G7 समिट में शामिल हुए थे। उस समय बैठक में माहौल गरमा गया था। ट्रम्प ने कनाडा, मैक्सिको और यूरोप पर स्टील और एल्युमिनियम टैरिफ लगा दिए थे।
4. भारत जैसे देशों से रिश्ते सुधारना: मेजबान कनाडा ने उन नेताओं को भी आमंत्रित किया है, जो G7 के स्थायी सदस्य नहीं हैं, जैसे भारत के पीएम मोदी। पिछले कुछ सालों से भारत-कनाडा के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हैं। उनके सामने रिश्ते सुधारना एक बड़ी चुनौती होगा।
G7 समिट के पल-पल के अपडेट के लिए नीचे के ब्लॉग से गुजर जाएं…
लाइव अपडेट्स
3 मिनट पहले
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कनाडा पीएम बोले- आज दुनिया हमारी तरफ देख रही है
कनाडा के कैननास्किस में G7 समिट शुरू हो गया है। पहले सेशन की राउंड टेबल बैठक जारी है।
कनाडा पीएम ने G7 बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि, आज हम जिस वक्त जी7 मीटिंग कर रहे हैं तब दुनिया में काफी हलचल है। देश बंटे हुए हैं। कार्नी ने कहा कि अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, जापान, यूनाइटेड किंगडम और इटली के नेता एक साथ बैठे हैं। दुनिया हमारी तरफ देख रही है। अगले दो दिन हम समिट में खुलकर चर्चा करेंगे।
3 मिनट पहले
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G7 समिट शुरू, कनाडाई पीएम ने सदस्य देशों का वेलकम किया
कनाडा पीएम मार्क कार्नी ने पत्नी के साथ डोनाल्ड ट्रम्प का स्वागत किया।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ कनाडाई पीएम कार्नी।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और उनकी पत्नी डायना फॉक्स ने जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और उनकी पत्नी योशिको का वेलकम किया।
मार्क कार्नी और उनकी पत्नी डायना फॉक्स ने इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी का स्वागत किया।
G7 समिट आधिकारिक रूप से शुरू हो गई है। वेलकम सेरेमनी जारी है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सभी G7 लीडर्स का वेलकम किया।
3 मिनट पहले
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G7 समिट में पहुंचे सभी सदस्य देश, PM मोदी कल शामिल होंगे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अलावा इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर समिट में शामिल होने के लिए कनाडा के अल्बर्टा पहुंचे है।
उधर PM मोदी भी सोमवार देर रात साइप्रस से कनाडा के लिए निकल गए। मोदी की PM मार्क कार्नी के साथ पहली मुलाकात होगी। जनवरी 2025 में जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद 14 मार्च को मार्क कार्नी कनाडा के नए PM बने थे। जस्टिन ट्रुडो के वक्त भारत-कनाडा के संबंधों में खटास आई थी। भारत को G7 समिट का न्योता समिट शुरू होने के ठीक 10 दिन पहले मिला था।
उधर, PM मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प की समिट के इतर ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली मुलाकात हो सकती है।
4 मिनट पहले
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G7 समिट में इजराइल और ईरान संघर्ष पर सहमति बनना मुश्किल
G7 समिट में इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष रोकने के प्रस्ताव पर एक आम सहमति बन सकती है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि, जाहिर है इस पर चर्चा होगी लेकिन प्रस्ताव को ठोस रूप देना बाकी है। हमें लोगों को एक साथ लाना होगा यह कैसे किया जाएगा इस पर बात करनी होगी।
कनाडा की न्यूज वेबसाइट CBC ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि, अमेरिकी राष्ट्रपति इजराइल और ईरान से जुड़े जी7 के जॉइंट बयान पर साइन करने की तैयारी में नहीं है।
4 मिनट पहले
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ट्रम्प बोले- रूस को G8 से बाहर करना एक गलती थी
ट्रम्प ने एक बार फिर रूस को G8 से बाहर करने को गलती माना। दरअसल रूस पहले इसी ग्रुप का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया को अपने कब्जे में लेने के बाद उसे बाहर कर दिया गया।
ट्रम्प ने कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का जिक्र करते हुए कहा, G7 पहले G8 हुआ करता था। बराक ओबामा और ट्रूडो दो ऐसे शख्स थे जो रूस को इसमें शामिल नहीं करना चाहते थे। और मैं कहूंगा कि यह एक गलती थी, क्योंकि मुझे लगता है कि अगर रूस इसमें शामिल होता तो आज युद्ध नहीं होता और अगर चार साल पहले ट्रम्प राष्ट्रपति होते तो आज युद्ध नहीं होता।
4 मिनट पहले
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G7 समिट की शुरुआत से पहले ट्रम्प और कार्नी मिले
अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष में अमेरिका को सीधे तौर पर शामिल होने के लिए क्या करना होगा, उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते। ट्रम्प ने कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान कहा, “उन्हें बात करनी चाहिए, मैं तो कहूंगा कि ईरान यह युद्ध नहीं जीत रहा है।
4 मिनट पहले
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सवाल-1: G7 क्या है, इसमें कौन-कौन से देश हैं?
