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चैत्र अमावस्या पर कुश के पोर से क्यों करते हैं तर्पण? जानें विधि, मंत्र और सामग्री


चैत्र अमावस्या का पर्व 29 मार्च शनिवार को है. इस दिन स्नान के बाद पितरों के लिए तर्पण करते हैं. तर्पण करने से पितर खुश होते हैं और अपने वंश को सुख, समृद्धि, धन, संतान आदि का आशीर्वाद देते हैं. पितर को तर्पण देते समय कुश का उपयोग करते हैं, उसके बिना तर्पण अधूरा माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, पितरों के पास शरीर नहीं होता है, ऐसे में जब आप बिना कुशा के तर्पण करते हैं तो उनको जल प्राप्त करने के कठिनाई होती है. उज्जैन के महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बता रहे हैं कि कुश के पोर से क्यों करते हैं तर्पण? तर्पण की सामग्री, विधि और मंत्र क्या है? चैत्र अमावस्या का मुहूर्त क्या है?

कुश के पोर से क्यों देते हैं तर्पण?
अमावस्या, पूर्णिमा या अन्य पर्व पर पितरों के लिए तर्पण करते हैं तो उसमें कुश का उपयोग करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से हुई थी. सागर मंथन के समय कुश पर अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं, इससे भी इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है. कुश को बेहद पवित्र मानते हैं क्योंकि इसके आगे के भाग में शिवजी, मध्य में श्रीहरि विष्णु और अंत में ब्रह्मा जी का वास होता है.

तर्पण के समय कुश की पवित्री हाथ में पहनते हैं और उससे पितरों को तर्पण करते हैं. इससे वह जल पितरों को प्राप्त होता है और वे जल पाकर तृप्त हो जाते हैं. कुश के बिना तर्पण करते हैं तो पितरों को जल प्राप्त नहीं होता है और वे अतृप्त ही रहते हैं. इससे आपके पितर नाराज हो सकते हैं.

तर्पण देने का मंत्र
1. ओम पितृभ्यः स्वधा नमः
2. ओम सर्वपितृभ्यः स्वधा नमः
3.ओम पितृ देवतायै नमः
तर्पण करते समय आप इन तीनों में से कोई एक मंत्र पढ़ सकते हैं.

तर्पण देने की सामग्री
पितरों को तर्पण देने के लिए मुख्य रूप से 5 वस्तुओं का होना जरूरी है. जौ, काला तिल, गंगाजल या साफ पानी, सफेद फूल और कुशा. इन सामग्री की मदद से ही पितरों को तर्पण देते हैं. इससे वे तृप्त होकर अपने वंश को उन्नति और खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं.

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चैत्र अमावस्या पर तर्पण की विधि
चैत्र अमावस्या को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. उसके बाद तर्पण की सामग्री साथ में रखें. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें. हाथ में कुश की पवित्री पहन लें. उसके बाद अपने हाथ में काला तिल, जल, सफेद फूल और जौ लेकर पितरों को स्मरण करें. मंत्र का उच्चारण करते हुए पितरों के लिए तर्पण करें. ​य​दि आपके पास कोई सामग्री नहीं है तो जल से ही पितरों को तर्पण दें. कुछ भी नहीं है तो वचन से उनको तृप्त कर सकते हैं.

चैत्र अमावस्या 2025 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण अमावस्या तिथि की शुरूआत: 28 मार्च, शुक्रवार, 07:55 पीएम से
चैत्र कृष्ण अमावस्या तिथि की समाप्ति: 29 मार्च, शनिवार, शाम 4:27 बजे पर
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान का समय: 04:42 ए एम से 05:28 ए एम तक



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