चंडीगढ़ के Government Medical College & Hospital (GMCH‑32) में पी.जी. (MD/MS) सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद तेज़ हो गया है। कॉलेज प्रशासन ने तीसरे काउंसलिंग राउंड में ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के लिए 75% सीटें अलग रख दी हैं, जबकि एनएमसी और सुप्रीम कोर्ट
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मामला तब शुरू हुआ जब सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने डोमिसाइल कोटे को अवैध करार दिया। इसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने राज्य कोटे की 50% सीटों को विभाजित करते हुए 18 सीटें संस्थान-प्राथमिकता (IP) को और बाकी को AIQ के तहत रखा। हाईकोर्ट ने इस फैसले को मान्यता दी, और पूरे व्यवस्था को वैध ठहराया
लेकिन जब तीसरे राउंड की काउंसलिंग में प्रशासन ने 32 बची सीटों को फिर से बांटा तो AIQ के हिस्से में 16 सीटें डाल दीं, जिससे AIQ की हिस्सेदारी 50% से बढ़कर 75% हो गई। इससे GMCH के अपने संस्थान-प्राथमिकता के छात्रों के लिए सीटें घट गईं और न्याय व्यवस्था को दरकिनार करने का आरोप लगा ।
छात्रों और अभिभावकों ने आरोप लगाया है:
- “AIQ को 75% कैसे मिला? यह NMC और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।”
- कॉलेज प्रशासन को दिल्ली एम्स जैसी गलत परिस्थिति का फायदा उठाने का आरोप, और AIQ काउंसलिंग कराने का अधिकार भी सवालों के घेरे में रखा गया
अदालत की स्थिति
- “डोमिसाइल कोटा अब गलत है – अब बस कॉलेज के अपने छात्रों को थोड़ी प्राथमिकता दी जा सकती है, और बाकी खाली सीटें 50 % ऑल इंडिया कोटा (AIQ) और 50 % संस्थान-प्रधानता/ओपन मेरिट (IP) के आधार पर बाँटी जाएँगी।”
- मार्च 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था दोबारा नहीं बदली जा सकती ।