हाई कोर्ट में अप्रत्याशित स्थिति तब उत्पन्न हो गई, जब सुनवाई का नंबर नहीं आने पर एडवोकेट पीसी पालीवाल जस्टिस अनुराधा शुक्ला के समक्ष नाराज हो गए। उन्होंने कहा, ‘इस कोर्ट में 4 घंटे से तमाशा चल रहा है, मैं बैठा देख रहा हूं। हाई कोर्ट के जज दूसरी जगह ज
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जस्टिस शुक्ला ने इस टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए इसे कोर्ट की अवमानना माना और अपने आदेश में इस पूरे घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए प्रमाणित प्रति हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को अग्रिम कार्यवाही के लिए भेज दी। जस्टिस शुक्ला ने लिखा- ‘इस प्रकार की भाषा अत्यंत अनुचित है और यह अदालत की प्रतिष्ठा के विरुद्ध है।’
फिलहाल, मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गई है। इधर, एडवोकेट पालीवाल के मुताबिक, जस्टिस शुक्ला के पास वह 22 मार्च को 149 केस सुनवाई के लिए थे, पर अधिकांश समय उन्होंने केवल उन 6 मामलों पर लगाया, जिनमें सेशन कोर्ट पहले ही आरोपियों को जमानत दे चुका था। पालीवाल के अनुसार, ‘यह केस 20 बार लग चुका है, बड़ी मुश्किल से आज नंबर आया। मैं अपने केस की बहस यहां नहीं करना चाहता। इसे किसी अन्य बेंच में भेज दिया जाए।’
पालीवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने चीफ जस्टिस से बातचीत कर स्पष्ट किया कि यदि ऐसी स्थिति बनी रही, तो वह वकालत छोड़ देंगे। चीफ जस्टिस ने उन्हें आश्वस्त किया कि ‘आपको वकालत छोड़ने की आवश्यकता नहीं है।’
जमानत केस में सुनवाई का इंतजार था थाना पांढुर्ना में राजहंस बगाड़े और अन्य के खिलाफ 28 जनवरी 2023 को आईपीसी की धारा 326, 34 (अब बीएनएस की धारा 415(2)) के तहत केस दर्ज हुआ था। सेशन कोर्ट ने आरोपियों को 4 साल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद वे जेल में हैं। पालीवाल ने 26 दिसंबर 2024 को हाई कोर्ट में क्रिमिनल अपील दायर कर यह अनुरोध किया कि ‘जब तक अपील पर अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक सजा निलंबित कर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।’ इस अपील पर सुनवाई नहीं हो सकी थी, जिसके चलते यह घटनाक्रम हुआ।