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जगदेव प्रसाद कुशवाहा के सम्मान में कार्यक्रम: 19 जून को गुरुआ में होंगे डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, जनसभा को करेंगे संबोधित – Gaya News



जानकारी देते जिलाध्यक्ष चिंटू शर्मा।

बिहार के बोध गया के समीप कुर्था प्रखंड के कुरहारी गांव में जन्मे बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा के सम्मान में 19 सितंबर को गुरुआ के गांधी मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस दौरान डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी गुरुआ आएंगे और एक सभा को भी संबोधित कर

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जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश उर्फ चिंटू शर्मा ने बताया कि 19 जून को डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी आ रहे है। वे एक विशाल सभा को संबोधित करेंगे। सभा मे 25 हजार से अधिक लोग शिरकत करेंगे। उनके आगमन को लेकर दांगी समाज मे खासा उत्साह है

इस मौके पर मंत्री सुनील सिन्हा और डॉ प्रेम कुमार भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा अन्य कद्दावर नेता भी सभा मे शामिल होंगे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गई है। सभी अपने अपने काम मे जुट गए हैं।

जिलाध्यक्ष चिंटू शर्मा से जब यह पूछा गया कि पश्चिमी क्षेत्र के जिलाध्यक्ष बनने के बाद इतनी बड़ी जिम्मेदारी पहली बार मिली है। इस पर उन्होंने कहा कि वास्तव में यह बड़ी जिम्मेदारी है लेकिन यह भी सत्य है कि इससे पहले जब गया जिला में केवल एक ही जिलाध्यक्ष हुआ करते थे, उस समय भी इससे भी बड़ी जिम्मेदारी को सफलता पूर्वक सम्पन्न कराया है। उन्होंने कहा कि किसी कार्यक्रम को हम नहीं बल्कि हमारे पदाधिकारी, कार्यकर्ता व गार्जियन सफलता तक पहुंचाते हैं।

अब जानिए कौन थे जगदेव प्रसाद कुशवाहा

एक गरीब परिवार में जन्मे जगदेव के पिता प्रयाग नारायण कुशवाहा प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक थे। बचपन से ही न्याय और समानता के पक्षधर जगदेव ज्योतिबा फूले, पेरियार, डॉ. अंबेडकर और महामानववादी रामस्वरूप वर्मा के विचारों से प्रभावित थे। उनके विद्रोही स्वभाव का उदाहरण उस घटना से मिलता है जब उन्होंने अपने शिक्षक को उसी तरह का तमाचा मारा, जैसा उन्हें बिना गलती के मारा गया था। उनका मानना था कि नियम सबके लिए समान होने चाहिए।

पटना विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद उनकी मुलाकात चंद्रदेव प्रसाद वर्मा से हुई, जिन्होंने उन्हें महामानवों के विचारों की ओर प्रेरित किया। रूस के महान मजदूर नेता लेनिन से प्रभावित होकर उन्होंने भारत में शोषित वर्ग के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। उनके योगदान के कारण उन्हें ‘भारत का लेनिन’ कहा जाता है। बाद में वे सोशलिस्ट पार्टी से जुड़कर सक्रिय राजनीति में आए और समाज में बदलाव के लिए काम करते रहे।



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