तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) कुलपति के निर्देश पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. कृष्ण कुमार ने सभी डीन, हेड और वोकेशनल कोर्स के को-ऑर्डिनेटरों को पत्र भेजकर यह आदेश दिया है कि डीन की निगरानी में हेड एक्सटर्नल के साथ मिलकर तीन सेट प्रश्न पत्र तै
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इसके तहत, 4 से 5 जनवरी को साइंस, कॉमर्स, पीजी बायोटेक, एमलिस, एमबीए और एमसीए के प्रश्न पत्र तैयार किए जाएंगे, जबकि 6 से 7 जनवरी को सोशल साइंस और मानविकी संकाय के प्रश्न पत्र तैयार किए जाएंगे। जिससे परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचा जा सके।
विश्वविद्यालय में यूजी और पीजी स्तर पर होने वाली सभी परीक्षाओं के लिए तीन अलग-अलग सेट के प्रश्न पत्र तैयार किए जाएंगे। इस योजना के तहत, विवि के शिक्षक अब एक ही विषय के लिए तीन अलग-अलग सेट के प्रश्न पत्र तैयार करेंगे। इन प्रश्न पत्रों में से किसी एक सेट का चुनाव किया जाएगा, ताकि परीक्षा में कोई धोखाधड़ी न हो सके।
इस प्रक्रिया को लेकर विवि के शिक्षकों में असंतोष और परेशानी देखी जा रही है, क्योंकि तीन सेट प्रश्न पत्र तैयार करना एक चुनौतीपूर्ण काम साबित हो रहा है। परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र में होने वाली गड़बड़ी रोकने के लिए विवि प्रशासन ने गंभीर कदम उठाया है।
कुलपति के निर्देश पर परीक्षा नियंत्रक ने भेजा पत्र।
शिक्षकों ने निर्णय का किया विरोध
कुछ पीजी विभाग के हेड्स ने इस पर असहमति जताई है। उनका कहना है कि उन्हें डीन की निगरानी में मोडरेशन करना होगा, जो उनकी गरिमा के खिलाफ है। इससे सवाल उठता है कि क्या विवि प्रशासन पीजी विभागों के हेड की निष्पक्षता पर संदेह कर रहा है।
शिक्षकों ने इस निर्णय का विरोध शुरू कर दिया है और कुछ ने इस मामले में भुस्टा महासचिव से शिकायत की है। शिक्षकों का कहना है कि यह आदेश अचानक आया है और जल्दबाजी में एक्सटर्नल को बुलाना संभव नहीं है। इस संबंध में भुस्टा के सचिव प्रो. जगधर मंडल ने कहा कि शिक्षकों ने उनसे मिलकर इस समस्या को उठाया है। उनका कहना था कि विवि प्रशासन को यह काम अपने स्तर से करना चाहिए।
विवि प्रशासन द्वारा परीक्षा के प्रश्न पत्र की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए तीन सेट प्रश्न पत्र तैयार करने की योजना बनाई गई है। सूत्रों के अनुसार, कुलपति को यह शिकायत मिली थी कि कुछ शिक्षक प्रश्न पत्र की गोपनीयता भंग कर रहे हैं और परीक्षा से पहले विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र के बारे में बता दिया जाता है। इसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।