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कैंसर मरीजों की जिंदगी होगी बेहतर: एम्स भोपाल और आईआईटी मिलकर बना रहे स्वदेशी डिजिटल टूल, जीने की इच्छा को बढ़ावा मिलेगा – Bhopal News


एम्स भोपाल और आईआईटी इंदौर मिलकर एक स्वदेशी डिजिटल टूल विकसित कर रहे हैं।

कैंसर मरीजों के इलाज को अधिक प्रभावी और उनकी जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एम्स भोपाल और आईआईटी इंदौर मिलकर एक स्वदेशी डिजिटल टूल विकसित कर रहे हैं। यह टूल मरीजों के इलाज से जुड़ी जानकारी को अपडेट रखने के साथ-साथ उनकी आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक

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एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि

यह टूल पूरी तरह से भारतीय मरीजों की जरूरतों के अनुसार बनाया जा रहा है। वर्तमान में उपलब्ध अधिकतर टूल पश्चिमी मानकों पर आधारित हैं, जो भारतीय मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। इस अंतर को खत्म करने के लिए यह स्वदेशी टूल विकसित किया जा रहा है।

केंद्र सरकार से 20 लाख की पहली किस्त मिली

यह प्रोजेक्ट विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के राष्ट्रीय मिशन ऑन इंटर डिसीप्लीनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स के तहत चलाया जा रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने 20 लाख रुपए की पहली किस्त जारी की है। परियोजना के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर डॉ. सैकत दास और सह-प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर प्रो. अमित अग्रवाल हैं।

एम्स भोपाल और आईआईटी इंदौर मिलकर एक स्वदेशी डिजिटल टूल विकसित कर रहे हैं।

कैसे काम करेगा डिजिटल टूल?

यह टूल सेल्फ-लर्निंग सिस्टम पर आधारित होगा। शुरुआत में विशेषज्ञ इसमें भारतीय मरीजों के लिए उपयुक्त पैरामीटर्स फीड करेंगे। फिर इसे एम्स भोपाल की कैंसर यूनिट में स्थापित किया जाएगा। मरीजों और उनके परिजनों से मिली जानकारी के आधार पर टूल खुद को अपग्रेड करेगा।

यह टूल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मरीजों के लिए व्यक्तिगत रूप से अनुकूल सुझाव देगा। साथ ही, यह डॉक्टरों के लिए एक पर्सनल असिस्टेंट की तरह काम करेगा। मरीजों से बातचीत के आधार पर यह डॉक्टरों को संक्षिप्त और उपयोगी जानकारी देगा, जिससे वे तेज़ी से बेहतर निर्णय ले सकेंगे।

कैंसर मरीजों के इलाज में होगा बड़ा बदलाव

डॉ. सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल में 2025 तक 40 हजार से अधिक कैंसर मरीजों के इलाज के लिए पहुंचने की संभावना है। फिलहाल, हर साल 6 से 8 हजार नए कैंसर मरीज इलाज के लिए आते हैं, जिनमें 40-50% मरीज सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित होते हैं। इसके अलावा स्तन कैंसर और स्त्री रोगों से संबंधित कैंसर के मामले भी अधिक होते हैं।

स्वदेशी डिजिटल टूल के आने से न केवल मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा, बल्कि उनकी जीवन गुणवत्ता भी पहले से बेहतर होगी।



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