Homeविदेशईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस नहीं रहे: 88 साल की उम्र में...

ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस नहीं रहे: 88 साल की उम्र में ब्रेन स्ट्रोक से निधन; अंतिम संदेश में गाजा में शांति की अपील की


  • Hindi News
  • International
  • Pope Francis Death LIVE Photos Update; Giorgia Meloni PM Modi Donald Trump | Italy Vatican City

वेटिकन11 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। वेटिकन के मुताबिक स्थानीय समयानुसार उन्होंने कल सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने आखिरी सांस ली। पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे।

अपनी मृत्यु से एक दिन पहले पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के लिए मौन आशीर्वाद दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर गाजा समेत दुनिया भर में चल रहे संघर्ष पर बात की और शांति की अपील की, जिसे उनके एक सहयोगी ने जोर से पढ़ा।

पोप के निधन पर भारतीय गृह मंत्रालय ने 3 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। इसमें पहले दो दिन का राष्ट्रीय शोक 22 और 23 अप्रैल को रहेगा, जबकि तीसरे दिन का राष्ट्रीय शोक अंतिम संस्कार वाले दिन रहेगा।

वेटिकन के मुताबिक स्ट्रोक और हार्ट फैलियर की वजह से पोप की मौत हुई। इससे पहले इटैलियन मीडिया ने भी बताया था कि ब्रेन स्ट्रोक की वजह से पोप के दिमाग में रक्तस्राव हो गया था। 14 फरवरी को फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से उन्हें रोम के एक हॉस्पिटल में एडमिट भी किया गया था।

पोप की आखिरी पब्लिक अपीयरेंस, ईस्टर पर शुभकामनाएं दीं

पोप फ्रांसिस ने रविवार को ईस्टर के मौके पर वेटिकन की बालकनी से लोगों को शुभकामनाएं दी थीं। इस दौरान वे व्हीलचेयर पर नजर आए थे।

पोप फ्रांसिस 1300 साल में पहले गैर-यूरोपीय थे, जिन्हें पोप चुना गया था। पोप ने समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च आने, सेम-सेक्स कपल्स को आशीर्वाद देने, पुनर्विवाह को धार्मिक मंजूरी देने जैसे बड़े फैसले लिए। उन्होंने चर्चों में बच्चों के यौन शोषण पर माफी भी मांगी थी।

भारत और स्पेन में पोप के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है।

आज रात 11:30 बजे वेटिकन में पोप का शव ताबूत में रखा गया। उनके वेटिकन स्थित सेंट मार्था निवास पर कार्डिनल केविन जोसेफ फैरेल ने उनका शव ताबूत में रखा। बुधवार को उनका शव सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा जा सकता है।

पोप फेफड़ों में इन्फेक्शन से भी जूझ रहे थे

पिछले कई महीनों से पोप स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्हें14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था। वे 5 हफ्ते तक फेफड़ों में इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती थे।

इलाज के दौरान कैथलिक चर्च के हेडक्वॉर्टर वेटिकन ने बताया था कि पोप की ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे थे। हालांकि 14 मार्च को उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया था।

पोप को रोम के जेमेली अस्पताल से 23 मार्च को डिस्चार्ज किया गया था। तब उन्होंने वेटिकन में लोगों को संबोधित किया था।

पोप फ्रांसिस को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा

पोप फ्रांसिस को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा। वे एक सदी से भी ज्यादा वक्त में वेटिकन के बाहर दफन होने वाले पहले पोप होंगे। आमतौर पर पोप को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे गुफाओं में दफनाया जाता है। लेकिन पोप फ्रांसिस को रोम में टाइबर नदी के दूसरी तरफ मौजूद सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफनाया जाएगा।

पोप ने सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में अपने दफन होने का बात का खुलासा दिसंबर 2023 में किया था। उन्होंने बताया था कि वे मैगीगोर बेसिलिका से खास जुड़ाव महसूस करते हैं। वे यहां वर्जिन मैरी के सम्मान में रविवार की सुबह जाते थे।

सांता मारिया मैगीगोर में 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है। पोप लियो XIII आखिरी पोप थे जिन्हें वेटिकन से बाहर दफनाया गया था। उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी।

पोप का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए रखा जाएगा

पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार होगा। इसमें कई दिनों तक चलने वाले धार्मिक अनुष्ठान होंगे। उनके पार्थिव शरीर को दर्शनों के लिए रखा जाएगा। दुनिया भर से लोग अंतिम संस्कार से पहले उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

अगले पोप की चयन प्रक्रिया को पैपल कॉन्क्लेव कहा जाता है

नए पोप के चयन की प्रक्रिया को ‘पैपल कॉनक्लेव’ कहा जाता है। इसका मतलब पोप का चुनाव कराने के लिए कार्डिनल्स की गुप्त बैठक होता है। यह सम्मेलन आम तौर पर पोप का पद खाली होने के 15 से 20 दिन बाद होता है।

कार्डिनल्स बड़े पादरियों का एक ग्रुप है। इनका काम पोप को सलाह देना है। हर बार इन्हीं कार्डिनल्स में से पोप चुना जाता है। हालांकि, पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है। 1379 में अर्बन VI आखिरी पोप थे, जिन्हें कार्डिनल्स कॉलेज से नहीं चुना गया था।