जवाब: G7 यानी ‘ग्रुप ऑफ सेवन’, दुनिया के उन 7 देशों का समूह है, जिन्हें दुनिया की ‘मॉडर्न इकोनॉमी’ वाला देश कहा जाता है। ये देश हैं- अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जापान, इटली, कनाडा और जर्मनी।
पहले इसका नाम G-8 हुआ करता था। 2014 में रूस ने पड़ोसी देश क्रीमिया पर कब्जा कर लिया तो बाकी सदस्य देशों ने रूस को ग्रुप से बाहर कर दिया। इसका नाम G7 हो गया।
5 मिनट पहले
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सवाल-2: G7 समिट क्या है, इस बार इसके एजेंडे की खास बात क्या है?
जवाब: एक तय एजेंडे पर बातचीत के लिए हर साल G7 समिट होती है, जिसका आयोजन G7 का अध्यक्ष देश करता है। दरअसल, G7 के सभी 7 देश बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता करते हैं। इस साल कनाडा अध्यक्षता कर रहा है। ऐसे में G7 समिट कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस शहर में होगी। इस समिट के एजेंडे में वैश्विक शांति और सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता, विकास और डिजिटल डेवलपमेंट जैसे मुद्दे हैं।
इसके अलावा G7 के सदस्य देशों के लीडर्स और ऑफिसर्स साल में कई बैठकें करते हैं, जिनमें कई समझौते होते हैं और दुनिया की बड़ी घटनाओं पर आधिकारिक बयान जारी किए जाते हैं। शुरुआत में G7 का एजेंडा आर्थिक चुनौतियों और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हल निकालना था। बाद में राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी इसमें शामिल हो गए। वैश्विक मुद्दों पर G7 के फैसलों का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है।
उदाहरण के लिए G7 ने 2002 में मलेरिया और एड्स से लड़ने के लिए ग्लोबल फंड बनाया। 1998 में वित्तीय संकट के दौरान इंडोनेशिया और थाईलैंड जैसे देशों को आर्थिक मदद की। रूस-यूक्रेन जंग के दौरान रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने और यूक्रेन की मदद करने का फैसला किया।
2024 में इटली में हुई समिट के दौरान G7 के टॉप लीडर्स।
5 मिनट पहले
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सवाल-3: इससे पहले पीएम मोदी G7 समिट में कितनी बार शामिल हुए?
जवाब: G7 समिट के लिए आमतौर पर भारतीय प्रधानमंत्रियों को बुलाया जाता रहा है। 2004 से 2014 तक पीएम रहे मनमोहन सिंह ने पांच बार G-8 समिट में हिस्सा लिया था।
वहीं पीएम मोदी को पहली बार 2019 में फ्रांस के बियारिट्ज में हुई समिट में बुलाया गया था। इसके बाद 2020 में अमेरिका को मेजबानी करनी थी, लेकिन अमेरिका ने तब समिट रद्द कर दी। इस एक साल को छोड़ दें तो 2019 से 2024 तक हर साल पीएम मोदी G7 समिट में शामिल हुए। 2021 में वे वर्चुअल मीडियम से इसमें शामिल हुए। फिर 2022 में जर्मनी, 2023 में जापान और 2024 में इटली में हुई G7 समिट में शामिल हुए।
5 मिनट पहले
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सवाल-4: इस बार भारत को न्योता मिलने में देरी के क्या मायने हैं?
