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ये आरोप दमोह के युवक कृष्णा पटेल ने लगाए हैं। दरअसल कृष्णा ही वो शख्स हैं जिन्होंने दमोह के मिशन हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी के नाम पर फर्जीवाड़े के आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत मानव अधिकार आयोग से की है। उन्होंने ऑपरेशन करने वाले डॉ.नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की शिकायत में ये भी कहा है कि उनकी पहचान भी फर्जी है।
पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है। उसे दमोह लाकर पुलिस पूछताछ करेगी।
मिशन हॉस्पिटल जहां से ये विवाद शुरू हुआ।
पूरे घटनाक्रम की हकीकत समझने के लिए हमने इस मामले को उठाने वाले शख्स से बात की, मानवाधिकार टीम की जांच के बारे में पता किया, साथ ही मिशन हॉस्पिटल के बारे में भी जानकारी हासिल की….
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
छतरपुर से 14 किमी दूर बरी गांव है। 31 जनवरी को सुबह 4 बजे 70 साल के एक बुजुर्ग आशाराम पटेल को सीने में दर्द उठा। परिजनों ने उन्हें दमोह के मिशन हॉस्पिटल में एडमिट कराया। अस्पताल में बताया गया कि सीने में दर्द उठने का कारण हार्ट अटैक हो सकता है। ईसीजी के बाद अस्पताल के स्टाफ ने कहा कि मेजर अटैक की संभावना है। आप जल्द से जल्द पैसे का इंतजाम कीजिए। एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की तैयारी के साथ आइए। उन्होंने करीब 50 हजार रुपए खर्च लगने की बात कही।
बुजुर्ग के पोते कृष्णा पटेल ने बताया कि मैंने इस बात का विरोध किया और कहा कि एंजियोग्राफी का तो 10 से 15 हजार रुपए खर्च आता है। वो नहीं माने। उन्होंने कहा जब तक पैसा जमा नहीं कराएंगे तब तक डॉक्टर नहीं आएंगे।
मैंने ऑनलाइन पेमेंट करने की बात कही तो उन्होंने कहा कि संस्था ऑनलाइन पेमेंट नहीं स्वीकारती। हमने एक घंटे में कैश की व्यवस्था की। पैसे जमा किए। इसके बाद डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम हॉस्पिटल पहुंचा। उसने दादा जी की एंजियोग्राफी की। इसके बाद कहा कि आशाराम पटेल को हार्ट में मल्टीपल ब्लॉकेज हैं। इनकी ओपन हार्ट सर्जरी होगी। इनको कहीं बाहर दिखाओ।
डॉ.नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम जिस पर आरोप लगे हैं।
डॉक्टर से समझाने को कहा तो अपशब्द कहने लगा मैंने डॉक्टर से कहा कि आपने जो एंजियोग्राफी की है। उसे मुझे समझा दीजिए कि कहां-कहां ब्लॉकेज है। इसका वीडियो भी दे दीजिए, ताकि मुझे फिर से 50 हजार देकर एंजियोग्राफी न करवानी पड़े। इसके बाद डॉक्टर ने मुझे सबके सामने डांटा और अपशब्द कहने शुरू कर दिए। उसने मेरे चाचा जी को भी डांटा। बोला- वीडियो नहीं मिलेगा।
