नई दिल्ली/लंदन/न्यूयॉर्क19 मिनट पहले
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ऑनलाइन डेटिंग ने पार्टनर की तलाश को आसान बनाया, लेकिन डीपफेक तकनीक ने इसे खतरनाक जाल में बदल दिया है। AI आधारित तकनीक विकसित होने के चलते रोमांस स्कैम के केस बेतहाशा रूप से बढ़ रहे हैं। ब्रिटिश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में डीपफेक वीडियो का सहारा लेकर करीब 80 लाख स्कैम होंगे, जो 2023 के 5 लाख की तुलना में 16 गुना अधिक है।
साइबर फर्म मैकएफी की रिपोर्ट बताती है कि दुनियाभर में इस साल होने वाले कुल ऑनलाइन स्कैम में से 20% से अधिक रोमांस से जुड़े होंगे। इनमें आधे से ज्यादा पीड़ित 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के हैं। AI के लगातार उन्नत होने के चलते डीपफेक इतने असल लगने लगे हैं कि इन्हें खास तकनीक की मदद से भी पकड़ना नामुमकिन हो रहा है।
अमेरिका के मिशिगन की 53 साल की बेथ हाइलैंड इसका उदाहरण हैं। बेथ को टिंडर पर मिले रिचर्ड ने डीपफेक स्काइप कॉल्स और फर्जी फोटो के जरिए 22 लाख रुपए ऐंठे। यह ‘पिग-बुचरिंग’ स्कैम का हिस्सा था। इसमें स्कैमर भावनाओं का शोषण कर पीड़ितों को लूटते हैं। FBI के अनुसार, 2023 में अमेरिका में ऐसे स्कैम से 36 हजार करोड़ रु. का नुकसान हुआ। हालांकि, आंकड़ा और ज्यादा हो सकता है। वजह- रोमांस स्कैम के 7% पीड़ित ही शिकायत दर्ज कराते हैं।
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से 60% डीपफेक स्कैम संचालित
डीपफेक स्कैमर्स को पकड़ना एक वैश्विक चुनौती है। दरअसल, वे अक्सर उन देशों से काम करते हैं, जहां साइबर कानून कमजोर हैं। यूएन ऑफिस फॉर ड्रग्स एंड क्राइम की 2025 की रिपोर्ट बताती है कि 60% डीपफेक स्कैम अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के जरिए संचालित होते हैं। इंटरपोल की 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका के गिरोह टेलीग्राम व डार्क वेब पर डीपफेक टूल्स बेचते हैं। ये क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं, जिसे ट्रैक करना असंभव है।
2024 में हर दिन भारतीयों ने 60 करोड़ रुपए गंवाए
भारत में भी स्कैमर एआई को हथियार बना रहे हैं। डीपफेक ऑडियो, वीडियो व वॉयस क्लोनिंग के जरिए कॉल कर लोगों को जाल में फंसाया रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट इस साल की सबसे बड़ी चिंता है।2024 भारत में साइबर ठगी के लिहाज से भयावह साल साबित हुआ।
हर दिन औसतन 60 करोड़ रुपए का भारतीयों को नुकसान हुआ। बीते साल करीब 22 हजार करोड़ रु. स्कैमर ने लोगों से ठगे।साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर के अनुसार, रोजाना छह हजार से अधिक शिकायतें नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज की गईं।
ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में जोखिम उठाने के चलते शिकार हो रहे युवा
- ऑनलाइन पार्टनर की तलाश में युवा किसी भी स्तर का जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं। इसके चलते वे आसानी से शिकार हो रहे हैं।
- ग्लोबल एंटी-स्कैम एलायंस के जोरिज अब्राहम कहते हैं, युवा भावनात्मक और तकनीकी रूप से कम अनुभवी होते हैं, जिसका स्कैमर ज्यादा फायदा उठाते हैं।
- स्कैमर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टेलीग्राम पर उपलब्ध फेस-स्वैपिंग टूल्स का इस्तेमाल कर ऐसे स्कैम ज्यादा करते हैं।
- लैपटॉप और ओपन-सोर्स टूल्स से भी यह तकनीक आम हो चुकी है। अब ऐसी तकनीक भी आ गई है जिसमें वीडियो कॉल पर स्कैमर नकली चेहरा और चेहरे के हाव-भाव को आसानी से दिखा सकते हैं।
- स्कैमर्स सॉफ्टवेयर से लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स से डेटा लेकर उन्हें भावनात्मक रूप से टारगेट करते हैं।
- डीपफेक की पहचान वाले टूल्स जैसे रियलिटी डिफेंडर को भी स्कैमर को चकमा दे रहे हैं। यह एआई बनाम एआई की जंग है।
- डीपफेक तकनीक से बने एआई वीडियो इतने वास्तविक लगते हैं कि कोई भी व्यक्ति आसानी से धोखा खा सकता है।
90% केस में आपातकाल स्थिति का बहाना बनाते हैं
एफबीआई की इंटरनेट क्राइम रिपोर्ट के अनुसार, 90% रोमांस स्कैम में स्कैमर आपातकाल जैसे मेडिकल बिल, कानूनी खर्च, या यात्रा लागत का बहाना बनाते हैं। पैसे की मांग पर तुरंत सतर्क हों। रिवर्स इमेज सर्च व डीपफेक डिटेक्शन टूल्स (जैसे रियलिटी डिफेंडर) का उपयोग करें। वीडियो कॉल में अजीब हरकतें पहचानें (जैसे पलक न झपकना)। धोखाधड़ी होने पर बैंक, डेटिंग ऐप और पुलिस को तुरंत सूचित करें। त्वरित शिकायत से 30% मामलों में नुकसान कम हो सकता है।