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ईरान में फंसे भारतीय छात्रों की वापसी शुरू: आर्मेनिया के रास्ते निकाले जा रहे; 110 स्टूडेंट बॉर्डर पर पहुंचे; जानिए आर्मेनिया को ही क्यों चुना


तेहरान/नई दिल्ली8 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्ष कुमार सिंह

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इजराइल- ईरान में जारी संघर्ष के बीच भारत ने अपने नागरिकों को ईरान से निकालना शुरू कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि कुछ भारतीय नागरिकों को आर्मेनिया बॉर्डर के रास्ते देश से बाहर निकला गया है। इसके अलावा राजधानी तेहरान से भी भारतीय छात्रों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया है।

भास्कर को सूत्रों ने बताया है कि भारत ने अपने छात्रों को निकालने के लिए ईरान में आर्मेनिया के राजदूत से बात की थी। 110 भारतीय छात्रों का एक बैच कल आर्मेनिया बॉर्डर पहुंचा था।

छात्रों को आर्मेनिया बॉर्डर पर नॉरदुज चौकी से बसों से निकाला जा रहा है। ईरान में 1,500 स्टूडेंट्स सहित लगभग 10 हजार भारतीय फंसे हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा हालात में देश के एयरपोर्ट भले ही बंद हैं, लेकिन लैंड बॉर्डर्स खुले हुए हैं।

विदेशी नागरिकों को ईरान छोड़ने से पहले राजनयिक मिशनों के जरिए ईरान के जनरल प्रोटोकॉल विभाग को अपना नाम, पासपोर्ट नंबर, गाड़ी डिटेल्स, देश से निकलने का समय और जिस बॉर्डर से जाना चाहते हैं, उसकी जानकारी पहले से देनी होगी।

भारतीयों छात्रों के वापसी से जुड़ी पूरी प्रोसेस नीचे समझिए…

सवाल: ईरान से कैसे लौटेंगे भारतीय छात्र?

जवाब: ईरान के अलग-अलग शहरों से भारतीय छात्र आर्मेनिया से लगे नॉरदुज बॉर्डर पहुंचेंगे। यहां से इन्हें बस से आर्मेनिया के येरेवन एयरपोर्ट ले जाया जा सकता है। इसके बाद इन छात्रों को हवाई रूट से भारत लाया जाएगा।

सवाल: भारत ने आर्मेनिया को ही क्यूं चुना?

जवाब: ईरान का बॉर्डर 7 देशों से लगता है। ये देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अजरबैजान, आर्मेनिया, तुर्किये और इराक हैं। इसके अलावा समुद्री सीमा ओमान के साथ है। आर्मेनिया को ही चुनने की कुछ प्रमुख वजहें हैं…

  • आर्मेनिया का बॉर्डर ईरान के प्रमुख शहरों से कम दूरी पर है। आर्मेनिया के साथ भारत के संबंध काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते भी हुए हैं।
  • आर्मेनिया राजनीतिक रूप से स्थिर है और भारत से उसके दोस्ताना संबंध हैं। वहां से फ्लाइट ऑपरेशन तेजी से संभव है क्योंकि येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह चालू है।
  • ईरान और आर्मेनिया के बीच फिलहाल कोई सीमा विवाद या सैन्य तनाव नहीं है।
  • दूसरी तरफ ईरान का पूर्वी पड़ोसी पाकिस्तान है। पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ऑपरेशन सिंदूर के बाद और उसके पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के पास पाकिस्तान के रास्ते छात्रों को लाने का विकल्प नहीं है।
  • इराक पहले से ही ईरान के साथ चल रहे तनाव में शामिल है। कई बार इजराइल ने इराक में भी ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया है। इसलिए वहां से गुजरना खतरे से भरा हो सकता था।
  • हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजरबैजान खुलकर पाकिस्तान के समर्थन में आया था। उसने भारत की कार्रवाई की निंदा भी की थी। ऐसे में भारत उसकी मदद नहीं लेगा।
  • तुर्किये भले ही स्थिर देश है, लेकिन ईरान से सड़क के जरिए वहां तक पहुंचना काफी लंबा है। हाल ही में भारत और तुर्किये के बीच तनातनी देखने को मिली है। दरअसल तुर्किये ने भी ऑपरेशन सिंदूर की निंदा करते हुए खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था।

सवाल: ईरान से भारतीय छात्रों को सीधे क्यों नहीं लाया जा रहा?

जवाब: इस वक्त ईरान और इजराइल के बीच हालात काफी तनावपूर्ण हैं। कई शहरों में हमले हो चुके हैं और सुरक्षा का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भारतीय छात्रों को सीधे ईरान से एयरलिफ्ट करना फिलहाल संभव नहीं है। इसके पीछे कुछ बड़ी वजहें हैं…

  • ईरान के ज्यादातर इंटरनेशनल एयरपोर्ट इस समय नागरिक उड़ानों के लिए बंद हैं। युद्ध जैसे हालात की वजह से वहां से फ्लाइट उड़ाना सुरक्षित नहीं है।
  • ईरान के कई इलाकों में इजराइली हमले हो चुके हैं। ऐसे में फ्लाइट्स पर भी हमले का खतरा बना रहता है।
  • सीधे ईरान से भारतीय एयरलाइंस को भेजना काफी जोखिम भरा है। इसके लिए ईरान की इजाजत के साथ-साथ मजबूत सुरक्षा इंतजाम भी चाहिए होंगे, जो युद्ध की स्थिति में संभव नहीं हैं।
  • नॉरदुज बॉर्डर सुरक्षित माना जा रहा है। आर्मेनिया में हालात स्थिर हैं और वहां से फ्लाइट्स भी आसानी से उड़ाई जा सकती हैं।

भारतीय छात्रों ने लगाई थी मदद की गुहार

ईरान में पढ़ने वाली एक कश्मीरी छात्रा ने वीडियो बनाकर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मदद मांगी थी।

तेहरान में हालात बिगड़े, शहर छोड़कर भागने लगे लोग

ईरान में बीते 3 दिनों से जारी इजराइली हमले से हालात काफी बिगड़ गए हैं। CNN के मुताबिक शहर के पेट्रोल पंपों पर कारों की लंबी-लंबी लाइनें लगने लगी हैं। लोग डरे हुए हैं और शहर छोड़कर बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं।

अधिकारियों के मुताबिक सिर्फ तेहरान में 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। एक शख्स ने रॉयटर्स को बताया कि कई बार कतार में लगने के बाद भी पेट्रोल मिलना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि ईंधन की सप्लाई सीमित है।

ईरान की राजधानी तेहरान में रविवार को एक पेट्रोल पंप पर तेल खरीदने के लिए लगी लोगों की कतार।

तेहरान के एक निवासी ने कहा कि लोगों के पास बमबारी से बचने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। पूरे शहर में कोई शेल्टर नहीं है जहां लोग भागकर जान बचा सकें।

बहुत से लोग उत्तर की ओर कैस्पियन सागर की ओर जा रहे हैं, जो अपेक्षाकृत शांत और दूरदराज का इलाका है, लेकिन रास्ते इतने जाम हो चुके हैं कि वहां पहुंच पाना भी मुश्किल हो गया है।

इजराइल ने रविवार को चेतावनी दी थी कि जो लोग हथियार बनाने वाले इलाकों के पास रहते हैं, वे तुरंत वहां से निकल जाएं क्योंकि खतरा और बढ़ सकता है।

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