चंडीगढ़ में गाड़ियों में सुरक्षा के लिए लगाए गए पैनिक बटन अब चंडीगढ़ पुलिस और प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। पिछले 2 सालों में हजारों बार ये बटन दबाया गया, लेकिन हर बार जवाब मिला – “गलती से दब गया।” एक भी कॉल ऐसी नहीं थी जो किसी असली मुसीब
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अब इस स्थिति को देखते हुए सिस्टम में बदलाव किया गया है। अब पैनिक बटन दबाने पर कॉल पहले स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (STA) के कंट्रोल रूम में जाएगी। वहां बैठे अफसर पहले यह तय करेंगे कि कॉल सही में जरूरी है या नहीं। अगर उन्हें मामला गंभीर लगेगा, तभी वे कॉल चंडीगढ़ पुलिस को भेजेंगे।
पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग ने मिलकर लिया फैसला
हाल ही में चंडीगढ़ पुलिस और ट्रांसपोर्ट अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि पुलिस के पास अब हर पैनिक बटन की कॉल सीधे नहीं भेजी जाएगी। पहले STA की टीम यह जांच करेगी कि कॉल सही है या गलती से की गई है। इससे पुलिस का समय बचेगा और असली इमरजेंसी में सही समय पर एक्शन लिया जा सकेगा।
STA के अधिकारियों के अनुसार अब तक 99.9% कॉल्स बेवजह थीं। बटन गलती से दब जाता है और कंट्रोल रूम को अलर्ट हो जाना पड़ता है। इससे न सिर्फ समय खराब होता है बल्कि जरूरी संसाधनों का भी गलत इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि अब पहले कॉल की जांच होगी और फिर जरूरत हो तो पुलिस को भेजा जाएगा।
कंट्रोल रूम की जिम्मेदारी बढ़ी
अब STA कंट्रोल रूम की भूमिका और भी जरूरी हो गई है। जैसे ही पैनिक बटन दबेगा, कॉल सबसे पहले वहीं जाएगी। वहां अधिकारी वाहन मालिक से बात करेंगे और देखेंगे कि कोई परेशानी है या नहीं। अगर मामला गंभीर लगेगा, तभी कॉल पुलिस को भेजी जाएगी।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि पैनिक बटन का इस्तेमाल सिर्फ मुसीबत में करें। बार-बार बेवजह बटन दबाने पर अब सख्त कार्रवाई हो सकती है। ट्रांसपोर्ट विभाग इस सिस्टम की अब पहले से ज्यादा निगरानी करेगा।
पैनिक बटन कहां होता है?
पैनिक बटन आमतौर पर सरकारी रजिस्टर की गई ऑटो, टैक्सी, बस और अन्य सार्वजनिक वाहनों में लगाए जाते हैं। यह बटन ऐसी जगह होता है जहां ड्राइवर या यात्री आसानी से पहुंच सकें, जैसे:
- ड्राइवर की सीट के पास (डेशबोर्ड पर या गियर के पास)
- यात्री सीट के पास (साइड पैनल या छत के पास)
- कुछ गाड़ियों में सीट बेल्ट के पास या हैंडल पर
कई बार गाड़ियों में एक से ज़्यादा पैनिक बटन भी लगाए जाते हैं, ताकि किसी भी सीट से आसानी से दबाया जा सके।
पैनिक बटन को दबाना बिल्कुल आसान होता है:
- यह एक छोटा लाल बटन या पुश बटन जैसा होता है।
- किसी भी खतरे की स्थिति में बस एक बार इसे दबाना होता है।
- दबाते ही यह कंट्रोल रूम को अलर्ट भेजता है।
कुछ गाड़ियों में यह बटन मोबाइल ऐप या GPS सिस्टम से भी जुड़ा होता है, जिससे लोकेशन की जानकारी भी कंट्रोल रूम तक तुरंत पहुंच जाती है।
- बटन दबाने पर सिग्नल कंट्रोल रूम में जाता है।
- कंट्रोल रूम की टीम गाड़ी के नंबर से चालक या मालिक से संपर्क करती है।
- अगर मामला असली इमरजेंसी का हो तो पुलिस या सहायता टीम मौके पर भेजी जाती है।