जिले में करीब आठ महीने पहले इंदौर का विजन डाक्यूमेंट-2047 बनाने की कवायद शुरू हुई थी। इसे बनाने की डेडलाइन 15 अगस्त थी, लेकिन कुछ विभागों से सहीं प्रस्ताव न मिलने के कारण इसका मामला अटक गया।
.
अब जिला प्रशासन इसमें एक्सपर्ट की मदद ले रहा है। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने जून में इसे लेकर सभी विभागों की बैठक ली थी और अपनी-अपनी भविष्य की जरूरतों के हिसाब से प्लानिंग के प्रस्ताव मांगे थे। उद्योग विभाग, इंदौर विकास प्राधिकरण, नगर निगम सहित कई विभागों ने यह प्रस्ताव भी दिए थे, लेकिन जिस तरह की प्लानिंग उनमें होना थी, वह निगम सहित कुछ विभागों में वैसे नहीं मिली।
इसलिए अब प्रशासन ने कुछ एक्सपर्ट को डेटा देकर उचित प्लान मांगा है। इसमें शहर में बनने वाले फ्लायओवर, सड़कें, स्टेशन, नीतिगत पॉलिसी, ग्रीनरी और रिक्रिएशन सेंटर सहित शहर के सरकारी विभागों की जमीनों पर बनने वाले रि-डेंसीफिकेशन के प्रस्ताव भी शामिल है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि नए साल के पहले ही महीने में इसे फाइनल कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है राज्य सरकार भी पूरे प्रदेश का विजन डाक्यूमेंट-2047 बनवा रही है। सीएम ने सभी विभागों को भी अगले तीन महीने में इसे बनाने के लिए कहा है।
जनसंवाद के बाद नागरिकों का विजन भी करेंगे शामिल
संभागायुक्त दीपक सिंह ने भी संभाग के सभी जिलों, नगरों और ग्राम पंचायत स्तर पर विजन सही बनाने के निर्देश दिए है। मंगलवार को उन्होंने सभी कलेक्टर को जारी निर्देश में कहा कि विकसित मध्यप्रदेश 2047 विजन सही तैयार किया जा रहा है। इस विजन डॉक्यूमेंट को तैयार करने में नागरिकों की भागीदारी के लिए जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
इस कार्यक्रम से मिलने वाली नागरिकों की आकांक्षाओं, विचारों और प्राथमिकताओं को विजन डॉक्यूमेंट में शामिल किया जाएगा। सभी कलेक्टर से कहा गया है कि वे अपने-अपने जिलों में जिला, शहरी निकाय एवं ग्राम पंचायत स्तर पर जन संवाद कार्यक्रम करें। जनता से 10 जनवरी तक फीडबैक ले।
राज्य स्तर पर तैयार किया जा रहे विजन डॉक्यूमेंट के प्रारूप को जिलों के साथ साझा किया जाएगा। इस प्रारूप के आधार पर प्रत्येक जिला प्रदेश के समग्र विजन के साथ अपना जिला स्तरीय विजन सही तैयार कर सकेगा। यह प्रक्रिया जिलों की विशेषताओं, प्राथमिकताओं और संभावनाओं को शामिल करते हुए समग्र और समावेशी विकास के लिए होगी।