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जिस शाहाबाद–मगध में हारी बीजेपी, वहां पहुंच रहे मोदी: विधानसभा–लोकसभा दोनों में शिकस्त मिली, अब मोदी के जरिए वापसी की कोशिश – Bihar News


शाहाबाद और मगध…। चुनावी राजनीति के अंक गणित के हिसाब से महागठबंधन के मजबूत गढ़ में PM नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सभा करेंगे। यह वह इलाका है, जहां 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव में NDA को बड़ा झटका लगा था।

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PM मोदी यहां पटना-सासाराम फोरलेन सड़क, नवीन नगर में पावर प्रोजेक्ट का शिलान्यास करेंगे। साथ ही अतिपिछड़ा, महिला और अपने परंपरागत वोट बैंक को साधने का प्रयास करेंगे।

बीते 5 महीने में PM मोदी का यह तीसरा और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला बिहार दौरा है। इससे पहले वह भागलपुर और मधुबनी के झंझारपुर में जनसभा कर चुके हैं। झंझारपुर से उन्होंने पाकिस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया को आतंकवाद पर कड़ी चेतावनी दी थी।

स्पेशल स्टोरी में पढ़िए, PM मोदी सासाराम आकर क्या साधना चाहते हैं? NDA ने शाहाबाद और मगध के इलाके में अपने को मजबूत करने के लिए क्या-क्या किया?

शाहाबाद और मगध की राजनीतिक स्थिति समझिए

2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, शाहाबाद और मगध का इलाका महागठबंधन का गढ़ बना हुआ है। इसके अहम फैक्टरों में माले का महागठबंधन में शामिल होना माना जाता है।

इस इलाके पर नक्सल और नरसंहार की छाप रही है। हाल के दिनों में हिंसक गतिविधियां थमी हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से अभी भी जातीय गोलबंदी होती है। इस इलाके में माले की सक्रियता से महागठबंधन को फायदा मिलता है।

मगध के 7 लोकसभा सीट में RJD के 3 सांसद, बीजेपी के 2, HAM के एक और JDU के एक सांसद हैं। वहीं, शाहाबाद की सभी 4 सीटों आरा, सासाराम, बक्सर और काराकाट पर महागठबंधन की जीत हुई है।

शाहबाद में एनडीए में गुटबाजी हावी

पिछड़ों–अतिपिछड़ों को साधने की कोशिश

पीएम मोदी के दौरे के जरिए बीजेपी शाहाबाद और मगध में जातीय गोलबंदी की कोशिश में है। शाहाबाद और मगध के नक्सल प्रभावित इलाके में जातियों की गोलबंदी अब पहले की तरह हिंसक नहीं रही, लेकिन यह लड़ाई राजनीतिक लड़ाई में बदल गई है और सत्ता संघर्ष की लड़ाई जारी है।

भाजपा की नजर खास तौर से पिछड़ों-अतिपिछड़ा वोट बैंक पर है। बीजेपी ने हर जिले में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया है। कमेटी लोगों को पार्टी से जोड़ने का काम करेगी।

शाहबाद–मगध में 11 सदस्यीय समिति में महिलाओं, पिछड़ों, अतिपिछड़ों और दलितों का कोटा निर्धारित किया गया है। यह 70 फीसदी है। सामान्य के लिए 30 फीसदी छोड़ा गया है।

गुटबाजी को कंट्रोल करने की कवायद

शाहाबाद एरिया में भाजपा के अंदर गुटबाजी हावी है। एक खेमा लोकल स्तर के नेताओं का है तो दूसरा खेमा प्रदेश स्तरीय नेताओं का है।

आरा से चुनाव हारने के बाद भाजपा नेता आरके सिंह तो कई बार सार्वजनिक तौर पर गुटबाजी पर टिप्पणी कर चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव हारने के बाद लगातार इस बात का जिक्र करते रहे हैं।

पीएम के दौरे के जरिए बीजेपी नेता लोकल लेवल पर नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश में है, ताकि गुटबाजी को खत्म किया जा सके।

विधानसभा चुनाव से पहले NDA के नेता एकजुटता दिखा रहे हैं। इसके लिए हर जिले में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

हार से कार्यकर्ताओं का मनोबल डाउन

2024 लोकसभा चुनाव में शाहाबाद एरिया की सभी सीटों को गंवाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल डाउन है। PM मोदी के कार्यक्रम से विधानसभा चुनाव के पहले उनका मनोबल बढ़ेगा।

प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं, ‘NDA पूरी मजबूती के साथ शाहाबाद और मगध की सभी सीटों पर जीतेगा। लोग डबल इंजन की सरकार के प्रभावित हैं। विधानसभा के उपचुनाव में शाहाबाद की दो सीटों तरारी व रामगढ़ और मगध की दोनों सीटें बेलागंज औऱ इमामगंज में हमारी जीत हुई है।’

3 पॉइंट में NDA का शाहाबाद-मगध प्लान

1. कुशवाहा वोटबैंक को साधने का प्रयास

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में NDA की हार का मुख्य कारण कुशवाहा वोटबैंक का बिखरना माना गया। 2020 विधानसभा चुनाव में कुशवाहा के बड़े नेता उपेंद्र कुशवाहा थर्ड फ्रंट से लड़ रहे थे। जबकि, 2024 लोकसभा चुनाव में लालू यादव ने कुशवाहा कार्ड खेला।

दूसरी तरफ NDA प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भोजपुरी स्टार पवन सिंह के चुनाव लड़ने और कथित तौर पर भाजपा के लोकल कार्यकर्ताओं के सपोर्ट से लोगों में कंफ्यूजन पैदा हुआ।

इससे सबक लेते हुए विधानसभा चुनाव से पहले NDA ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा और भीम सिंह कुशवाहा को MLC बनाया है। यह कवायद कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए किया गया है।

कुशवाहा वोटरों को साधने के लिए भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा है। वहीं, जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को MLC बनाया है।

2. चिराग पासवान को मैनेज किया

शाहाबाद इलाके में बीते विधानसभा चुनाव में NDA खासकर JDU को चिराग पासवान ने काफी नुकसान पहुंचाया था। JDU के सभी 11 प्रत्याशी चुनाव हार गए थे। बाद में बसपा से जीते जमा खान जदयू में शामिल हो गए थे।

भाजपा के कद्दावर नेता तक चिराग की पार्टी से मैदान में उतर गए थे। इससे उस वक्त जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच कंफ्यूजन की स्थिति हो गई थी। अबकी बार NDA जमीन पर एकजुटता दिखाने का प्रयास कर रहा है। जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान भी गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगे।

3. संतोष सिंह को मंत्री बनाकर समीकरण साधा

नीतीश सरकार में भाजपा ने शाहाबाद से आने वाले संतोष सिंह को मंत्री बनाया है। इनकी गिनती एरिया के मजबूत नेताओं में होती है। जमीन से लेकर नेताओं तक पर पकड़ रखते हैं।

फरवरी 2024 में नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट के दौरान संतोष सिंह ने अहम भूमिका निभाई। महागठबंधन के 3 विधायकों को अपने पाले में लाया था। उन्होंने दलित नेताओं को साधने का भरपूर प्रयास किया था।

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