तिरुवनंतपुरम8 मिनट पहले
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केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवकुट्टी ने NCERT के इंग्लिश मीडियम की किताबों के लिए हिंदी नाम रखने के फैसले की कड़ी आलोचना की।
देश भर में न्यू एजुकेशन पाॅलिसी (NEP-2020) पर छिड़े भाषा विवाद के बीच राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कई किताबों के इंग्लिश नाम बदलकर हिंदी नाम रख दिए है।
NCERT के इस कदम के बाद नई बहस छिड़ गई है। भाषा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी को बढ़ावा देने की कोशिश है। तमिलनाडु जैसे राज्य इसका पहले ही विरोध कर चुके हैं।
केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी शिवकुट्टी ने NCERT के इंग्लिश मीडियम की किताबों के लिए हिंदी नाम रखने के फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा- यह गंभीर तर्कहीनता है और भारत की भाषाई विविधता को कमजोर करने वाला कदम है।
मंत्री ने कहा – ‘केरल, अन्य गैर-हिंदी भाषी राज्यों की तरह, भाषाई विविधता की रक्षा करने और क्षेत्रीय सांस्कृतिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध है। NCERT का यह निर्णय संघीय सिद्धांतों और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। पाठ्यपुस्तकों में शीर्षक केवल नाम नहीं हैं, वे बच्चों की धारणा और कल्पना को आकार देते हैं।’
शिवकुट्टी ने NCERT से इस फैसले की समीक्षा करने और इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने सभी राज्यों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा- शिक्षा को थोपने का साधन नहीं बल्कि सशक्तिकरण और आम सहमति का साधन होना चाहिए।
कक्षा 6 की की इंग्लिश किताब का नाम ‘हनीसकल (HONEYSUCKLE)’ से बदलकर ‘पूर्वी (POORVI)’ कर दिया गया है।
NCERT ने इंग्लिश किताब मैरीगोल्ड का नाम मृदंग किया
हाल ही में, NCERT ने विभिन्न कक्षाओं के लिए किताबों के नए नाम जारी किए। कक्षा 1 और कक्षा 2 की इंग्लिश किताबों का नाम मैरीगोल्ड (MARIGOLD) से बदलकर ‘मृदंग (MRIDANG)’ और कक्षा 3 की पुस्तक का नाम ‘संतूर (SANTOOR)’ रखा गया है।
कक्षा 6 की की इंग्लिश किताब का नाम ‘हनीसकल (HONEYSUCKLE)’ से बदलकर ‘पूर्वी (POORVI)’ कर दिया गया है। मैथ्स की किताबों के लिए भी यही पैटर्न अपनाया गया है। कक्षा 6 की गणित की किताब, जो पहले इंग्लिश में मैथमेटिक्स और हिंदी में गणित थी, अब दोनों भाषाओं में यह गणित नाम से आएगी।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पहले भी ” हिंदी थोपने” के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की थी, उनका दावा था कि केंद्र सरकार ने NEP में तीन भाषा फार्मूले को लागू करने से इनकार करने के कारण राज्य के स्कूलों को फाइनेंस देने से इनकार कर दिया था।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने शिक्षा का राजनीतिकरण न करने की अपील की थी
ट्राई लैंग्वेज विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन को लेटर लिखा था। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की थी।
उन्होंने लिखा था, ‘किसी भी भाषा को थोपने का सवाल नहीं है। लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता खुद की भाषा को सीमित करती है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।’
धर्मेंद्र प्रधान ने अपने लेटर में मई 2022 में चेन्नई में पीएम मोदी के ‘तमिल भाषा शाश्वत है’ के बायन का जिक्र करते हुए लिखा- मोदी सरकार तमिल संस्कृति और भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मैं अपील करता हूं कि शिक्षा का राजनीतिकरण न करें।
जानिए क्यों शुरू हुआ ये विवाद
NEP 2020 के तहत, स्टूडेंट्स को तीन भाषाएं सीखनी होंगी, लेकिन किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। राज्यों और स्कूलों को यह तय करने की आजादी है कि वे कौन-सी तीन भाषाएं पढ़ाना चाहते हैं। किसी भी भाषा की अनिवार्यता का प्रावधान नहीं है। प्राइमरी क्लासेस (क्लास 1 से 5 तक) में पढ़ाई मातृभाषा या स्थानीय भाषा में करने की सिफारिश की गई है।
वहीं, मिडिल क्लासेस (क्लास 6 से 10 तक) में तीन भाषाओं की पढ़ाई करना अनिवार्य है। गैर-हिंदी भाषी राज्य में अंग्रेजी या एक आधुनिक भारतीय भाषा होगी। सेकेंडरी सेक्शन यानी 11वीं और 12वीं में स्कूल चाहे तो विदेशी भाषा भी विकल्प के तौर पर दे सकेंगे। कई नेता NEP 2020 से असहमत थे।
संसद के बजट सत्र के पहले दिन से DMK सांसदों ने नई शिक्षा नीति का विरोध किया था। प्रदर्शन करते हुए सांसद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के करीब पहुंच गए थे और जमकर नारेबाजी की थी।
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