हिंदू धर्म में पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व है. हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है और इसका समापन आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर होता है. पितरों को समर्पित 15 दिनों की यह अवधि बहुत शुभ मानी जाती है, इन दिनों पितरों के नाम का तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितरों के प्रसन्न होने से जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती. साथ ही इस बार पितृ पक्ष से एक दिन पहले साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. आइए जानते हैं साल 2025 में पितृपक्ष कब से शुरू हो रहे हैं और श्राद्ध की प्रमुख तिथियों के बारे में जानें…
पितृ पक्ष का महत्व
पितरों को प्रसन्न करने के लिए पूर्वजों के नाम का श्राद्ध करें और गरीब व जरूरतमंद लोगों को पितरों के नाम का दान भी अवश्य कराएं. ये दिन पितरों के प्रति कृतज्ञता को प्रकट करने और उनको शांति पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों के नाम का तर्पण, पिंडदान व श्राद्ध करने से पितर काफी प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद पितृ दोष भी दूर होता है. पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और आश्विन अमावस्या को समापन होता है. इन दिनों पितर पृथ्वी लोक पर आकर अपने परिजनों से मिलती हैं. पितर जब प्रसन्न होते हैं तब वे आशीर्वाद देते हैं, जिससे परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और वंश वृद्धि भी बनी रहती है.
पितृपक्ष में ना खरीदें ये तीन चीज
पितृपक्ष में कुछ चीजें ऐसी हैं, जिनको भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए अन्यथा ऐसा करने से बेमतलब की परेशानियां शुरू होने लगती हैं और पितर भी नाराज होने लगते हैं. पितृ पक्ष में आप सरसों का तेल, नमक और झाड़ू भूलकर भी ना खरीदें. इन तीन चीजों को श्राद्ध पक्ष में खरीदना अशुभ माना जाता है.
पितृ पक्ष 2025 कब से हैं?
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ – 7 सितंबर, रात 1 बजकर 41 मिनट से
पूर्णिमा तिथि का समापन- 7 सितंबर, रात 11 बजकर 38 मिन पर होगा
ऐसे में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 दिन रविवार से होगी. वहीं इसका समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन यानी 21 सितंबर 2025 को होगा.
पितृ पक्ष 2025 उपाय
1– पितरों के नाम का गरीब, जरूरतमंद या ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराएं और दक्षिणा भी दें.
2- पितृ पक्ष में पील के पेड़ पर जल में अक्षत, गंगाजल, काले तिल और फूल अर्पित करें.
3– पितृ पक्ष में हर रोज दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके पितरों के प्रणाम करें. दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है.
4- पितृ पक्ष में गौ दान अवश्य करना चाहिए
श्राद्ध तिथियां 2025
पूर्णिमा श्राद्ध – 7 सितंबर 2025, दिन रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध – 8 सितंबर 2025, दिन सोमवार
द्वितीया श्राद्ध – 9 सितंबर 2025, दिन मंगलवार
तृतीया श्राद्ध – 10 सितंबर 2025, दिन बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध – 10 सितंबर 2025, दिन बुधवार
पञ्चमी श्राद्ध – 11 सितंबर 2025, दिन बृहस्पतिवार
महा भरणी – 11 सितंबर 2025, दिन बृहस्पतिवार
षष्ठी श्राद्ध – 12 सितंबर 2025, दिन शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध – 13 सितंबर 2025, दिन शनिवार
अष्टमी श्राद्ध – 14 सितंबर 2025, दिन रविवार
नवमी श्राद्ध – 15 सितंबर 2025, दिन सोमवार
दशमी श्राद्ध – 16 सितंबर 2025, दिन मंगलवार
एकादशी श्राद्ध – 17 सितंबर 2025, दिन बुधवार
द्वादशी श्राद्ध – 18 सितंबर 2025, दिन बृहस्पतिवार
त्रयोदशी श्राद्ध – 19 सितंबर 2025, दिन शुक्रवार
मघा श्राद्ध – 19 सितंबर 2025, दिन शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध – 20 सितंबर 2025, दिन शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या – 21 सितंबर 2025, दिन रविवार