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‘केजरीवाल ने वादा तोड़ा, लेकिन BJP तो घर छीन लेगी’: कचरे के पहाड़ पर जिंदगी- दबकर मरो या बीमारी से, शिकायत की तो बेघर


‘एक दिन कचरे का ढेर ढह गया। मेरे पति के भाई उसमें दब गए। मेरी सास खूब रोईं, तब से ही बीमार हैं। हमने डर से FIR भी नहीं कराई। पुलिस आती तो काम रुक जाता, बस्ती भी उजाड़ देते। आज तक लाश नहीं मिली। मेरी 4 साल की बेटी भी पेट के इन्फेक्शन से मर गई।’

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दिल्ली के गाजीपुर में दूर से ही जो कचरे का पहाड़ नजर आता है, उसी के पास बस्ती में रुखसाना रहती हैं। ये रुखसाना की कहानी है। जब वो ये सुना रही होती हैं तो उनकी सास रुकैया बस हमें देखती रहती हैं। लेकिन ये अकेली कहानी नहीं है।

पास ही रहने वाली अजमीरा भी लैंडफिल साइट पर कचरा बीनती हैं। गंदगी में रहने की वजह से फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया। सांस लेने में तकलीफ है। काम से कोई शिकायत नहीं। बस यहां सुविधाएं न मिलने से नाराज हैं। AAP विधायक से गुस्सा हैं, लेकिन ये भी नहीं चाहती कि BJP आए। कहती हैं, ‘BJP आई तो बस्ती उजाड़ देगी। हम कहां जाएंगे।’

दिल्ली से निकलने वाला कचरा यहां की 3 लैंडफिल साइट गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में जाता है। ये तीनों साइट्स दिसंबर 2024 तक क्लियर की जानी थीं, लेकिन अब ये तारीख बढ़कर दिसंबर 2028 हो गई है।

दिल्ली में रोज 11 हजार टन कचरा निकलता है। ये कचरा 3 लैंडफिल साइट्स गाजीपुर, ओखला और भलस्वा में जाता है। सिर्फ गाजीपुर में 84 लाख टन कचरा और 3500 टन गंदा पानी जमा है। दिल्ली कचरे से बोझ से दबी जा रही है। इससे होने वाला पॉल्यूशन भी बड़ा मसला है, लेकिन विधानसभा चुनावों में ये कचरा और यहां रहने वाले लोगों की दिक्कतें कोई मुद्दा नहीं हैं।

दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘हम भी दिल्ली’ के तीसरे एपिसोड में हम तीनों लैंडफिल साइट्स से प्रभावित दो तरह से किरदारों से मिले। इनके जरिए समझिए लैंडफिल साइट्स वाली कोंडली, बादली और ओखला विधानसभा सीट पर क्या चुनावी माहौल है। यहां रहने वाले लोगों के बीच ये कितना बड़ा चुनावी मुद्दा है। पॉलिटिकल पार्टीज से उनकी क्या उम्मीदें हैं।

सबकी परेशानी की वजह कचरा, लेकिन शिकायतें अलग-अलग मोनू, अजमीरा और उनके जैसे लोगों की परेशानियां और उनके लिए चुनाव के मायने समझने हम उनकी बस्ती में पहुंचे। यहां एक तबका आसपास की कॉलोनियों में रहने वाला मिला, जो चाहता है कि उनके घर के सामने से कचरे का पहाड़ हट जाए। वे चाहते हैं कि इसे शहर से दूर ले जाना चाहिए।

कहानी के दूसरे किरदार वो लोग हैं, जो इसी कचरे के ढेर पर जिंदगी गुजार रहे हैं। इनका घर कचरे से होने वाली कमाई से चलता है। उनकी परेशानियों की वजह भी यही कचरा है। वे फिर भी नहीं चाहते कि लैंडफिल साइट्स और उनकी बस्ती यहां से हटाई जाए।

बस्ती के लोगों की बात… किरदार: रुखसाना गंदे पानी से बेटी की जान गई, जेठ कूढ़े के ढेर में दबकर मरे सबसे पहले हम गाजीपुर लैंडफिल साइट पहुंचे। यहां कचरे का 65 मीटर ऊंचा पहाड़ है। ये दिल्ली की मशहूर कुतुबमीनार से सिर्फ 7 मीटर कम है। इस पर चढ़ने में करीब एक घंटा लगता है। यहां की आबोहवा में भयंकर बदबू और जहरीली गैस घुली हुई है। दोपहर 12 बजे से लोग यहां कचरा बीनने आने लगते हैं। चेहरे पर न मास्क, न शील्ड या न ही किसी के हाथ में दस्ताने।