कुछ देर बाद उसने दादाजी को डिस्चार्ज कर दिया। हमने अपने परिजनों के साथ कुछ देर एंजियोग्राफी की सीडी लेने के लिए हंगामा किया। उन्होंने हमें सीडी दी। फिर हमने दादा जी को डिस्चार्ज कराया। बाद में देखा तो सीडी खाली थी। इसके बाद हम दादा जी को जबलपुर में डॉक्टर पुष्पराज पटेल के यहां ले गए।
तीन ब्लॉकेज थे, वो समझ गया कि उसके बस का नहीं डॉक्टर पुष्पराज ने बिना ओपन हार्ट सर्जरी के दो स्टेन डाल कर दादा जी का ऑपरेशन किया। अब दादा जी पूरी तरह स्वस्थ हैं। दादा जी का ऑपरेशन कराने के बाद मैंने डॉक्टर नरेंद्र के बारे में पड़ताल शुरू कर दी। वो इसलिए क्योंकि डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम जिस तरह से बात कर रहा था उससे संदेह हुआ कि ये डॉक्टर नहीं हो सकता।
वो उस दिन शायद मेरे दादा जी की सर्जरी भी कर देता, लेकिन उसने एंजियोग्राफी में देखा कि 3 ब्लॉकेज हैं। वो जानता था कि ऑपरेशन में खतरा है, मरीज की मौत हो सकती है। मामला उसके बस का नहीं था। साथ ही हमारे वाजिब सवालों के बाद वो समझ गया था कि ये पढ़े-लिखे और समझदार लोग हैं। ऑपरेशन के दौरान कुछ गड़बड़ी हुई तो परिजन बवाल खड़ा कर देंगे, इसलिए उसने वो ऑपरेशन नहीं किया।
उसने अब तक जितनी भी सक्सेसफुल सर्जरी की हैं वो एक ब्लॉकेज वाली सर्जरी थी।
पड़ताल में पता चला 15 ऑपरेशन में 7 मौत हुई मैंने डॉक्टर के बारे में पड़ताल की तो पता चला कि पहले ये डॉक्टर नरसिंहपुर में पदस्थ था। इसके बाद जबलपुर में भी इसने काम किया। मैंने इंटरनेट के माध्यम से डॉक्टर से जुड़े साक्ष्य जुटाए। पता चला कि डॉ. एन जॉन केम नाम के एक चर्चित कॉर्डियोलॉजिस्ट और समाजसेवी लंदन में प्रैक्टिस कर रहे हैं। ये डॉक्टर उन्हीं के नाम पर डॉक्टर बनकर घूम रहा है, क्योंकि इसका नाम नरेंद्र जॉन केम है।
मेरी जांच में ये भी सामने आया कि दमोह में इसके किए गए 15 ऑपरेशन में से 7 लोगों की मौत हो चुकी है। मैं लगातार डॉक्टर को एक्सपोज करने की कोशिश में लगा रहा। फिर मेरी मुलाकात दमोह के बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष दीपक तिवारी से हुई। उन्होंने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर मामले की जांच की मांग रखी और ये मुद्दा उभरकर सामने आया।
मानव अधिकार आयोग की टीम जांच के लिए दमोह पहुंची।
मानव अधिकार आयोग की टीम ने लंबी पूछताछ की दमोह के मिशन हॉस्पिटल में पिछले 3 महीने में हार्ट ऑपरेशन के दौरान 7 मौतों का दावा किया जा रहा है। 5 मौतों का रिकॉर्ड भी सामने आया है। इसके बाद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने प्रशासन से इन सभी 5 मृतकों के परिजनों को नोटिस भेज कर 7 मार्च को दमोह के सर्किट हाउस में पहुंचने को कहा।
