पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से तनाव के बीच बुधवार (7 मई) को देश की 244 जगहों सहित छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में मॉकड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान जिले के बुजुर्गों ने सन 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय हुए मॉकड्रिल का समय याद किया।
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दैनिक भास्कर की टीम ने भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर हुए दो कर्मियों से बात की। उन्होंने सन 1971 में भिलाई में हुए मॉकड्रिल के बारे में बताया। सेक्टर 4 सड़क 36 निवासी आरएन विद्यार्थी ने बताया कि साल 1971 में भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था। उस दौरान भिलाई स्टील प्लांट को किसी तरह का कोई नुकसान ना हो इसको लेकर यहां अलर्ट जारी किया गया था।
आरएन विद्यार्थी, रिटायर्ड बीएसपी कर्मी
आरएन विद्यार्थी ने बताया कि मॉकड्रिल के दौरान पूरे शहर में ब्लैक आउट हो जाता है। पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाती हुई निकलती थीं। भिलाई स्टील प्लांट की चिमनियों से सायरन बजता था और उसके बाद सभी लोग अपने अपने घरों के अंदर घुस जाते थे। उस दौरान अगर कोई भी लाइट चलाता और घर के बाहर निकलता तो पुलिस की गाड़ियां वहां पहुंच जाती और उन्हें ऐसा ना करने की हिदायत देती थी।
उस दौरान भिलाई में हुआ मॉकड्रिल काफी लंबा चला था। ऐसा लग रहा था मानो भिलाई खत्म होने वाला है। लोग काफी डरे थे। हालात ऐसे थे कि लोग घरों से बाहर निकलने में डरने लगे थे। फिर भी उन्होंने हौसला नहीं हारा और अपना डर बाहर नहीं आने दिया।
एसएस उपाध्याय, 1971 के हालत को बताते हुए
खिड़कियों में पेपर और कार्डबोर्ड लगा दिए गए थे
वैशाली नगर निवासी एसएस उपाध्याय ने बताया कि उस समय भिलाई टाउनशिप में रहते थे। जब युद्ध शुरू हुआ तो भिलाई में इससे भी बुरे हालात हो गए थे। लोगों को घरों से बाहर निकलने से मना किया जाता था। लोगों ने घरों की खिड़कियों को पेपर और कार्डबोर्ड लगाकर बंद कर दिया था।
1971 के भारत-पाक युद्ध के समय शाम होते ही घरों में अंधेरा छा जाता था। आमतौर पर लोगों के घरों की लाइट नहीं जला करती थी, क्योंकि ये हिदायत थी कि शहर में अंधेरा रखा जाए, ताकि अगर दुश्मन का विमान वहां आ भी जाए तो उसको नीचे कुछ भी नजर नहीं आए। संवेदनशील इलाकों में रहने वाले नागरिकों को एयर रेड प्रोटोकॉल समझाए गए कि हमला होने पर कहां छिपना है, कैसे बत्ती बंद करनी है।
बूढ़ी आखों ने डर देखा, लेकिन जज्बा नहीं खोया
साल 1971 का युद्ध देखने के बाद जिन बूढ़ी आखों ने उस समय का डर देखा है, उन्होंने आज तक सच्चे भारतीय होने का जज्बा नहीं खोया। जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध होना चाहिए या नहीं तो सभी का कहना है कि युद्ध जरूरी हो गया। युद्ध से ही पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता है। युद्ध होगा तभी हमारी आने वाली पुस्ते सुरक्षित रहेंगी।
शाम 4 बजते ही बजेगा सायरन
पाकिस्तान से तनाव के बीच युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की प्रैक्टिस के लिए मॉकड्रिल होगा। मॉकड्रिल में छत्तीसगढ़ का दुर्ग और भिलाई शहर भी शामिल है। भिलाई स्टील प्लांट को देखते हुए दुर्ग को अलर्ट में रखा गया है।
सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट्स को उनकी संवेदनशीलता के आधार पर 3 कैटेगरी में बांटा गया है। कैटगरी-1 सबसे संवेदनशील और कैटेगरी-3 कम सेंसेटिव है। इसमें दुर्ग कैटेगरी-2 में शामिल है। कलेक्टर ने बताया कि, शाम 4 बजते ही जगह-जगह सायरन बजाए जाएंगे।
इसके बाद सिविल डिफेंस वॉर की मॉकड्रिल होगी। इसमें नागरिकों को हवाई हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह इसलिए किया जा रहा है, जिससे एयर अटैक की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
कलेक्टोरेट में आयोजित की गई बैठक
मॉक ड्रिल को लेकर दुर्ग कलेक्ट्रेट में एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें दुर्ग संभाग के कमिश्नर आईजी और कलेक्टर सहित पुलिस सेंट्रल फोर्स और सिविल के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में उन्हें बताया गया कि, पैनिक सिचुएशन में कैसे रिएक्ट करें इसे लेकर एसडीआरएफ के द्वारा वीडियो भी जारी किया गया है।
मॉकड्रिल के दौरान क्या-क्या होगा?
- सायरन बजाए जाएंगे और चेतावनी दी जाएगी।
- इंडियन एयर फोर्स से रेडियो और हॉटलाइन से संपर्क किया जाएगा।
- कंट्रोल रूम और शैडो कंट्रोल रूम एक्टिव होंगे।
- आम लोगों और छात्रों को सुरक्षा की ट्रेनिंग दी जाएगी।
- फायर ब्रिगेड, वार्डन, रेस्क्यू टीम जैसी सेवाएं सक्रिय होंगी।
- ब्लैकआउट और जरूरी ठिकानों को छिपाने की प्रक्रिया की जांच की जाएगी।
- लोगों को निकालने की योजना पर अभ्यास किया जाएगा।
- बंकरों की सफाई और उपयोग की तैयारी भी की जाएगी।
मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या है?
मॉकड्रिल को लेकर बताया गया कि यह एक तरह की “प्रैक्टिस” है। इसमें हम यह देखते हैं कि अगर कोई इमरजेंसी (जैसे एयर स्ट्राइक या बम हमला) हो जाए, तो आम लोग और प्रशासन कैसे और कितनी जल्दी रिएक्ट करता है। ब्लैकआउट एक्सरसाइज का मतलब है कि एक तय समय के लिए पूरे इलाके की लाइटें बंद कर देना।
इसका मकसद यह दिखाना होता है कि अगर दुश्मन देश हमला करे, तो इलाके को अंधेरे में कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे दुश्मन को निशाना साधने में मुश्किल होती है।
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छत्तीसगढ़ के दुर्ग शहर में मॉकड्रिल होगी।
पाकिस्तान से तनाव के बीच आज (7 मई) को देश के 244 इलाकों में युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों की प्रैक्टिस होगी। मॉकड्रिल में छत्तीसगढ़ का दुर्ग शहर भी शामिल है। भिलाई स्टील प्लांट को देखते हुए दुर्ग को अलर्ट में रखा गया। पढ़ें पूरी खबर