यहां हमारी मुलाकात रुखसाना से हुई। वे इस कचरे के पहाड़ से सिर्फ 100 मीटर दूर झुग्गी में रहती है। हम उनसे बात कर ही रहे थे, तभी प्लांट में काम कर रहे लोग वहां आ गए और वीडियो बनाने से रोक दिया। रुखसाना हमें अपने घर ले गईं। पति पास में ही गार्बेज प्लांट में सफाई कर्मचारी है। घर में चार बच्चे और सास रुकैया हैं।

पिछले साल रुकैया के बड़े बेटे अंसार की कचरे के ढेर में दबने से मौत हो गई। तभी से वे बीमार रहती हैं।

रुखसाना के घर के एक कमरे में कचरे की बोरियां भी रखी हैं और चूल्हा भी। वे बताती हैं, ‘हम कचरा घर ले आते हैं। यहीं प्लास्टिक, डिब्बे, बोतल और इलेक्ट्रॉनिक सामान अलग-अलग करते हैं। कुछ सामान बोरियां में भरकर घर पर भी रखते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर बेच सकें।’

रुखसाना गाजीपुर में कचरे के पहाड़ से सिर्फ 100 मीटर दूर झुग्गी में रहती हैं। यहां के गंदे पानी के चलते 3 साल पहले उनकी बेटी की मौत हो गई। परिवार बीमारियों से परेशान है।

रुखसाना का दिन सुबह 6 बजे से शुरू हो जाता है। वे बताती हैं, ‘यहां पीने का पानी नहीं है। थोड़ी दूर से लाना पड़ता है। बाकी कामों के लिए पड़ोसी से पानी मांग लेते हैं। उनके घर में बोरिंग है। इसके लिए हर महीने 1200 रुपए देते हैं।’

‘पानी इतना खारा है कि आंखों में जलन होती है। शरीर पर खुजली होती है। पिछले साल मेरे पूरे परिवार को एलर्जी हो गई थी। शरीर पर छोटे दाने निकल आए थे। डॉक्टर ने बताया कि ये गंदा पानी पीने की वजह से हुआ है। पानी में सफेद रंग का कुछ निकलता था। कीड़े भी आते थे। अब पानी कपड़े से छानकर लाती हूं।’

इसी गंदे पानी की वजह से 3 साल पहले रुखसाना की बेटी की मौत हो गई थी। वे बताती हैं, ‘2022 में बेटी को डबल निमोनिया हो गया था। वो सिर्फ 4 साल की थी। कलावती अस्पताल में उसका इलाज कराया। पानी की वजह से पेट में इंफेक्शन भी हो गया था। हम उसे नहीं बचा सके।’

जेठ अंसार की मौत के बारे में पूछने पर रुखसाना बताती हैं, ‘कूड़े के ढेर में दब गए थे। आज तक डेडबॉडी नहीं मिली। हम FIR लिखवाना चाहते थे, बस्ती के लोगों ने रोक दिया। कहने लगे कि अगर शिकायत करेंगे तो यहां काम बंद हो जाएगा। बस्ती खाली करा देंगे।’

केजरीवाल ने फ्री बिजली दी, BJP आई तो हमें उजाड़ देगी इतनी तकलीफों के बीच भी रुखसाना को दिल्ली सरकार से कोई शिकायत नहीं। वे कहती हैं, ‘कुछ दिन पहले विधायक आए थे। यहां काम पहले से अच्छा हो गया है। बिजली फ्री हो गई है। बस फ्री मिलती है। मां से मिलने फ्री में चले जाते हैं। अरविंद केजरीवाल ने सड़क बनवाने का वादा किया है। वो पानी की लाइन डालेंगे। नाली का काम शुरू हो गया है।’

किरदार: अजमीरा न साफ पानी, न टॉयलेट, सिर्फ बीमारियां और लाचारी मिली रुखसाना के घर से कुछ दूर अजमीरा रहती हैं। वे भी गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कचरा बीनती हैं। परिवार में तीन बच्चे हैं। अजमीरा बताती हैं, ‘कचरे के पहाड़ तक पहुंचने में एक घंटा लग जाता है। वहां तक जाए बिना काम नहीं होता, क्योंकि ताजा कचरा पहाड़ पर सबसे ऊपर मिलता है। इसके बाद दिनभर गंदगी के बीच रहते हैं। खांसी, गले में खराश और कभी-कभी सीने में दर्द पीछा नहीं छोड़ता।’

’20 दिन पहले की बात है। मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। फिर एक रात सीने में भी दर्द होने लगा। एक्स-रे कराया, तो फेफड़ों में इंफेक्शन का पता चला। डॉक्टर ने कुछ दिन आराम करने को कहा। अब अगर आराम करेंगे तो बच्चों का पेट कौन भरेगा। अब मैं दवा खाकर काम पर जाती हूं।’