1. कनाडा के खालिस्तान समर्थकों ने मोदी को न्योता न देने की मांग की: पूरे कनाडा में 7 लाख से ज्यादा सिख रहते हैं। भारत के बाद सबसे ज्यादा सिख यहीं हैं। कनाडा की सरकारों में खालिस्तानी मूवमेंट को सपोर्ट करने वाले मंत्री मौजूद हैं। कनाडा में भारत का विरोध करने वाली एक बड़ी लॉबी है, जो नहीं चाहती कि भारत-कनाडा के संबंध बेहतर हों।
JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर एके पाशा के मुताबिक, ‘इसी लॉबी ने कनाडा की सरकार पर दबाव डाला कि पीएम मोदी को समिट में न बुलाया जाए। कनाडा में अभी भी खालिस्तानी मूवमेंट मजबूत है। भारत मांग करता रहा है कि कनाडा खालिस्तान समर्थकों के प्रति सख्ती से पेश आए, लेकिन कनाडा सरकार भारत पर दबाव बनाने के लिए उन्हें सपोर्ट करती रही है। मार्क कार्नी का रवैया भी इस मामले में ढीला है।’
2- पीएम मोदी न्योता स्वीकारेंगे, ये कन्फर्म नहीं था: JNU में इंटरनेशनल रिलेशंस के एसोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं, ‘कनाडा की नई सरकार से भी भारत के वैचारिक मतभेद हैं। ऐसे में ये कन्फर्म नहीं था कि पीएम मोदी कनाडा का इनविटेशन एक्सेप्ट करेंगे। ट्रूडो की सरकार होती, तो शायद ही पीएम मोदी कनाडा जाते। जब किसी देश से संबंध ठीक नहीं होते तो ऐसी अड़चनें आती हैं, BRICS की मीटिंग अगर चीन में होती है तो भी ये मुद्दा उठता है कि पीएम चीन जाएंगे या नहीं।’
प्रो. एके पाशा कहते हैं,
पीएम मोदी का सभी विदेश यात्राओं में खूब स्वागत किया जाता है। अगर कनाडा की तरफ से न्योता नहीं आता, तो ये भारत की विदेश नीति के लिए बड़ा झटका होता।
5 मिनट पहले
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सवाल-5: समिट में पीएम मोदी क्या करेंगे?
जवाब: प्रो. राजन कुमार बताते हैं कि समिट में आर्थिक मुद्दों, क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों पर ही बात होगी। आतंकवाद पर भी देशों के लीडर्स गोल-मोल बातें करेंगे। हालांकि G7 की अहमियत अब घटी है। ट्रम्प ने इसके बाकी सदस्य देशों पर टैरिफ लगा रखा है। ऐसे में G7 के अंदर एक तरह का डिवाइड हो गया है। G7 में पीएम मोदी शामिल जरूर होंगे, लेकिन वे किसी देश से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे, इसकी संभावना कम है।’
G7 इटली समिट के दौरान अन्य देशों के नेताओं के साथ पीएम मोदी।
6 मिनट पहले
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सवाल-6: क्या इस दौरान खालिस्तानी गुट प्रोटेस्ट कर सकते हैं?
जवाब: कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में 1 लाख से ज्यादा सिख रहते हैं। कानानास्किस शहर में जहां समिट होनी है, वहां बड़े विरोध प्रदर्शन होने वाले हैं। कनाडाई न्यूज चैनल CTV के मुताबिक, कानानास्किस के सीनियर पुलिस ऑफिसर डेविड हॉल ने कहा है कि प्रोटेस्ट के लिए 3 जोन तय किए गए हैं, जहां से प्रोटेस्ट को G7 में शामिल हो रहे नेताओं को लाइव दिखाया जाएगा, क्योंकि नेता इन प्रोटेस्ट को देख-सुन नहीं सकते थे।’
दरअसल, कनाडा सरकार ‘शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट’ को जनता का अधिकार बताती है। इससे पहले भी भारत के एतराज के बावजूद कनाडा ने भारतीय दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी थी।
प्रो. एके पाशा बताते हैं,
पीएम मोदी के पहुंचने पर सिख ग्रुप उग्र प्रोटेस्ट कर सकते हैं। संभव है कि इसीलिए पीएम मोदी के समिट में शामिल होने को लेकर फैसला लेने में देरी हुई।
6 मिनट पहले
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सवाल-7: क्या G7 समिट से कनाडा और भारत के रिश्ते सुधरेंगे?
