संपूर्ण दुनिया में हिंसा, युद्ध और मनुष्यता के बीच नफरत का माहौल बना हुआ है, किंतु यह सांप्रदायिकता, नफरत और हिंसा केवल थोड़े दिनों के लिए बढ़ सकती है, अंततः दुनिया को गांधी जी के बताए शांति और अहिंसा के रास्ते पर ही आना पड़ेगा, भारतीय संस्कृति हजारो
.
प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक एवं चिंतक उत्तम परमार (गुजरात ) ने बुधवार को हिंदी साहित्य समिति सभागार में गांधी जी के 155वें जन्म दिवस पर अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा आयोजित “गांधी का धर्मनिरपेक्ष भारत” विषय पर आयोजित व्याख्यान में यह बात कहीं।
परमार ने कहा कि भारतीय संस्कृति ही गांधी दर्शन है, देश के भविष्य को बनाने के लिए गांधी जी ने रचनात्मक एवं समाज सुधार के कामों को हाथ में लेकर हथियार बनाया और उसी से आजादी के आंदोलन में संपूर्ण देश की महिला, पुरुष ,गरीब, अमीर, हरिजन एवं आदिवासियों को संगठित किया, लोगों को जोड़ने का कार्य भी किया। लिंग भेद ,जाति भेद, धर्म भेद, छुआछूत को खत्म करने की लड़ाई के साथ, सत्याग्रह के माध्यम से आजादी की लड़ाई लड़ी। अहिंसा का मार्ग दुनिया को बतलाया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समाजवादी चिंतक सुभाष खंडेलवाल ने कहा कि गांधी केवल हाड़ मांस का मनुष्य न होकर एक विचार है, जिसके माध्यम से उन्होंने दुनिया को हजारों विचार दिए ।गांधी को पढ़ना और जानना अलग बात है, गांधी को जीना और समझना दूसरी बात है। आज सारी दुनिया गांधी के बतलाए रास्ते पर चलने पर गर्व महसूस कर रही है। उन्होंने कहा कि गांधी ताकत है ,पोरुष एवं सोर्य है एवं निर्भीकता, दया , करुणा का मसीहा है।
व्याख्यान में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिंह यादव ने भी संबोधित किया। गांधीवादी चिंतक अनिल त्रिवेदी ने विषय प्रवर्तन किया। शशिकांत गुप्ते ने अतिथि परिचय दिया। कार्यक्रम की भूमिका अरविंद पोरवाल ने प्रस्तुत की। इस अवसर पर शर्मिष्ठा बनर्जी ने गांधी जी के प्रिय भजन प्रस्तुत किए।
प्रारंभ में सुभाष रानाडे, प्रकाश पाठक, फादर पायस सुनील चंद्रन, आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन विवेक मेहता ने किया। श्रमिक नेता श्याम सुंदर यादव ने आभार माना।