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‘गंगा में डुबकी लगाने से पाप….’ सोशल मीडिया पर जया किशोरी के वचन हो रहे वायरल, इंसान के कर्मों को लेकर कही बड़ी बात!


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Jaya Kishori Quotes : जया किशोरी के विचार हमें यह सिखाते हैं कि धर्म और मौलिक सत्य के प्रति सच्ची श्रद्धा तभी आती है, जब हम अपने पापों और गलतियों को सही तरीके से समझे और उनका प्रायश्चित करें.

जया किशोरी

हाइलाइट्स

  • जया किशोरी के विचार सोशल मीडिया पर वायरल.
  • सिर्फ गंगा स्नान से पाप नहीं धुलते.
  • आंतरिक शुद्धि के लिए कर्मों की जिम्मेदारी लें.

Jaya Kishori Quotes : आजकल बहुत से लोग यह सोचते हैं कि एक बार तीर्थ यात्रा कर लेने से उनके सभी पाप समाप्त हो जाएंगे, लेकिन जया किशोरी के इस विचार से यह स्पष्ट होता है कि इस प्रकार का विश्वास गलत है. सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान या स्नान से पाप समाप्त नहीं होते, व्यक्ति को अपने आंतरिक गुणों को सुधारने की जरूरत है. जया किशोरी, जो कि एक प्रसिद्ध कथा वाचिका और मोटिवेशनल स्पीकर हैं, हमेशा अपने विचारों से लोगों को सही दिशा दिखाती हैं. हाल ही में उनका एक विचार सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना. इस थॉट में उन्होंने कहा कि सिर्फ गंगा स्नान करने से सभी पाप नहीं धुलते और न ही सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों से पाप समाप्त हो जाते हैं.

जया किशोरी के अनुसार
उनके अनुसार, सच्ची आत्मशुद्धि के लिए एक व्यक्ति को अपने कर्मों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपनी गलतियों का प्रायश्चित करना चाहिए. सिर्फ बाहरी शुद्धता के बजाय, आंतरिक शुद्धि से ही आत्मा को शांति मिल सकती है. हमें अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए और सही मार्ग पर चलने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए, तभी हम सच्चे अर्थों में मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं.

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क्या कहना है जया किशोरी का
भारत में यह मान्यता प्रचलित है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, लेकिन जया किशोरी के इस विचार से यह स्पष्ट होता है कि सिर्फ बाहरी शुद्धि से आंतरिक शुद्धि नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि जो पाप गलती से हो जाते हैं, उन्हें प्रायश्चित और सही मार्ग अपनाने से मिटाया जा सकता है. लेकिन जो पाप जानबूझकर किए जाते हैं, वे सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों से नहीं धुल सकते. ऐसे पापों को ठीक करने के लिए व्यक्ति को अपने कर्मों की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और उन्हें सुधारने के उपाय ढूंढ़ने चाहिए.

-गलती से हुआ पाप और जानबूझकर किया गया पाप
जया किशोरी के अनुसार, जो पाप अनजाने में होते हैं, उनके लिए व्यक्ति को पश्चाताप करना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए. यदि कोई व्यक्ति किसी से गलती को कोई दुख पहुंचा देता है, तो उसे अपने कर्मों पर विचार करना चाहिए और अपनी गलतियों को सुधारने का प्रयास करना चाहिए. इस प्रकार, व्यक्ति आत्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकता है.

लेकिन जिन लोगों ने जानबूझकर बुरे कर्म किए हैं, उनके लिए सिर्फ तीर्थ यात्रा या गंगा स्नान से पापों का नाश नहीं हो सकता. ऐसे लोगों को अपने कर्मों के प्रति जागरूक होकर उन्हें सही मार्ग पर लाने का प्रयास करना होगा.

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आध्यात्मिक शुद्धि की सच्ची प्रक्रिया
धार्मिक गतिविधियां जैसे तीर्थ यात्रा या गंगा स्नान, सिर्फ बाहरी शुद्धता को ही प्राप्त करवा सकती हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार, सच्ची आत्मशुद्धि के लिए व्यक्ति को अपने विचार, शब्द, और कर्मों को शुद्ध करना जरूरी है. जया किशोरी ने इस बात को सटीक रूप से बताया कि असली प्रायश्चित वही है, जिसमें मन, वचन और कर्म की शुद्धि हो.

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