तारीख 21 मई 2025। जगह- इंदौर के एमआईजी एरिया का सरकारी क्वार्टर। शाम के 6 बजे एक महिला इस क्वार्टर में रहने वाले कॉन्स्टेबल विनोद यादव से मिलने पहुंची। उसने देखा कि विनोद यादव फंदे पर लटके हैं। महिला ने पड़ोसियों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे अधिकारियो
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हरियाणा के रहने वाले यादव का परिवार पिछले दस दिन से बाहर था। पुलिस महिला से पूछताछ कर रही है।
ये पहला मामला नहीं है। पिछले 6 महीने में मध्यप्रदेश के 10 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने सुसाइड किया है। इसमें कॉन्स्टेबल, एसआई से लेकर टीआई तक शामिल हैं। सभी ने अलग-अलग कारणों से सुसाइड किया है। हालांकि, पारिवारिक कारण, नौकरी का तनाव, नाजायज संबंध और बीमारियां कॉमन वजह रही हैं।
दैनिक भास्कर ने मनोचिकित्सक और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों से बात कर समझा कि आखिर पुलिसकर्मी तनाव में क्यों हैं.. पढ़िए, रिपोर्ट
अब सिलसिलेवार जानिए, क्या रही खुदकुशी की वजह
बीमारी की वजह से परेशान 13 मार्च 2025 को इंदौर के सर्राफा थाने में पदस्थ हेड कॉन्स्टेबल नवीन शर्मा ने पुलिस क्वार्टर में फांसी लगाकर जान दे दी। वे तीन बेटियों और पत्नी के साथ इंदौर में ही सरकारी क्वार्टर में रह रहे थे। बीमारी के कारण 15 दिन से वो ड्यूटी पर नहीं आ रहे थे।
बंद कमरे का दरवाजा तोड़ने पर पत्नी ने उन्हें सबसे पहले फंदे पर लटकता देखा। पड़ोसी नवीन को अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मल्हारगंज पुलिस के मुताबिक, नवीन ने बीमारी के चलते आगर-मालवा से इंदौर ट्रांसफर करवाया था। पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला था।
गर्लफ्रेंड ने किया ब्लैकमेल 6 मार्च को छतरपुर में कोतवाली थाना इंचार्ज अरविंद कुजूर ने सर्विस रिवाल्वर से गोली मार कर सुसाइड किया था। टीआई ने दाहिनी कनपटी पर गोली मारी थी। घटना के समय घर पर केयरटेकर प्रदीप अहिरवार मौजूद था। अरविंद की पत्नी प्रोफेसर हैं। वे दोनों बेटियों के साथ सागर में थीं।
पांच दिन की जांच के बाद पुलिस ने आशी राजा और सोनू परमार नाम के युवक-युवती के खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कुजूर 21 साल की आशी परमार के प्यार में ब्लैकमेल हो रहे थे। लड़की और उसका बॉयफ्रेंड मिलकर टीआई को धमका रहे थे। इससे तंग आकर उन्होंने खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया।
डिप्रेशन का इलाज चल रहा था 23 फरवरी 2025 को इंदौर के डीआरपी लाइन में पदस्थ पुलिसकर्मी अनुज जाट ने सुसाइड कर लिया। उसका शव एक पेड़ से लटका मिला। अनुज एक दिन पहले दोपहर को अपनी बाइक से निकला था, जिसकी तलाश दोस्त और परिजन कर रहे थे।
वह पत्नी और तीन बच्चों के साथ इंदौर में रह रहा था। पुलिस और परिवार के मुताबिक, अनुज डिप्रेशन में था और कई महीनों से विशेषज्ञ डॉक्टर से उसका इलाज चल रहा था।
जुए की लत से लाखों का कर्ज 25 फरवरी को जबलपुर के विजयनगर थाने में पुलिस आरक्षक ब्रजेश बढ़पुर ने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। लंबे समय से ड्यूटी पर न आने से उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई की गई थी और थाने से हटाकर लाइन हाजिर कर दिया गया था। जांच में सामने आया कि वह जुआ खेलने का आदी था, जिसके चलते उस पर लाखों का कर्ज हो गया था। आर्थिक तंगी और कर्ज से परेशान होकर ब्रजेश ने सुसाइड जैसा कदम उठाया।
