साइबर थाना पुलिस की गिरफ्त में आरोपी धीरज
कानपुर के शताब्दी नगर पनकी में रहने वाले ईपीएफओ के रिटायर अधिकारी विनोद कुमार झा को डिजिटल अरेस्ट कर 82.30 लाख की ठगी करने वाले गिरोह के चौथे सदस्य को साइबर थाना पुलिस ने देवरिया से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी गिरोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। जो
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ईपीएफओ रिटायर अधिकारी विनोद कुमार झा के साथ हुई ठगी में साइबर थाना पुलिस और सर्विलांस टीम ने मिलकर इससे पूर्व रौबी कुमार, जितेन्द्र कुमार और रविन्द्र सिंह को अलीगढ़ से पकड़ा था। इन्हें 24 अप्रैल को पुलिस ने जेल भेजा था। इस गिरोह का मास्टरमाइंड रौबी कुमार को बताया गया था। जो कि 12वीं पास था।
24 अप्रैल को रौबी और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया था पुलिस ने
मोबाइल फोन और बैंक ट्रांजेक्शन के जरिए पकड़ा गया चौथा आरोपी
रौबी कुमार के गिरोह का पर्दाफाश करने के बाद पुलिस को तीनों आरोपियों के पास से मोबाइल फोन मिले थे। इसके अलावा जो पासबुक उनके पास से मिली उसमें बैंक ट्रांजेक्शन के जरिए चौथे आरोपी का पता चला। जब साइबर थाना पुलिस ने और पड़ताल की तो पता चला इन तीनों के साथ तरकुलवा देवरिया निवासी धीरज पासवान भी शामिल है। गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद से धीरज भूमिगत हो गया था।
घर पहुंचा और पुलिस टीम ने दबोचा
दो महीनों में साइबर थाना इंस्पेक्टर सुनील कुमार वर्मा अपनी टीम के साथ धीरज को ट्रेस करती रही मगर काम इस तरह से किया गया ताकी आरोपी को भनक न लगे कि पुलिस उसके पीछे पड़ी है। लम्बा समय बीत जाने के बाद आरोपी को ऐसा लगने लगा कि मामला ठंडे बस्ते में चला गया है। जिसके बाद वो देवरिया अपने घर लौटा। पुलिस पहले से ही वहां जाल बिछाए थी। उसके घर पहुंचने के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपियों के पास से नगदी मोबाइल आदि बरामद किया गया था
ठगी के पैसे के लिए स्पाइस मनी का खाता उपलब्ध कराता था आरोपी
धीरज को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो उसने जानकारी दी कि ठगी का जो पैसा आता था। उसके लिए स्पाइस मनी नाम की वेबसाइट के जरिए वो खाते उपलब्ध करवाता था जिसमें पैसे को ट्रांसफर किया जाता था। इसके बाद वो इन खातों में आए पैसे को क्रिप्टो करंसी में ट्रांसफर करके दूसरे खातों के जरिए उसे कैश में कनवर्ट कर आपस में बांट लेते थे। उस पैसे से ऐश करते थे। पुलिस ने आरोपी के पास से दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। उसमें भी डाटा को देखा जा रहा है।
अब जानिए क्या था पूरा मामला
विनोद कुमार झा ने साइबर थाने पर बीती 6 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि साइबर ठगों ने 17 फरवरी को उन्हें फोन किया। कहा कि दिल्ली में उनकी कई फर्जी कंपनियों का पता चला है। मनी लांड्रिंग में उनका नाम आया है। उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके जेल भेजने के नाम पर धमकाया। कानून का डर दिखाकर 82.30 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए।
पुलिस ने जब मामले में जांच की तो पहले तीन बैंक खातों की जानकारी मिली थी जिसमें दिल्ली की आरबीएल बैंक, दूसरा खाता असोम की फेड्रल बैंक और तीसरा बैंक खाता पीएनबी गुवहाटी का था। जिसमें ठगी की रकम गई थी। यहीं से पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर 12वीं पास शातिर रौबी के गिरोह का भंडाफोड़ किया था।