जैन मुनि आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज को पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
पद्मश्री से सम्मानित जैन मुनि आचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वर महाराज के लिए जमुई के लछुआड़ में खुशी का माहौल है। पंजाब के लुधियाना में जन्मे 78 वर्षीय आचार्य ने मात्र 7 वर्ष की आयु में आत्म वल्लभ जी महाराज से दीक्षा लेकर समाज सेवा का मार्ग चुना। बताया
.
इस दौरान उन्होंने यहां स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति को देखते हुए विकास कार्यों की शुरुआत की। उनकी पहल पर 2006 में 125 बेड का आधुनिक भगवान महावीर अस्पताल बनाया गया, जो विशेषकर नेत्र चिकित्सा के लिए जाना जाता है। पिछले 18 वर्षों में इस अस्पताल में 40,000 से अधिक सफल नेत्र शल्य चिकित्सा की गई हैं।
श्री आत्म वल्लभ जैन कल्याण ट्रस्ट के माध्यम से आचार्य ने गरीबों के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई हैं। अस्पताल में मात्र 20 रुपये में पंजीकरण और 100 रुपये में रहने की सुविधा प्रदान की जाती है। महिला सशक्तिकरण के लिए सिलाई केंद्र और कौशल विकास संस्थान भी स्थापित किए गए हैं।
वर्षा ऋतु को छोड़कर वे पूरे वर्ष देशभर में भ्रमण करते हैं और जहां भी जाते हैं, विकास कार्यों को प्रोत्साहित करते हैं। उनकी प्रेरणा से सैकड़ों विद्यालय, प्रशिक्षण केंद्र और अस्पताल स्थापित किए गए हैं। ट्रस्ट के
हमेशा जरूरतमंदों की करते मदद
सचिव महेंद्र जी डागा ने बताया कि आचार्य का ध्यान हमेशा जरूरतमंदों की सहायता पर केंद्रित रहा है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जन्मस्थली लछुआड़ में उनके योगदान ने हजारों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
जैन मुनि ने 2006 में 125 बेड का आधुनिक भगवान महावीर अस्पताल बनवाया।
गरीबों के लिए वरदान बना अस्पताल
अस्पताल के मैनेजर अनिल पाठक ने बताया कि यह अस्पताल गरीबों के लिए वरदान साबित हुआ है। यहां न केवल आंखों के रोगियों का इलाज होता है, बल्कि अन्य बीमारियों के लिए भी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।