छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सल प्रेशर IED ब्लास्ट में कोंटा डिवीजन ASP आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए हैं। नक्सलियों ने क्रेशर प्लांट के खदान में JCB में आगजनी की आड़ में एक प्लान्ड ट्रैप किया। 10 घंटे पहले ही मौत का जाल बिछा दिया था, जिसकी चपेट में 3 प
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नक्सलियों को पहले ही पता था कि प्लांट थाने से 2 किलोमीटर दूर है। आगजनी की सूचना पर पुलिस जरूर पहुंचेगी। उन्होंने उसी जगह पर प्रेशर IED प्लांट किया। ASP गिरिपुंजे, SDOP भानुप्रताप चंद्राकर और TI सोनल ग्वाला जैसे ही जांच करने आए जोरदार धमाका हो गया।
नक्सलियों के जिस प्रेशर बम की चपेट में आकर अफसर की शहादत हुई है, उसे नक्सलियों ने श्रीलंका के आतंकवादियों से बनाना सीखा है।
नक्सलियों ने कैसे एंबुश में फंसाया, प्रेशर IED कितना पावरफुल होता है, कैसे काम करता है, पढ़िए इस रिपोर्ट में…
कोंटा SDOP भानुप्रताप चंद्राकर और टीआई सोनल ग्वाला को बेहतर इलाज के लिए रायपुर लाया गया है।
अब जानिए नक्सलियों की साजिश की पूरी कहानी ?
दरअसल, कोंटा-एर्राबोर मार्ग पर कोंटा थाना से 2 किलोमीटर दूर डोंड्रा गांव में स्थित क्रेशर खदान में रविवार रात 8 बजे खड़े वाहनों पर नक्सलियों ने आग लगा दी है। साथ ही क्रेशर खदान के अंदर JCB और कई मशीनों को भी नक्सलियों ने जला दिया।
यह जानकारी कोंटा डिविजन के पुलिस अफसरों को मिली। इसके बाद सुबह एएसपी आकाश राव के नेतृत्व में एसडीओपी चंद्राकर, निरीक्षक सोनल ग्वाला और तीन जवान प्राथमिक जांच करने पहुंचे थे। खदान का निरीक्षण कर अफसरों की टीम वापस लौट रही थी, तभी प्रेशर बम से विस्फोट हुआ।
कोंटा डिविजन के एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे IED ब्लास्ट की चपेट में आकर शहीद हो गए।
एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए
विस्फोट की चपेट में आने से एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए। एसडीओपी चंद्राकर और निरीक्षक सोनल ग्वाला घायल हो गए। घायलों को कोंटा के अस्पताल में प्राथमिक उपचार देने के बाद रायपुर रेफर किया गया है। हालांकि पुलिसकर्मी खतरे से बाहर हैं।
नक्सलियों ने कैसे रची थी साजिश ?
नक्सलियों ने प्रेशर IED को जमीन से 2 फीट अंदर प्लांट किया था, इसलिए अफसर उसे भाप नहीं बनाए। अफसरों के अनुसार खदान में आगजनी रविवार रात 8-9 बजे हुई। इसके बाद नक्सलियों ने वहां आईईडी प्लांट किया होगा। एएसपी की टीम सुबह 6-7 बजे आईईडी की चपेट में आई।
नक्सलियों ने श्रीलंका के आतंकियों से सीखा IED बनाना
साल 2014 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अपने 75वें सेशन के बाद एक बुक पब्लिश की है। इस बुक के पेज नंबर 1277 से 1284 के बीच नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ ओम प्रकाश का जर्नल पब्लिश हुआ है। जिसमें उन्होंने माओवादियों की टेक्नोलॉजी के बारे में लिखा है।
जर्नल में दावा किया है कि वेपन की तकनीक सीखने के लिए नक्सलियों ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम जैसे आतंकवादी संगठनों से संपर्क साधा था। इसके अलावा नक्सलियों का संपर्क पाकिस्तान के ISI और नेपाल, चीन और भूटान के कुछ उग्रवादियों संगठन से भी था।
नक्सलियों ने LTTE के लोगों से IED बनाना सीखा था