‘महीने के 4 से 6 हजार रूपए कमाते हैं। उसी में मुश्किल से गुजारा होता है। झुग्गियों में सिर्फ एक टॉयलेट है, वो भी 500 मीटर दूर है। वहां रात में जाना सेफ नहीं होता है।’

BJP की सरकार नहीं चाहिए, वो आए तो झुग्गी हटा देंगे चुनाव के जिक्र होते ही अजमीरा के मन की बात सामने आ जाती है। वो कहती हैं, ‘नेताओं के वादे हवा में उड़ जाते हैं। एक बार सड़क बनी थी, लेकिन अब वो भी टूट चुकी है। विधायक कुलदीप कुमार ने जीतने के बाद कभी झुग्गियों की सुध नहीं ली। BJP से तो हमें पहले ही उम्मीद नहीं है। वो सिर्फ झुग्गी हटाने का काम करती है।’

किरदार: लाड़ली कचरा और गंदगी से परेशान, बीमारी की वजह से काम छूटा इस झुग्गी में बिहार, UP और पश्चिम बंगाल से आए कई लोग रहते हैं। कोलकाता से आकर यहां बस गईं लाड़ली कहती हैं, ‘बिजली की कोई परेशानी नहीं है। सबके घर में मीटर लगे हैं। जब से आई हूं, तबसे यहां कचरे का पहाड़ देख रही हूं। इसी से कबाड़ बीनकर यहां कई लोगों के घर चल रहे हैं। मैं भी पहले कचरा बीनती थी। अब बीमारी की वजह से नहीं जाती हूं।’

किरदार: रीता देवी कीचड़ में रहते 10 साल हो गए, फिर भी AAP सरकार ठीक है आगे बढ़े तो रीता देवी घर के बाहर भरा गंदा पानी हटाती मिलीं। वो 10 साल पहले बिहार के दरभंगा से आकर यहां बसी थीं। दिल्ली की ही वोटर हैं। पति रिक्शा चलाते हैं। रीता कहती हैं, ‘यहां पानी और कीचड़ बहुत ज्यादा है। आपको तो यहां तक आने में दिक्कत हुई। हम तो इसी में रहते हैं।‘

‘बर्तन अंदर धोती हूं, तो पानी बाहर आ जाता है। यहां नाली नहीं बनी है। पानी न हटाऊं तो झुग्गी वाले झगड़ा करते हैं। इसी गंदगी में सब काम करना पड़ता है। 10 साल पहले जब मैं यहां आई थी, तब हालात बेहतर थे। अब यहां भीड़ बढ़ गई है।‘

रीता देवी बिहार के दरभंगा की रहने वाली हैं। 10 साल पहले दिल्ली के गाजीपुर की इसी बस्ती में आकर बसीं और तब से यहीं अव्यवस्थाओं के बीच रह रही हैं।

चुनावी माहौल पूछते ही रीता कहती हैं, ‘अरविंद केजरीवाल को इतने साल में हमारी याद नहीं आई। अब चुनाव के वक्त सड़क बनवाने का वादा करके गए हैं। फिर भी BJP से AAP बेहतर है। बिजली फ्री है। महिलाओं को 2100 रुपए देने के लिए फॉर्म भरवा लिया है। झुग्गी भी नहीं हटाएंगे। BJP आई तो हमें डर है कि हमारी झुग्गी हटा दी जाएगी।’

2024 तक खत्म होना था कूड़े का पहाड़ भलस्वा, ओखला और गाजीपुर की लैंडफिल साइट का कैपेसिटी से ज्यादा इस्तेमाल कर लिया गया है। दिल्ली में म्युनिसिपल एरिया से रोजाना 11 हजार टन कचरा निकलता है। दिल्ली सरकार ने बीते दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रोज सिर्फ 8000 टन कचरा ही ट्रीट हो पाता है। लिहाजा रोज 3000 टन कचरा डंप कर दिया जाता है।

2020 में विधानसभा चुनाव के वक्त गाजीपुर में कचरे के पहाड़ की ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी। दिल्ली की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी गाजीपुर लैंडफिल 2002 में ही बंद होनी थी। दूसरी जगह न होने से यहां कचरा डंप करना जारी रहा। 2019 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने तीनों डंपिंग साइट्स हटाना शुरू करने का आदेश दिया था।

दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने ओखला में दिसंबर 2023, भलस्वा में मार्च 2024 और गाजीपुर में दिसंबर 2024 तक कचरे का पहाड़ खत्म करने का टारगेट रखा था। तय समय पर कचरा नहीं हटाया जा सका और अब इसे बंद करने की तारीख बढ़ाकर दिसंबर 2028 कर दी गई है। BJP विधानसभा चुनाव में इसे लेकर AAP को घेर रही है।