5 में से 3 मृतकों के परिजन सर्किट हाउस पहुंचे। मानव अधिकार आयोग की टीम ने सभी से पूछताछ की। इसके बाद टीम मीडिया से बचते हुए शाम 5 बजे मिशन हॉस्पिटल पहुंची। करीब 4 घंटे तक तमाम दस्तावेजों के साथ अस्पताल प्रबंधन से बात करती रही।
इन 5 मरीजों की ऑपरेशन के बाद मौत हुई
- सत्येंद्र सिंह राठौर निवासी लाडनबाग, हथना, दमोहर
- हीसा बेग निवासी पुराना बाजार, नंबर 2, दमोह
- इजरायल खान, निवासी डॉ. पसारी के पास, दमोह
- बुधा अहिरवार निवासी बरतलाई, पटेरा, दमोह
- मंगल सिंह राजपूत निवासी बरतलाई, पटेरा, दमोह
सीएमएचओ पर भी उठे सवाल, जांच पूरी नहीं की दमोह बाल संरक्षण आयोग के सदस्य दीपक तिवारी ने ही कृष्णा पटेल की शिकायत पर इस मामले को उठाया है। उनका कहना है कि पीड़ित कृष्णा के माध्यम से फरवरी के महीने में ये मामला मेरे सामने आया था। डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम पर संदेह उठा तो हमने इसकी हिस्ट्री निकालनी शुरू की।
पता चला कि इसके ऊपर पहले से कई एफआईआर दर्ज हैं। साथ ही इस नाम के एक सुप्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट अमेरिका में प्रैक्टिस कर रहे हैं। उनकी साइट पर जाकर देखा तो उन्होंने भी इस डॉक्टर के बारे में लिखा था कि ये हमारे नाम से इंडिया में फर्जी काम कर रहा है।
हमने कलेक्टर सुधीर कोचर और सीएमएचओ मुकेश जैन को आवेदन दिया। उन्होंने जांच कमेटी बनाई। डेढ़ महीने बीत चुके थे, लेकिन जांच पूरी नहीं हो रही थी। हम प्रशासन से लगातार अपडेट ले रहे थे, लेकिन कोई ठोस जवाब और न्याय नहीं मिल रहा था। इसके बाद हमने मानव अधिकार आयोग से इसकी शिकायत की।
आयोग की टीम ने सीएमएचओ को बुलाया दमोह के सर्किट हाउस में मानव अधिकार आयोग पीड़ितों से बात कर रहा था। इसी बीच पुलिस बल के साथ कलेक्टर और एसपी भी वहां मौजूद रहे। मानव अधिकार की टीम ने सीएमएचओ को भी पूछताछ के लिए सर्किट हाउस बुलाया। पूछताछ के बाद जैसे ही सीएमएचओ मुकेश जैन बाहर निकले उन्हें मीडिया ने घेर लिया।
दैनिक भास्कर के रिपोर्टर के सवाल पर वो वहां से बिना कुछ बोले भाग निकले। इसके बाद शाम के वक्त मिशन हॉस्पिटल में भी सीएमएचओ को आना पड़ा। वहां भी उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की। पुलिस प्रोटेक्शन में वो मानव अधिकार आयोग की टीम के पास पहुंच गए। वो लगातार इस सवाल से बचते नजर आ रहे हैं कि उनके होते हुए एक निजी हॉस्पिटल में ये सब कैसे चलता रहा? जब उन्हें इस बात की शिकायत फरवरी माह की शुरुआत में ही की गई थी तो उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? मानव अधिकार आयोग की टीम के यहां पहुंचने की जानकारी लगते ही अचानक एफआईआर दर्ज क्यों कराई?
