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इजराइल का ईरान के 6 एटमी-सैन्य ठिकानों पर हमला: नेतन्याहू बोले- चोरी-छिपे परमाणु बम बना रहा था, इससे हमें खतरा


तेहरान/तेल अवीव3 मिनट पहले

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इजराइल ने शुक्रवार सुबह ईरान के एटमी और दूसरे सैन्य ठिकानों पर बड़ा हमला किया है। इसमें ईरान के 2 बड़े सैन्य अधिकारी और 2 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं।

एक सीनियर ईरानी अधिकारी ने न्यूयॉर्क टाइम्स से बताया कि राजधानी तेहरान में शाहरक शाहिद महालती नामक जगह पर हमला हुआ है। यहां पर हाई रैंक के ईरानी सैन्य अफसर रहते हैं। हमले में 3 इमारतें तबाह हो गई हैं।

एक इजराइली सैन्य अधिकारी ने दावा किया कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है और उसके पास कुछ ही दिनों में 15 परमाणु बम बनाने लायक सामग्री है। इसे रोकने के लिए यह हमला किया गया है।

इजराइल सेना ने कहा कि यह ‘प्री-एम्पटिव स्ट्राइक’ था। यानी कि खतरे को भांपकर इजराइल ने हमला किया है ताकि ईरान कोई बड़ी कार्रवाई न कर सके। इजराइली सेना ने यह भी कहा कि आगे और भी ऐसे कई हमले हो सकते हैं।

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान चोरी-छिपे परमाणु हथियार बना रहा था। यह हमारे देश के लिए खतरा था। इसलिए हमारी सेना ने नतांज जैसे अहम परमाणु ठिकानों और ईरान के कुछ प्रमुख वैज्ञानिकों पर हमला किया।

ईरान पर इजराइली हमले की 3 तस्वीरें…

इजराइल के हमले से तेहरान में कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा है।

इजराइल के हमले से तेहरान की कई इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है।

ईरान पर इजराइल के हमले के बाद धुआं उठ रहा है।

अमेरिका बोला- हमले में हम शामिल नहीं

अमेरिका ने साफ किया कि वह इस हमले में शामिल नहीं था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इजराइल ने यह हमला आत्मरक्षा के तौर पर किया और उन्होंने ईरान को चेतावनी दी कि वह किसी भी सूरत में अमेरिकी सैनिकों या ठिकानों को निशाना न बनाए।

यह हमला ऐसे समय पर हुआ जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर बातचीत चल रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने इजराइल को हमले से रोकने की कोशिश की थी क्योंकि उन्हें डर था कि इससे बातचीत रुक सकती है।

इस तनाव के बीच अमेरिका ने अपने राजनयिकों को इराक से वापस बुला लिया था। अमेरिका ने मिडिल ईस्टम में मौजूद अपने सैनिकों के परिवारों को भी लौटने की अनुमति दे दी। इस समय करीब 40,000 अमेरिकी सैनिक फारस की खाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में तैनात हैं।

2 दिन पहेल IAEA ने ईरान के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था

इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने गुरुवार को ईरान के खिलाफ एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया था। एजेंसी ने कहा था कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर जो नियम तय हैं, उनका पालन नहीं कर रहा है।

IAEA के मुताबिक, ईरान के पास इतनी अधिक मात्रा में संवर्धित यूरेनियम है कि वह एक साल से भी कम समय में 10 परमाणु बम बना सकता है। एजेंसी ने आरोप लगाया कि ईरान कई जगहों पर परमाणु गतिविधियों की जानकारी देने से लगातार इनकार कर रहा है और वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा।

यह बीते 20 साल में पहली बार हुआ जब संयुक्त राष्ट्र की इस निगरानी संस्था ने ईरान को लेकर इतनी सख्त कार्रवाई की है।

IAEA के 35 देशों के बोर्ड में से 19 देशों ने इस ईरान के खिलाफ प्रस्ताव में वोटिंग की। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल थे। वहीं रूस और चीन ने इसके खिलाफ वोट दिया और बाकी देशों ने या तो हिस्सा नहीं लिया या वोटिंग से दूर रहे।

ईरान ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह पूरी तरह से राजनीतिक है। ईरानी विदेश मंत्रालय और देश की परमाणु एजेंसी ने संयुक्त बयान में कहा कि इस तरह के फैसलों से अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं।

हालांकि ईरान बार-बार कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण और नागरिक इस्तेमाल के लिए है, जैसे बिजली बनाना या दवा तैयार करना, न कि हथियार बनाने के लिए।

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