अफसर न मिलने से विस्थापित आदिवासी मायूस होकर लौट गए।
नर्मदापुरम जिला मुख्यालय में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से विस्थापित हुए खामदा भाग-2, सुपलई और सांकई गांव के आदिवासी महिला-पुरुष पहुंचे। गुरुवार को कलेक्ट्रेट और एसटीआर के डिवीजन में आए थे। लेकिन उन्हें एसटीआर दफ्तर में फील्ड डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर
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गर्मी में ट्रैक्टर-ट्रॉली पर आए आदिवासी करीब 15 मिनट तक दफ्तर के बाहर खड़े रहे लेकिन दफ्तर से कोई भी समस्या सुनने तक बाहर नहीं आया। आखिर में वह निराश होकर लौट गए। आदिवासियों ने एसटीआर प्रबंधन पर विस्थापन में धोखा देने के आरोप लगाएं।
विस्थापित आदिवासियों ने चेतावनी दी है कि अगर एक सप्ताह में उनकी समस्या का समाधान हुआ, तो वह एसटीआर के कोर क्षेत्र में जा चुके अपने पुराने गांव में या भीमकुंड गेट पर जाकर धरना देंगे।
मुरम की जगह पथरीली जमीन दी सुपलई के आदिवासी रामतेज तेकाम ने बताया विस्थापन से पहले उन्हें जो कृषि भूमि दिखाई थी। वो देने के बजाय अब दूसरी मुरम और पथरीली वाली जमीन दें, जिसमें खेती करना संभव नहीं। अफसर बताएं की पथरीली और मुरम वाली जमीन में हम खेती कैसे करेंगे।
कंचन लाल काकोडिया ने बताया हम जमीन की मांग के लिए आएं है। चार साल से हम कृषि भूमि की मांग कर रहे। हमें मुरम पथरीली जमीन दी जा रही। विस्थापन के बाद से परिवार के भरण पोषण की दिक्कत हो रही। आय का जरिया भी खत्म हो गया। अफसर ने हमारी समस्या का पर ध्यान नहीं दें रहे। अगर 7 मई तक भूमि सीमांकन कर आवंटित नहीं की गई तो हम सभी भीमकुंड गेट पर जाकर धरने पर बैठेंगे।
सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह राजपूत ने लिखा पत्र।
विधायक ने भी दी धरने की चेतावनी, लिखा पत्र विस्थापित खामदा गांव के आदिवासी ग्रामीणों की समस्या को लेकर सोहागपुर विधायक विजयपाल सिंह राजपूत ने कलेक्टर को पत्र लिखा। इसमें बताया कि नया खामदा भाग-02 तहसील इटारसी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व चुरना में 03 वर्ष पूर्व विस्थापित किया गया है।
विस्थापन के पूर्व में वन विभाग द्वारा इन्हें जो जमीन दिखाई गई थी, वह न देकर इन लोगों को अब दूसरी जमीन दिखा रहे है, लेकिन आज दिनांक तक न तो वन विभाग द्वारा इनको जमीन नहीं दी है और न ही कोई मूल भूत कोई सुविधा दी गई है।
जिसके कारण इनको भरण पोषण काफी परेशानियां हो रही है। विस्थापन का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उक्त ग्रामवासियों को जमीन दी जाएं या पूर्ववत की तरह उन्हें उसी ग्राम में रहने दिया जाएं। अन्यथा की स्थिति में किसी धरना या आंदोलन की स्थिति बनती है तो मुझे भी मजबूरी बस इन ग्रामीणों का साथ देना पड़ेगा।
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के डिवीजन ऑफिस परिसर में खड़े विस्थापित आदिवासी परिवार।