विदिशा में जैन समाज ने अक्षय तृतीया के पावन पर्व को दान दिवस के रूप में मनाया। बुधवार को जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी के महा पारणा दिवस पर मंदिरों में धार्मिक आयोजन किए गए। जैन मंदिरों में अभिषेक और शांतिधारा का आयोजन हुआ। खरीफाटक र
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गन्ने के रस का वितरण
जैन श्रद्धालुओं ने बताया कि भगवान आदिनाथ स्वामी की छह माह की कठोर तपस्या के बाद हस्तिनापुर के राजा श्रेयांश और राजा सोम ने उन्हें प्रथम आहार के रूप में गन्ने का रस अर्पित किया। इसी की याद में आज जैन मंदिरों के बाहर लोगों को गन्ने का रस बांटा गया।
श्रद्धालुओं ने अपने घरों में आदिनाथ चालीसा, णमोकार महामंत्र और भक्तामर स्त्रोत का पाठ किया।
पूजन-पाठ के बाद श्रद्धालुओं को गन्ने का रस बांटा गया।
इस अवसर पर जैन श्रद्धालुओं ने अपने घरों में आदिनाथ चालीसा, णमोकार महामंत्र और भक्तामर स्त्रोत का पाठ किया। जैन धर्म में अक्षय तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान आदिनाथ के पारणा से जुड़ा हुआ है, जिस दिन उन्होंने अपना कठोर उपवास समाप्त किया था।