पेट की बीमारी से थीं परेशान 16 जनवरी को इंदौर के बाणगंगा इलाके में रह रही 23 वर्षीय महिला आरक्षक मानषी मुराडिया का शव फांसी के फंदे पर लटकता मिला था। मानषी का दोस्त उससे मिलने घर पहुंचा था, तब उसने उसे फंदे से लटकता देखा। मानसी को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जब पुलिस ने मामले की तफ्तीश की तो पता चला कि वह पेट दर्द से परेशान थी। उसका इलाज भी चल रहा था।
कर्ज की वजह से आर्थिक स्थिति खराब 14 दिसंबर 2024 को भोपाल में एएसआई अनिल नागोराव हेड़ाऊ ने खुदकुशी कर ली थी। 55 वर्षीय एएसआई का शव उनके घर के सामने बने गैराज में फांसी पर लटका मिला था, उनके पास एक सुसाइड नोट भी मिला था। सुसाइड नोट में आत्महत्या के पीछे कर्ज और आर्थिक तनाव का जिक्र किया था।
सुसाइड नोट में लिखा कि वह कर्ज के बोझ और परिवार की जिम्मेदारियों के कारण मानसिक तनाव में थे। उनके ऊपर घर के कर्ज की किस्त, बेटी की पढ़ाई और अन्य घरेलू खर्चे थे, जो उनके वेतन से कहीं अधिक हो गए थे।
विभागीय जांच से मानसिक तनाव में 22 दिसंबर 2024 को इंदौर में पुलिस आरक्षक मुकेश लोधी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मुकेश लोधी परिवार से दूर रहते थे। उनकी पत्नी और दो बच्चे ग्वालियर में रहते थे। मुकेश समेत दो अन्य पुलिसकर्मियों पर एक मामले में विभागीय जांच भी चल रही थी।
पुलिस के अनुसार दो साल पहले उनकी बहन की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिससे वह पहले से ही मानसिक तनाव में थे। हालांकि, मुकेश के पास से पुलिस को कोई सुसाइड नोट नहीं मिला।
प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को लेकर तनाव सितंबर 2024 इंदौर में महिला एसआई नेहा शर्मा ने बिल्डिंग की सातवीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली। 32 वर्षीय नेहा पति और अपने दो बच्चों के साथ पुलिस ट्रेनिंग सेंटर कैंपस में रह रही थी। वह मॉर्निंग वॉक के लिए निकली और बगल वाली बिल्डिंग की छत पर चढ़कर कूद गई।
नेहा को पुलिस महकमे में 9 साल हो गए थे। वह कौन बनेगा करोड़पति में भी हिस्सा ले चुकी थीं। बताया जाता है कि पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को लेकर वह अक्सर तनाव में रहती थीं। परिजन के मुताबिक 2019 में शादी से पहले नेहा का डिप्रेशन का इलाज चल रहा था।
छुट्टी से लौटकर आया और गोली मारी 18 अप्रैल को खरगोन के गोगांवा में एसएएफ जवान राजकुमार शर्मा ने सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली, जिससे मौके पर ही मौत हो गई। गोगांवा में फस्ट बटालियन की सी कंपनी का जवान राजकुमार शर्मा गोगावां में शीतला माता मंदिर चौकी पर पदस्थ था।
साथियों के मुताबिक 7 अप्रैल को ही उसने छुट्टी से लौटकर ड्यूटी जॉइन की थी। एसपी धर्मराज मीना के अनुसार राजकुमार शर्मा ने कोई शिकायत या आवेदन अथवा किसी प्रकार की परेशानी का जिक्र नहीं किया था।
ड्यूटी से लौटा और फांसी लगा ली 20 मार्च मध्य प्रदेश के धार जिले में पुलिस कॉन्स्टेबल अजय बामनिया ने आत्महत्या कर ली। अजय रात 12 बजे ड्यूटी से लौटा था। सुबह दरवाजा नहीं खोलने पर पत्नी ने खिड़की से शव कमरे में पंखे से लटकता देखा। अजय राजगढ़ पुलिस थाने पर पदस्थ थे। पत्नी और बेटे के साथ धार में ही रह रहे थे।
सुसाइड की वजह डिप्रेशन और पारिवारिक समस्या मनोचिकित्सक डॉ. जय प्रकाश अग्रवाल कहते हैं कि पुलिसकर्मियों के सुसाइड के जितने मामले बताए गए हैं, उनमें एक बात कॉमन हैं। ये सभी किसी न किसी वजह को लेकर तनाव में थे। दरअसल, लंबे समय तक मानसिक तनाव में रहना और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी सुसाइड की वजह बनती है।