नक्सलियों के कुछ लीडर्स ने इन्ही में से संगठन LTTE के लोगों से IED बनाना सीखा था। 1980 के दशक में श्रीलंका में LTTE आतंकवादी संगठन के तौर पर बेहद सक्रिय था। ये विश्व का पहला ऐसा संगठन है, जिसने ह्यूमन बम का उपयोग किया।
जर्नल के मुताबिक नक्सलियों को क्लेमोर माइन यानी डायरेक्शनल IED बनाने में भी महारत हासिल हैं। इन IED’s को पेड़ पर प्लांट किया जा सकता है। यहां तक दावा किया है कि नक्सली आर्मी के M6 ग्रेनेड की बराबरी वाला विस्फोटक बनाना भी जानते हैं।
5 कंपोनेंट से मिलकर बनता है IED, तैयार करने में लगते हैं सिर्फ 20 मिनट
स्टेट फोरेंसिक लेबोरेटरी, रायपुर के संयुक्त संचालक टी एल चंद्रा ने बताया कि IED बनाने के लिए बेसिक तौर पर पांच कंपोनेंट्स की जरूरत होती है।
- स्विच इसे ट्रिगर या एक्टिवेटर भी कहते हैं। ये कई तरह के हो सकते हैं। घरों के इलेक्ट्रिकल बोर्ड में यूज होने वाले स्विच भी इसमें शामिल हैं। इस स्विच के जरिए एक्सप्लोसिव को ट्रिगर किया जाता है।
- पॉवर सोर्स स्विच किसी पावर सोर्स या बैटरी से कनेक्ट होता है। ये पावर सोर्स कार की बैटरी से लेकर घड़ी की बैटरी तक हो सकते हैं। कुछ केसेस में माचिस की डिब्बी भी पावर सोर्स हो सकती है।
- मेन चार्ज मेन चार्ज यानी कि प्राइमरी एक्सप्लोसिव, ये ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार होता है। मेन चार्ज में अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया नाइट्रेट, ट्राइनाइट्रोटोलुईन जैसे केमिकल होते हैं। हालांकि ये प्योर फॉर्म में नहीं, इनके साथ अन्य कंपाउंड का मिश्रण किया जाता है।
- इनिशियेटर इनिशियेटर के तौर पर फ्यूज या डेटोनेटर का उपयोग होता है। डेटोनेटर एक छोटा एक्सप्लोसिव चार्ज है। जो मुख्य चार्ज के साथ जुड़ा होता है। ये मेन चार्ज से पावर सोर्स के जरिए जुड़ा होता है।
- कंटेनर कंटेनर के भीतर ही मेन चार्ज और इनिशियेटर को होल्ड किया जाता है। ये कंटेनर कोई टिफिन, प्रेशर कुकर, ट्रक, पाइप, पार्सल बॉक्स कुछ भी हो सकता है।
कोई व्यक्ति जिसे सही केमिकल मिश्रण के अनुपात और बेसिक इलेट्रिकल नॉलेज हो, वो आसानी से 20 मिनट में IED तैयार कर सकता है। चंद्रा कहते हैं कि इस तरह के एक्सपटर्स नक्सलियों के टीम में हैं। ऐसे में IED तैयार करना उनके लिए आसान है।
3459 IED रिकवर की गई बस्तर में
बस्तर में पिछले 24 साल में 3459 IED रिकवर की गई है। सिर्फ साल 2024 में 311 IED मिली है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक नक्सली हमले में 60 प्रतिशत कैजुअल्टी IED विस्फोट से ही हुई है। बीजापुर में जो IED प्लांट हुआ था, उसे बनाने में महज 35 हजार रुपए की लागत आई होगी। बेसिक नॉलेज और सामान होने पर आसानी से इसे 20 मिनट में तैयार किया जा सकता है।
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तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर सोमवार शाम घर लाया गया।
सुकमा के कोंटा में नक्सलियों के IED ब्लास्ट में एएसपी आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए हैं। वे मूल रूप से रायपुर के रहने वाले थे। तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर सोमवार शाम घर लाया गया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कई मंत्री भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर…