Homeदेशअमरनाथ यात्रा: पहलगाम रूट पर फेस रिक्गनिशन सिस्टम: संदिग्ध कैमरे में...

अमरनाथ यात्रा: पहलगाम रूट पर फेस रिक्गनिशन सिस्टम: संदिग्ध कैमरे में दिखते ही सुरक्षा बलों को अलर्ट करेगा; आतंकी हमला रोकने में मददगार होगा


श्रीनगर15 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अमरनाथ यात्रा के पहलगाम रूट पर फेस रिक्गनिशन सिस्टम (FRS) लगाया है।यह सिस्टम ब्लैक लिस्टेड लोगों और घाटी में एक्टिव आतंकियों के कैमरे में आते ही सुरक्षा बलों को अलर्ट करेगा, ताकि तीर्थयात्रियों पर किसी भी तरह के आतंकवादी हमले को रोका जा सके।

इसके लिए आतंकियों और संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स की तस्वीरें इस सिस्टम में अपलोड की गई हैं।बालटाल रूट पर भी यह सिस्टम लगाए जा रहे हैं। FRS डिजिटल तस्वीरों या वीडियो से चेहरे एनालिसिस करके, डेटाबेस से मिलाकर व्यक्ति की पहचान करता है।

यह फैसला 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है। बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा पहली बार 38 दिन की हो रही है।

9 अगस्त को छड़ी मुबारक के साथ रक्षाबंधन के दिन पूरी होगी। इस साल यात्रा की अवधि पिछले साल के 52 दिनों के मुकाबले घटाकर 38 दिन कर दी गई है।

7 फीट ऊंचे हिम शिवलिंग की पहली तस्वीर 5 मई को सामने आई थी।

2025 अमरनाथ यात्रा के लिए इस बार हो रहे विशेष इंतजाम

  • काफिले की सुरक्षा के लिए पहली बार जैमर लगाए जा रहे हैं, जिसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) सुरक्षा प्रदान करेगी। सशस्त्र बलों की 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी। लगभग 42000 से 58,000 जवान तैनात होंगे।
  • यात्रा रूट पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए 156 कंपनियां पहले से जम्मू-कश्मीर में तैनात थीं, जबकि 425 नई कंपनियों को 10 जून तक तैनात किया जाएगा।
  • श्रद्धालुओं को कंधे पर बिठाकर ले जाने वाले पोनी वालों का वैरिफिकेशन होगा। क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले पोनी/पिट्‌ठू सर्विस चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • उन घोड़े-खच्चर की भी टैगिंग की गई है, जिन पर बैठकर श्रद्धालु यात्रा पर जाएंगे। ताकि रूट से हटने पर उन्हें रियल टाइम ट्रैक किया जा सके।
  • रोड ओपनिंग पार्टी, खतरों पर तुरंत एक्शन के लिए क्विक एक्शन टीम, बॉम्ब डिफ्यूजल स्क्वॉड, K9 यूनिट्स (विशेष रूप से प्रशिक्षित खोजी कुत्ते) और ड्रोन से निगरानी होगी।

2024 में पहुंचे थे 5 लाख यात्री

2024 में यह यात्रा 52 दिनों की थी। 2023 में 62 दिन, 2022 में 43 दिन और 2019 में 46 दिनों तक यात्रा चली। 2020-21 में कोरोना महामारी के कारण यात्रा स्थगित रही। 2024 में 52 दिनों तक चली अमरनाथ यात्रा में 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे।

2023 में 4.5 लाख यात्री शामिल हुए थे। साल 2012 में रिकॉर्ड 6.35 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए थे। 2022 में कोविड के कारण आंकड़ा घटा था और 3 लाख तीर्थयात्रियों दर्शन के लिए पहुंचे थे।

पहले भी हो चुके अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले

अमरनाथ तीर्थयात्रियों पर पहले भी कई आतंकवादी हमले हो चुके हैं। अगस्त 2000 में नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकवादी हमले में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों समेत 32 लोग मारे गए थे। जुलाई 2001 में एक हमले में तेरह लोग मारे गए थे, जब आतंकवादियों ने यात्रा के शेषनाग बेस कैंप पर हमला किया था। 2002 में चंदनवारी बेस कैंप पर 11 अमरनाथ यात्री मारे गए थे। जुलाई 2017 में कुलगाम जिले में अमरनाथ तीर्थयात्रियों से भरी बस पर हुए हमले में आठ लोग मारे गए थे।

कैसे पहुंचें: यात्रा के लिए दो रूट

1. पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।

तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।

2. बालटाल रूट: वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।

किन बातों का ध्यान रखें

यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, आरएफआईडी (RFID) कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बैग अपने साथ रखें।

अमरनाथ में बनता है हिमानी शिवलिंग

अमरनाथ शिवलिंग एक अद्भुत प्राकृतिक हिमनिर्मित संरचना है, जिसे हिमानी शिवलिंग कहा जाता है। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा उत्तरमुखी है, जिससे सूरज की सीधी रोशनी बहुत कम पहुंचती है। इससे गुफा के अंदर का तापमान 0°C से नीचे बना रहता है, जिससे बर्फ आसानी से जमती है।

गुफा की छत से लगातार पानी टपकता है, जो आस-पास के ग्लेशियरों या बर्फ के पिघलने से आता है। पानी धीरे-धीरे नीचे गिरकर जमता है, तो वह एक स्तंभ या लिंग के आकार में ऊपर की ओर बढ़ता है। यह वैज्ञानिक रूप से स्टेलैग्माइट कहलाता है।

खबरें और भी हैं…



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version