हमारे देश में मानसिक स्वास्थ्य को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता। पुलिस डिपार्टमेंट में तो ज्यादा तवज्जो दी जाना चाहिए क्योंकि वहां वर्क प्रेशर ज्यादा है। वीकली ऑफ की भी व्यवस्था नहीं है। देखने में आया है कि पुलिसवालों में शराब पीने की प्रवृत्ति भी ज्यादा होती है। जो उनकी मानसिक सेहत को खराब कर रहा है।
निरंतर मानसिक दबाव पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), अवसाद और चिंता जैसी मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है।
भावनाओं को जाहिर करने में हिचकिचाते हैं डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि पुलिसकर्मी भावनाओं को जाहिर करने में हिचकिचाते हैं। जिससे वे अकेलापन महसूस करने लगते हैं। काम का तनाव उनके निजी जीवन को प्रभावित करता है। इससे संबंधों में दूरी, तलाक और आर्थिक परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ाते हैं।
उनका दिन का शेड्यूल भी खराब होता है। वो अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी नहीं निभा पाते। परिवार एक सपोर्ट सिस्टम होता है। उससे दूर रहना भी आत्महत्या की वजह हो सकती है। वे खुलकर रो नहीं सकते। आमतौर पर पुलिसवाला कहीं रोते हुए पाया जाएगा तो उसका वीडियो वायरल हो जाएगा।
वो भी इंसान है उसे दुख पीड़ा हो सकती है। रोने से भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है। जो अभिव्यक्त नहीं कर पाते उनमें आत्महत्या की दर बढ़ सकती है।
इमरजेंसी सेवा है, मगर विशेषाधिकार भी है रिटायर्ड स्पेशल डीजी शैलेंद्र श्रीवास्तव कहते हैं कि पुलिस की नौकरी आपातकालीन सेवाओं में आती है। पुलिस विभाग में स्टाफ की कमी है, तो जो मौजूदा स्टाफ को ज्यादा काम करना पड़ता है। काम के घंटे भी फिक्स नहीं होते। जब मैं प्रोबेशन पीरियड पर था तो मैं नाश्ता नहीं करता था। दोपहर में आराम भी नहीं करता था।
मेरे जो अफसर थे उन्होंने सलाह दी और कहा- पुलिस की नौकरी जॉइन की है। जब मौका मिले तो खा लेना और मौका मिले तो आराम कर लेना। अगला आराम और अगला खाना कब मिलेगा पता नहीं। श्रीवास्तव कहते हैं कि हालांकि, ये सब जानकर ही हम नौकरी में आते हैं। पुलिस जवानों को मेंटली और फिजिकली फिट रहने की ट्रेनिंग दी जाती है।
हर इंसान का स्वभाव और सोचने का तरीका अलग-अलग होता है। कुछ लोग होते हैं जो तनाव लेते हैं। वे परिवार को समय नहीं दे पाते हैं। हालांकि, ये एक प्रतिष्ठित सर्विस है। आप वर्दी पहनकर समाज में अलग नजर आते हैं। जहां विशेषाधिकार और सुविधाएं हैं तो वहां चुनौतियां भी होंगी।
एक पुलिसवाला औसतन 16 घंटे ड्यूटी करता है स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट-2019 के अनुसार भारत में लगभग 24% पुलिसकर्मी औसतन 16 घंटे से ज्यादा और 44% पुलिसकर्मी 12 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। एक पुलिसकर्मी हर रोज औसतन 14 घंटे ड्यूटी पर होता है, जबकि मध्य प्रदेश में यह औसत 11 घंटे है।
रिपोर्ट के मुताबिक 73% पुलिसकर्मियों ने माना कि ज्यादा वर्क प्रेशर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। इसके अलावा 84% ने कहा कि वे अपने परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 74% स्टाफ और 76.3% प्रभारी काम के दबाव में उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव, नींद की कमी, थकान, श्वास संबंधी और गेस्ट्रिक समस्याओं से पीड़ित हैं।