अब लैंडफिल साइट्स के पास बसे कॉलोनी वालों की बात… बारिश में बदबू से यहां जीना मुश्किल, बस ये कचरा हट जाए भलस्वा लैंडफिल साइट के पास ही स्वामी श्रद्धानंद कॉलोनी है। यहां रहने वाले जेपी मिश्रा के लिए चुनाव में कचरा मुद्दा तो नहीं है, लेकिन वो चाहते हैं कि इसे हटाया जाए। वे कहते हैं, ‘मैं पिछले 20 साल से ये कचरा देख रहा हूं। हम यहां रहने आए थे तब कचरा था, लेकिन समतल जमीन हुआ करती थी। फिर ये बढ़ता ही गया और पहाड़ खड़ा हो गया।‘

‘यहां का पानी बहुत गंदा है। सड़क ठीक नहीं है। बारिश में तो बदबू से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। तेज हवा चलती है कि सूखा कचरा उड़कर घर में आ जाता है। पानी-जमीन सब पॉल्यूडेट हैं। यहां रहने वालों को तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं। यहां बहुत मुश्किलों में जी रहे हैं।

‘हालांकि, कचरा पहले से कम हुआ है। केजरीवाल सरकार ने यहां काम किया है, लेकिन अब भी बड़ा हिस्सा हटना बाकी है। यहां सरकार चाहे किसी की भी आए, अभी इसे हटने में 3 से 4 साल लग जाएंगे।‘

यहीं रहने वाले मोनू कहते हैं, ‘हम बचपन से यहां कचरे का पहाड़ देख रहे हैं। इसे हटाना इतना आसान नहीं है। बहुत टाइम लगेगा। मेरे ससुराल वाले जब घर आए थे, तब वो भी कह रहे थे कि ये कहां रह रहे हो। हम सब चाहते हैं कि यहां से कचरा पूरी तरह से हटे और यहां कॉलोनी बनाई जाए। कचरा ही नहीं यहां इसके अलावा भी दिक्कतें हैं। यहां नाली, सीवर और गंदे पानी की समस्या है। बारिश में हर तरफ पानी भर जाता है।‘

भलस्वा में ही राजकुमार की दुकान कचरे के पहाड़ के ठीक सामने हैं। वो कहते हैं, ‘हम इसे तब से देख रहे हैं, जब यहां कुछ नहीं था। AAP के अजेश यादव दो बार से चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन कोई विकास नहीं किया। 10 साल से सब उसी हाल में है।‘

क्या चुनाव में कचरे का पहाड़ मुद्दा है? राजकुमार कहते है, ‘चुनाव में असली मुद्दा तो पानी, सड़क और सफाई है। यहां पानी की निकासी का कोई सिस्टम नहीं है। कचरा भी मुद्दा है, लेकिन इसे हटाना अब सरकार के लिए चैलेंज हो गया है। इसे हटा पाना आसान नहीं है। ये हट जाएगा, तो यहां के लोगों की सेहत बेहतर हो जाएगी।’

अब बात पॉलिटिकल पार्टीज की… BJP: AAP कचरा हटाने का वादा कर MCD में आई, किया कुछ नहीं BJP प्रवक्ता विष्णु मित्तल कहते हैं, ‘दिल्ली के MCD चुनाव में अरविंद केजरीवाल सबसे पहले कचरे के पहाड़ पर फोटो खिंचवाने गए थे। तब उन्होंने कहा था कि अगर हम MCD में आए, तो एक साल में इसे हटवाएंगे। MCD चुनाव जीते 2 साल से ज्यादा हो गए, लेकिन कुछ नहीं हआ। MCD में AAP आई है, तब से कूड़े के ढेर बढ़ गए हैं। केजरीवाल को कच्ची बस्तियों में जाकर देखना चाहिए।’

AAP: BJP ने 15 साल कुछ नहीं किया, हम कचरे का पहाड़ हटाएंगे आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता जय रौनक ठाकुर कहते हैं, ‘दिल्ली को साफ रखने की जिम्मेदारी नगर निगम की है। 15 साल MCD में BJP का शासन रहा। 2022 में जनता ने हमारी पार्टी को चुना। पूर्व CM अरविंद केजरीवाल का प्लान है कि नया कचरा वहां तक न पहुंचे। लेटेस्ट स्टोरेज वेस्ट मैनेजमेंट प्लान के तहत इसका निवारण किया जाए। दिल्ली को कचरे के पहाड़ों से निजात मिलने वाली है।‘

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