ग्वालियर-श्योपुर ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही उसमें भ्रष्टाचार की परतें खुलने लगी हैं। रेलवे के अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत का आलम यह है कि ट्रेन अभी आधे रास्ते ही दौड़ पाईं कि इसी बीच रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म धंसकने लगे हैं। महज 12 म
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विशेषज्ञों ने इसे भयावह स्थिति बताते हुए, ट्रैक पर कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका जताई है। वहीं दूसरे निर्माण कार्य धंसकने लगे हैं। लगभग 50 लाख लोगों की आबादी वाले 3 जिले ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर के लोगों के लिए यह प्रोजेक्ट अहम है।
लगभग 42 साल से लोगों द्वारा देखा जा रहा नेरौगेज से ब्रॉडगेज लाइन बदलाव का सपना और 2300 करोड़ रुपए की लागत वाला यह प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही भ्रष्टाचार की गवाही देर हा है। ठेकेदार पर कार्रवाई न करना पड़े और अफसर लपेटे में न आएं, इसलिए रेलवे के स्थानीय अफसरों ने गुपचुप तरीके से मेंटेनेंस कराकर इन घटिया कामों को छिपाने की कोशिश भी की है।
दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने इस रूट पर जगह-जगह पहुंचकर हकीकत जानी तो पता चला कि ये रेलवे लाइन अभी पूरी तरह व सुरक्षित तौर पर तैयार नहीं है फिर भी इस पर ट्रेनें दौड़ाई जा रही हैं। फिलहाल इस ट्रैक पर ग्वालियर से कैलारस तक तीन मैमू ट्रेन आती और जाती हैं। इसके आगे सबलगढ़ व श्योपुर आदि स्टेशनों का काम चल रहा है। वहीं श्योपुर से कोटा तक 94 किमी नई लाइन का काम भी जारी है।
ग्वालियर से कैलारस तक इस ट्रैक पर 3 मैमू ट्रेन चला रहे, कभी भी हो सकता है गंभीर हादसा
ग्वालियर से श्योपुर के चीच बिछी रेलवे लाइन।
बानमोर-सुमावली के बीच कई जगह ट्रैक के पास की मिट्टी बह गई
कई जगह मिट्टी बही… सिग्नल बॉक्स हुआ टेड़ा
बानमोर और और सुमावली के बीच कई जगहों पर ट्रैक के पास की मिट्टी बह गई है। खंभा नंबर 26/2 के पास रिटेनिंग वॉल की नींव बाहर झांक रही है। खंभा नं. 33/13A के पास भी ट्रैक का यही हाल है। मिट्टी की खराबी के चलते ट्रैक पर सिग्नल बॉक्स भी तिरछा हो गया है। अर्थवर्क की यही स्थिति जौरा अलापुर तक ट्रैक पर दिखाई दी।
4 गाड़ियों का आना-जाना, सुरक्षा का ध्यान रख रहे ग्वालियर से कैलारस तक तीन गाड़ियों का आना-जाना है। हम ट्रैक पर यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही ट्रेन चलाते हैं। जहां-जहां ट्रैक के पास मिट्टी दरक रही है, वहां काम कराया जाएगा। – शशिकांत त्रिपाठी, सीपीआरओ, NCR
भास्कर एक्सपर्ट – एसपी अरोरा,रिटायर्ड वरिष्ठ अभियंता (कार्य), नैरोगेज
कंपनियों ने अर्थवर्क, जिम्मेदारों ने मॉनिटरिंग ठीक से नहीं की ग्वालियर-श्योपुर ब्रॉडगेज प्रोजेक्ट की हालत देखने के बाद स्पष्ट है कि ठेका कंपनियों ने अर्थवर्क व जिम्मेदारों ने मॉनिटरिंग ठीक से नहीं की। अर्थवर्क में एक बार में अधिकतम 9 इंच तक मिट्टी की परत बिछाकर उस पर पानी डालकर रॉलिंग की जाती है। ऐसे ही एक के ऊपर एक परत बिछाई जाती है। इसमें समय और लेबर ज्यादा लगती है। यही कारण है कि प्रोजेक्ट पूरा होने से पहले ही प्लेटफॉर्म धंस रहे हैं और रेलवे ट्रैक के आसपास मिट्टी में कटाव हो रहा है।