निधन से पहले अमेरिकी उपराष्ट्रपति से मिले थे

रविवार को ईस्टर के मौके पर पोप ने वेंस को गिफ्ट भी दिए थे।

वेटिकन के सेंट पीटर्स स्क्वायर पर लोग जुटना शुरू हो गए हैं।

1000 साल में पोप बनने वाले पहले गैर-यूरोपीय

पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थे, वो 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। उन्हें पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का उत्तराधिकारी चुना गया था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर-यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।

पोप का जन्म 17 दिसम्बर 1936 को अर्जेंटीना के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। पोप बनने से पहले उन्होंने जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो नाम से जाना जाता था। पोप फ्रांसिस के दादा-दादी तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी से बचने के लिए इटली छोड़कर अर्जेंटीना चले गए थे। पोप ने अपना ज्यादातर जीवन अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में बिताया है।

वे सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) के सदस्य बनने वाले और अमेरिकी महाद्वीप से आने वाले पहले पोप थे। उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की थी। साल 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने थे। साल 2001 में पोप जॉन पॉल सेकेंड ने उन्हें कार्डिनल बनाया था।

पोप फ्रांसिस के बड़े फैसले

समलैंगिक व्यक्तियों के चर्च आने पर: पद संभालने के 4 महीने बाद ही पोप से समलैंगिकता के मुद्दे पर सवाल किया था। इस पर उन्होंने कहा, ‘अगर कोई समलैंगिक व्यक्ति ईश्वर की खोज कर रहा है, तो मैं उसे जज करने वाला कौन होता हूं।’

पुनर्विवाह को धार्मिक मंजूरी: पोप ने दोबारा शादी करने वाले तलाकशुदा कैथोलिक लोगों को धार्मिक मान्यता दी। उन्होंने सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने के लिए ऐसे लोगों को कम्यूनियन हासिल करने का अधिकार दिया। कम्यूनियन एक प्रथा है जिसमें यीशु के अंतिम भोज को याद करने के लिए ब्रेड/पवित्र रोटी और वाइन/अंगूर के रस का सेवन किया जाता है। इसे प्रभु भोज या यूकरिस्ट के नाम से भी जाना जाता है।

बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी: पोप फ्रांसिस ने अप्रैल 2014 में पहली बार चर्चों में बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की बात स्वीकार की और सार्वजनिक माफी भी मांगी। चर्च के पादरियों की तरफ से किए गए इस अपराध को उन्होंने नैतिक मूल्यों की गिरावट कहा था। इससे पहले तक किसी पोप की तरफ से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं देने की वजह से वेटिकन की आलोचना की जाती थी।

पिछले साल 27 सितंबर को बेल्जियम की यात्रा के दौरान बच्चों के यौन शोषण पर कैथोलिक चर्चों से माफी मांगने के लिए कहा। उन्होंने ब्रुसेल्स में पादरियों से यौन उत्पीड़न के शिकार 15 लोगों से मुलाकात भी की।

—————————

पोप के निधन से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…

20 PHOTOS में देखें पोप फ्रांसिस की जिंदगी:बस से काम पर जाते थे, खुद खाना बनाते थे, टाइम मैगजीन ने पर्सन ऑफ द ईयर चुना

कैथोलिक ईसाइयों के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। अर्जेंटीना में 1936 में इटैलियन माता-पिता के घर जन्मे जॉर्ज मारियो बेर्गोग्लियो बचपन से धार्मिक रहे, हालांकि ये किसी ने नहीं सोचा था कि वे एक दिन ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु के पद पर बैठेंगे, खुद उन्होंने भी नहीं। पूरी खबर यहां पढ़ें…

जेल में महिलाओं के पैर धोए, साइकोलॉजी के टीचर बने:बच्चों के यौन शोषण पर माफी मांगी; पढ़ें पोप फ्रांसिस का पूरा सफर

आज पोप फ्रांसिस नहीं रहे। पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह वेटिकन में 7:35 मिनट पर निधन हो गया। इस स्टोरी में जानेंगे पोप फ्रांसिस की जिंदगी की कहानी, कैसे एक जेसुइट पादरी पोप बना, वे क्या बदलाव लाए… यहां पढ़ें…

दफनाने से पहले तोड़ी जाएगी पोप की अंगूठी:सफेद धुएं के क्या मायने; ईसाई धर्मगुरु के निधन के बाद की पूरी प्रक्रिया

पोप को उनकी इच्छा के मुताबिक, उनकी पसंदीदा चर्च में दफनाया जाएगा। इससे पहले आम तौर पर पोप का शरीर संरक्षित करने की परंपरा है। पोप का शरीर शांत होने के बाद उनकी अंगूठी क्यों तोड़ते हैं, नए पोप के लिए गोपनीय वोटिंग में चर्च से धुआं क्यों उठता है; उनके निधन से जुड़े 10 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे भास्कर एक्सप्लेनर में… यहां पढ़ें…

खबरें और भी हैं…



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version