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चंद्र या सूर्य स्वर? जानिए आपकी सांस ब्रेन के किस हिस्से को कर रही है एक्टिव, कैसे कंट्रोल करें मन और मस्तिष्क


Neuroscience And Brain Connection: हमारे शरीर में मस्तिष्क दो हिस्सों में बंटा होता है बायां और दायां भाग. इसे हम लेफ्ट ब्रेन और राइट ब्रेन कहते हैं, ये दोनों हिस्सा अलग-अलग प्रकार की सोच और कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं. उदाहरण के लिए, बायां भाग तर्क और गणित से जुड़ा होता है, जबकि दायां भाग रचनात्मकता और कल्पना का केंद्र है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी सांस की नाड़ियों का सक्रिय होना भी मस्तिष्क के इन दोनों हिस्सों की सक्रियता से जुड़ा होता है? सांस दो नासिका छिद्रों से होती है बाएं नासिका से और दाहिने नासिका से. जब आपकी सांस बाएं नासिका से अधिक चलती है, तब आपके शरीर में एक नाड़ी सक्रिय होती है, जिसे चंद्र स्वर नाड़ी कहा जाता है. इसी प्रकार, जब सांस दाहिने नासिका से चलती है, तब सूर्य स्वर नाड़ी सक्रिय होती है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

चंद्र स्वर नाड़ी का संबंध लेफ्ट ब्रेन से होता है, यानी जब यह नाड़ी सक्रिय होती है, तो मस्तिष्क का बायां भाग सक्रिय होता है. यह स्थिति आमतौर पर शांत और रचनात्मक विचारों को बढ़ावा देती है. वहीं, सूर्य स्वर नाड़ी सक्रिय होने पर, राइट ब्रेन सक्रिय होता है, जो तर्क, निर्णय और व्यावहारिक कार्यों को बेहतर बनाता है.

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हमारे शरीर के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ये नाड़ियाँ संतुलित रहें. यदि कोई व्यक्ति अपनी सांस को बाएं नासिका से अधिक सक्रिय करता है, तो वह अधिक रचनात्मक और शांत बनेगा. वहीं यदि सांस दाहिने नासिका से अधिक सक्रिय है, तो वह अधिक तर्कसंगत और निर्णय लेने में कुशल होगा.

जीवन में विभिन्न परिस्थितियों के अनुसार, हमारी सांस की नाड़ी सक्रियता भी बदलती रहती है. इसलिए, सांस पर ध्यान देकर हम अपनी मानसिक स्थिति को समझ सकते हैं और आवश्यकतानुसार उसे नियंत्रित भी कर सकते हैं.

ध्यान और योग के अभ्यास में भी सांस की इस भूमिका को बहुत महत्व दिया जाता है. प्राणायाम के माध्यम से, हम सांस को नियंत्रित कर अपने मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को संतुलित कर सकते हैं. इससे न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि कार्यक्षमता भी बढ़ती है.

आधुनिक विज्ञान ने भी इस बात को माना है कि मस्तिष्क के बाएं और दाएं भाग की सक्रियता हमारे सोचने, समझने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करती है. परंपरागत विज्ञान और योग की प्रणाली में इस सिद्धांत को सांस और नाड़ियों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है.

अतः अपनी सांस पर ध्यान देना और इसे सही दिशा में नियंत्रित करना हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है. इस सरल लेकिन प्रभावी प्रक्रिया से हम अपनी रचनात्मकता और तर्कशीलता दोनों को बढ़ा सकते हैं.

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इस प्रकार, सांस के साधारण लेकिन गहरे रहस्यों को समझकर हम न केवल अपने शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि अपनी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को भी संतुलित कर सकते हैं.



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