जवाब: इसके लिए पहले कनाडा और भारत के रिश्तों का थोड़ा बैकग्राउंड समझ लीजिए-
- 2023 में तब के कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर कनाडा में रह रहे खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था। इसके बाद भारत और कनाडा के संबंध अच्छे नहीं रहे।
- जनवरी 2025 में ट्रूडो के इस्तीफे के बाद 14 मार्च को मार्क कार्नी कनाडा के नए पीएम बने थे। 25 मई को नई विदेश मंत्री अनीता आनंद और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच फोन पर बात हुई। मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों की ये पहली ऑफिशियल बातचीत थी।
- इसके बाद अनीता ने एक इंटरव्यू में कहा कि कनाडा, बिजनेस बढ़ाने के लिए अमेरिका से अलग, भारत के साथ संबंधों को दोबारा बेहतर कहना चाहता है।
- मई में एक इंटरव्यू में अनीता ने कहा था, ‘कानून के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा, इस केस (निज्जर हत्याकांड) में जांच जारी है। हम भारत के साथ पार्टनरशिप बढ़ाने पर भी ध्यान दे रहे हैं।’
प्रो. एके पाशा कहते हैं, ‘भारत ने निज्जर की हत्या में किसी भी तरह का हाथ होने से इनकार कर दिया था, लेकिन कार्नी सरकार भारत से इस मामले की जांच में सपोर्ट मांग रही है। ये मुद्दा अभी भी गर्म है। हालांकि कार्नी के सत्ता में आने के बाद भारत और कनाडा के संबंध बेहतर होने की उम्मीद बढ़ी है।’
प्रो. राजन कुमार कहते हैं,
ट्रम्प ने कनाडा को अमेरिका का 51वां स्टेट बनाने को कहा था। वहीं कनाडा पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से कनाडा को नुकसान हुआ। चीन से उसके रिश्ते ठीक नहीं हैं। ऐसे में इस समिट के जरिए कनाडा, भारत से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेगा।
7 मिनट पहले
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सवाल-8: ट्रम्प और मोदी के बीच मुलाकात के दौरान क्या बात हो सकती है?
2019 में फ्रांस में हुई G7 समिट में पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की थी।
जवाब: हमेशा की तरह पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं को G7 समिट के लिए इस बार भी नहीं बुलाया गया। वहीं ऑपरेशन सिंदूर के बाद ये पहला मौका है जब कनाडा में ट्रम्प से पीएम मोदी की मुलाकात होगी।
प्रो. एके पाशा कहते हैं, ‘ट्रम्प ईरान के परमाणु हथियार, इजराइल-गाजा और रूस-यूक्रेन युद्ध पर कुछ खास नहीं कर पाए हैं। इसलिए बार-बार वे भारत-पाकिस्तान सीजफायर करवाने का क्रेडिट ले रहे हैं, जबकि पीएम मोदी ने इस पर अभी तक कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे ट्रम्प को नाराज नहीं करना चाहते। पीएम मोदी, ट्रम्प से मिलकर अपना पक्ष समझा सकते हैं, लेकिन ट्रम्प मुंहफट हैं। ऐसे में वे टकराव कर सकते हैं।’
प्रो. राजन कुमार भी कहते हैं, ‘पीएम मोदी, ट्रम्प के सामने पाकिस्तान को लेकर कोई चर्चा नहीं करेंगे। ट्रम्प एक मिस-गाइडेड मिसाइल हैं। वह कब-क्या बोल दें, इसका भरोसा नहीं है।’
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8 मिनट पहले
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सवाल-9: G20 से कैसे अलग है G7 ?
जवाब: G7 का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है और इसके सदस्य देश कोई अंतरराष्ट्रीय कानून पारित नहीं कर सकते। G20 में सबसे बड़ा मुद्दा वर्ल्ड इकोनॉमी होता है, जबकि G7 के लिए राजनीतिक मुद्दे भी अहम होते हैं। 1999 में बने G20 में G7 के देशों के अलावा BRICS के देश भी शामिल हैं। इन देशों में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्किये और यूरोपीय संघ शामिल हैं। राजन कुमार के मुताबिक G20 में नई और बढ़ती हुई इकोनॉमी वाले देशों को भी शामिल किया गया है। भले ही G7 और G20 का एजेंडा एक जैसा हो, लेकिन इस समय G20 ज्यादा प्रभावी गुट है। 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी G7 को बहुत आउटडेटेड ग्रुप कहा था।