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एस जयशंकर बोले- ट्रम्प के टैरिफ का फिलहाल असर नहीं: आगे क्या होगा, ये अभी नहीं पता, हमारा फोकस ट्रेड डील की बातचीत आगे बढ़ाने पर


नई दिल्ली18 मिनट पहले

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जयशंकर ने कहा कि हमने तय किया है कि हम बहुत खुले और पॉजिटिव तरीके से ट्रम्प प्रशासन से इस मुद्दे पर बात करेंगे। - Dainik Bhaskar

जयशंकर ने कहा कि हमने तय किया है कि हम बहुत खुले और पॉजिटिव तरीके से ट्रम्प प्रशासन से इस मुद्दे पर बात करेंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से लगाए गए टैरिफ को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि इस टैरिफ का भारत पर क्या पड़ा है, ये फिलहाल पता नहीं चला है। आगे इसका क्या असर होगा, ये भी हम नहीं जानते हैं। हमने तय किया है कि हम बहुत खुले और पॉजिटिव तरीके से ट्रम्प प्रशासन से इस मुद्दे पर बात करेंगे।

जयशंकर ने बुधवार को पहली बार टैरिफ पर विस्तार से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस परिस्थिति से निपटने की हमारी रणनीति ये है कि हम इस साल अमेरिका के साथ द्विपक्षीय ट्रेड डील पर आगे बढ़ें। भारत शायद वह अकेला देश है जो डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका के साथ ट्रेड डील साइन करने की बातचीत तक आया है।

ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर 26% टैरिफ लगाया

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तरफ से 9 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए गए। टैरिफ लगने वाले देशों में भारत भी शामिल है। भारत पर 26% टैरिफ लगाया गया है। फरवरी 2025 में पीएम मोदी ने अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प से मुलाकात की थी। इसके बाद दोनों देशों ने इस साल के अंत तक व्यापार समझौते के पहले चरण पर बातचीत करने की घोषणा की थी।

जयशंकर बोले- हम पहले से अमेरिका के साथ ट्रेड एग्रीमेंट पर बात कर रहे

जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया का हर देश अमेरिका से निपटने के लिए अपनी रणनीति बना रहा है, और भारत का लक्ष्य ट्रम्प प्रशासन के साथ एक व्यापार समझौते पर पहुंचना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात ने इस ट्रेड डील पर गंभीर बातचीत की जरूरत बढ़ा दी है।

उन्होंने आगे कहा कि अगर आप ट्रम्प के पहले कार्यकाल को देखें, तो हम उस वक्त भी एक ट्रेड पैक्ट पर बातचीत कर रहे थे, जो तब फाइनल नहीं हो सका। बाइडेन प्रशासन के दौरान हमने व्यापार की संभावनाओं पर चर्चा की और आखिरकार IPEF (इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क) के साथ आगे बढ़े।

जयशंकर ने कहा कि बाइडन प्रशासन हमारे साथ द्विपक्षीय समझौता करने के बिल्कुल खिलाफ था। भारतीय नजरिए से देखा जाए तो अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौता करना हमारे लिए न तो नकारात्मक है और न ही ये ऐसी चीज है जो हम नहीं चाहते। बल्कि ये लंबे समय से हमारा उद्देश्य रहा है।



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