नरेंद्र के पास डिग्रियां हैं, रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। वह देहरादून का रहने वाला है। दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है। उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर भी दर्ज है। इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है। ये डिग्रियां कलकत्ता, दार्जिलिंग और यूनाइटेड किंगडम की बताई गई हैं।
मिशन हॉस्पिटल में 24 घंटे की इमरजेंसी सेवा भी दी जाती है।
10 साल से चल रहा मिशन अस्पताल 131 बिस्तर वाला मिशन अस्पताल बीते 10 साल से चल रहा है। इसमें सीटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, ईसीजी, थ्री डी इको, सोनोग्राफी की सुविधा है। ऑक्सीजन प्लांट, पैथ लैब, ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट, ऑपरेशन थिएटर, गहन चिकित्सा इकाई भी हैं। अस्पताल में इमरजेंसी सेवा और ट्रॉमा सेंटर भी है।
प्रयागराज से गिरफ्तार हुआ डॉक्टर 7 मार्च की शाम करीब 7.30 बजे दमोह एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जानकारी दी कि आरोपी डॉक्टर नरेंद्र जोन केम को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर पुलिस को औद्योगिक थाना अंतर्गत एक टाउनशिप के फ्लैट में मिला है। हमने वहां इसके पास मौजूद कुछ डॉक्यूमेंट भी जब्त किए हैं। दो टीमें आरोपी को आसपास के जिलों में ढूंढ रही थीं। एक टीम लोकेशन के आधार पर पूरी तैयारी के साथ प्रयागराज के लिए निकल गई थी।
सीएम योगी और नीतीश के साथ पोस्ट किए फोटो दमोह में 7 मौतों का आरोपी डॉक्टर सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड कर रहा है। उसके कुछ पुराने पोस्ट सामने आ रहे हैं। इनमें आरोपी की कुछ तस्वीरें नेताओं के साथ हैं। तस्वीरों में आरोपी डॉक्टर यूपी के सीएम योगी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। एक अन्य तस्वीर में बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ बैठा दिखाई दे रहा है।
एन जॉन केम नाम के वेरिफाइड अकाउंट से कुछ अन्य पोस्ट भी किए गए, जिनमें वो कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विरोध में बातें लिख रहा है। इस अकाउंट में तस्वीर भी आरोपी डॉक्टर की ही लगी है। हालांकि पुलिस इसकी जांच भी कर रही है।
साल 2023 में इसी अकाउंट से सीएम योगी के सपोर्ट में भी एक पोस्ट की गई थी। इसमें लिखा था कि इंडिया को सीएम योगी को दंगे बंद कराने के लिए फ्रांस भेज देना चाहिए। वो ये काम 24 घंटे के अंदर कर देंगे। पोस्ट में दिख रहा है कि उसके इस ट्वीट को रिपोस्ट कर योगी आदित्यनाथ के ऑफिस वाले हैंडल से रिप्लाई भी दिया गया था।
इन्हीं पोस्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- एन जोन केम ने डॉक्टर बनकर 7 लोगों की जान ली है। इस हत्यारे को भाजपा ने प्रमोट किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसके सोशल मीडिया पर री-ट्वीट करते हैं।
लंदन-जर्मनी के डॉक्टर ने भेजा मानहानि का नोटिस इस पूरे मामले में अहम बात ये है कि नरेंद्र जॉन केम के अलावा दो और डॉक्टर हैं जिनका नाम एन जॉन केम है। ये दोनों भी कार्डियोलॉजिस्ट हैं। एक लंदन में प्रैक्टिस करते हैं और दूसरे जर्मनी में। नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ खबरें प्रकाशित होने के बाद जर्मनी के डॉक्टर ने भारतीय मीडिया के करीब 23 संस्थानों को 5-5 करोड़ का मानहानि का नोटिस भेजा है। खास बात ये है कि नोटिस में जर्मनी के एन जॉन केम डॉक्टर के पिता और पते की जो जानकारी दी गई है, वो आरोपी डॉक्टर के आधार कार्ड पर लिखी है।
छग के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत का मामला भी उठा आरोप है कि छग के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत भी इसी डॉक्टर की लापरवाही से हुई थी। शुक्ल करीब 32 साल तक विधायक रहे। विधानसभा अध्यक्ष भी बने। 20 अगस्त 2006 को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई।
यह ऑपरेशन भी नरेंद्र जॉन केम ने किया था। शुक्ल के बेटे प्रोफेसर प्रदीप शुक्ल ने बताया कि नरेंद्र दो से तीन महीने के लिए अपोलो आया था। इस दौरान 8 से 10 मरीजों की मौत हुई थी। जब विवाद बढ़ा तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्कालीन अध्यक्ष और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वायएस. दुबे ने इसकी जांच करवाई। जांच में पाया गया कि नरेंद्र के दस्तावेज फर्जी थे। उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी, वह कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था।