एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉ. संजय दीक्षित की मुसीबत रिटायरमेंट के बाद भी कम होने का नाम नहीं ले रही। अब आयुष्मान इंसेटिव में गड़बड़ी के आरोपी दीक्षित के पेंशन और भुगतान पर रोक लगा दी गई है। इस संबंध में संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा विभ
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कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा संभाग इंदौर ने पूर्व डीन डॉ संजय दीक्षित के खिलाफ पुलिस और प्रशासनिक एवं लोकायुक्त जांच प्रचलन में होने का हवाला देते हुए उनके पेंशन और भुगतान लंबित रखने के का निर्देश दिया हैं।
पत्र में अजाक संघ के एक पत्र का हवाला भी दिया गया है, कहा गया था कि डॉ. संजय दीक्षित के विरुद्ध पुलिस एवं प्रशासनिक विभागीय जांच कार्यवाही चल रही हैं। इंदौर लोकायुक्त में भी कार्यवाही प्रचलन में है। इसके कारण जांच कार्यवाही पूर्ण होने तक इनके पेंशन प्रकरण आदि के भुगतान लंबित रखने की बात कही गई हैं।
डॉ. संजय दीक्षित के पेंशन और भुगतान लंबित रखने के लिए पत्र जारी किया गया हैं।
आयुष्मान इंसेटिंव में की थी गड़बड़ी
यह पूरा मामला करोड़ों के आयुष्मान इंसेटिंव वितरण में की गई गड़बड़ियों से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि प्रोफेसर डॉक्टर यामिनी गुप्ता और फार्मासिस्ट रामेश्वर चंदेल ने तत्कालीन डीन दीक्षित के साथ मिलकर आयुष्मानइंसेटिंव वितरण में गड़बड़ी की। अपात्र को पत्र बनाकर इंसेटिंव का वितरण किया गया।
लोकायुक्त में भी जांच प्रकरण दर्ज
लोकायुक्त ने भी इस मामले में पूर्व डीन के खिलाफ जांच प्रकरण पंजीबद्ध कर विभागों से दस्तावेज मांगे थे। उस समय दीक्षित ने लोकायुक्त जांच को झूठा बताया। डॉ. दीक्षित सभी को अपने खिलाफ शुरू हुई लोकायुक्त जांच को लेकर भ्रमित करते रहे। जबकि संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा कार्यालय से इन्हीं बिंदूओं को ध्यान में रखते हुए पेंशन और भुगतान रोकने का निर्देश पत्र एमजीएम को मिला है, ऐसे में सारी स्थिति साफ हो गई है।