देवास की धानी घाटी के कंजर और बाग-टांडा की गैंग इंदौर पुलिस पर भारी पड़ रही है। शहर के हर थाना क्षेत्र में गैंग ने वारदात की है। बावजूद इसके पुलिस की बीट, माइक्रो बीट सिस्टम और क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीमें भी इन्हें पकड़ने में नाकाम हो चुकी हैं।
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शहर में 1 जनवरी से 31 अक्टूबर तक 305 दिन में 2,619 गाड़ियां चोरी हो चुकी हैं। यानी औसतन हर 3 घंटे में 1 बाइक चोरी हो रही है। इस तरह अब तक 26.19 करोड़ रुपए की गाड़ियां चोरी हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा चोरियां 6 थाना इलाकों में हुई हैं।
10 महीने में लसूड़िया इलाके से 263, विजय नगर से 204, भंवरकुआं से 173, संयोगितागंज से 146, बाणगंगा से 132, तुकोगंज से 130, खजराना से 122, तिलकनगर से 103 और एमआईजी से 99 वाहन चोरी के केस दर्ज हैं। इसके अलावा अन्य थाना क्षेत्रों में भी चोरियां हुई हैं।
पुलिस की बड़ी खामी यह है कि वे तुरंत रिपोर्ट लिखकर छानबीन नहीं करती। अंग्रेजों के जमाने से चल रहे पैटर्न पर चालक से सूचना लेते हैं। कंट्रोल रूम पर सूचना प्रसारण के 2-3 दिन बाद एफआईआर दर्ज होती है। तब तक गाड़ियां या तो बिक चुकी होती हैं या उनके पार्ट्स निकल चुके होते हैं।
3-4 महीने बाद पुलिस खुद ही रिपोर्ट का खात्मा कर देती है। देखा जाए तो 4 साल में पुलिस के पास बदमाशों के चोरी करते 2 हजार से ज्यादा फुटेज होंगे, लेकिन वह आरोपियों को ढूंढ नहीं पाई।
एक भी दिन ऐसा नहीं बीता जब गैंग न आई हो
इंदौर से 45 किमी दूर धानी घाटी के कंजर पूरे देश में लूट, चोरी, डकैती के लिए बदनाम हैं। वहीं शहर से 126 किमी दूर बाग-टांडा है, वहां की गैंग चोरी के लिए कुख्यात है। ऐसा एक भी दिन नहीं बीता जब इन दोनों इलाकों के बदमाशों ने शहर में वारदात न की हो। वहीं, वाहन चोरी रोकने के लिए क्राइम ब्रांच में भी स्पेशल टीम बना रखी है। वह भी बदमाशों को पकड़ने में नाकाम है।
शहर में लोकल गैंग भी सक्रिय -बाग-टांडा और कंजर गैंग के अलावा शहर के बदमाश भी बाइक चुराने में पीछे नहीं हैं। हालांकि, इंदौर पुलिस ने दर्जनों चोरी के वाहन पकड़े हैं। कुछ अपराधी अभी भी जेल में बंद हैं। अधिकांश बदमाशों ने नशे या गर्लफ्रेंड और कर्ज में डूबने के बाद चोरियां की हैं।