राजनांदगांव में जल संकट से निपटने के लिए प्रशासन की नई रणनीति
राजनांदगांव जिले में जल संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है। मिशन जल रक्षा के तहत मनरेगा से 2630 जल संरचनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें से 2132 का निर्माण पूरा हो चुका है।
.
जिले में अब तक 50 हजार जल पुनर्भरण संरचनाएं बनाई गई हैं। इनमें 2250 मिनी परकोलेशन टैंक, 44 हजार स्ट्रेगर ट्रेंच, 981 कंटूर ट्रेंच और 144 गैबियन स्ट्रक्चर शामिल हैं। साथ ही 274 बोल्डर चेक डैम, 987 कुएं और 145 डाइक का निर्माण भी किया गया है।
भूजल स्तर बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए बोरवेल रिचार्ज शाफ्ट, सैंड फिल्टर और परकोलेशन टैंक में इंजेक्शन वेल बनाए जा रहे हैं। भूजल रिचार्ज के लिए 1000 इंजेक्शन वेल बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
शिवनाथ नदी के संरक्षण पर फोकस
शिवनाथ नदी के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जा रहा है। नदी का गहरीकरण किया जा रहा है, जिससे जल भंडारण और जल स्तर में वृद्धि होगी। नदी के तट पर जमी गाद और कचरे की सफाई का काम चल रहा है।
जल जीवन मिशन के तहत जिले के सभी 662 गांवों में नल जल योजनाएं और सौर ऊर्जा आधारित योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य हर ग्रामीण परिवार को नल के माध्यम से निरंतर और पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है। कलेक्टर संजय अग्रवाल और जिला पंचायत सीईओ सुरुचि सिंह की टीम इन कार्यों की निगरानी कर रही है।
अब तक 150 गांवों में जल आपूर्ति योजनाएं पूरी
जिले में जल संरक्षण और जल जीवन मिशन के तहत व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक 150 गांवों में जल आपूर्ति योजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जबकि 512 गांवों में काम जारी है। 96 गांवों को ‘हर घर जल’ प्रमाणित किया गया है। जिले के 1.39 लाख ग्रामीण परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं। साथ ही, 194 गांवों को शामिल करते हुए दो समूह जल आपूर्ति योजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
धान की अधिक जल खपत को देखते हुए प्रशासन ने जल बचत के लिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा दिया है। किसानों को मक्का, दलहन, तिलहन, गेहूं और रागी जैसी कम जल-आवश्यकता वाली फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए 511 गांवों में शिविर आयोजित किए गए हैं, जहां किसान और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। इन प्रयासों से ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में 32% की कमी आई है।
फसल विविधीकरण के तहत 2988 हेक्टेयर क्षेत्र में वैकल्पिक फसलों की खेती शुरू की गई है, जिससे इस वर्ष लगभग 337.1 करोड़ लीटर सिंचाई जल की बचत होने का अनुमान है। जल संकट को रोकने और भूजल स्तर बनाए रखने के लिए यह प्रशासन की महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।