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ड्रग्स, हथियार, फिरौती की कमाई से चल रहा लॉरेंस गैंग: थाईलैंड में कंट्रोल रूम, दिल्ली पुलिस के सामने लॉरेंस का कबूलनामा


‘गैंग का खर्च चलाने के लिए मुझे पैसों की जरूरत थी। मैंने जेल से ही रंगदारी मांगनी शुरू की। जो पैसे नहीं देता, उस पर गोलियां चलवा देता था। मैं चाहता था कि चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा में मेरी गैंग की दहशत हो।’

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ये लॉरेंस बिश्नोई का कबूलनामा है, जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की 300 से ज्यादा पेज की रिपोर्ट में दर्ज है। ये रिपोर्ट 2021 में बनी थी। लॉरेंस अभी गुजरात की साबरमती जेल में है, लेकिन उसका सिंडिकेट लगातार बड़े क्राइम कर रहा है।

सलमान खान के घर पर फायरिंग हो या फिर 12 अक्टूबर को मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी का मर्डर, पुलिस को लॉरेंस गैंग पर ही शक है। सवाल है कि आखिर लॉरेंस का नेटवर्क कैसे ऑपरेट हो रहा है, गैंग चलाने के लिए उसके पास पैसा कहां से आता है।

दैनिक भास्कर ने इसी की पड़ताल की। इसके लिए दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट पढ़ी। इसमें लॉरेंस बिश्नोई का पूरा कबूलनामा है। इसमें क्राइम की दुनिया में लॉरेंस की एंट्री, फिरौती-तस्करी से कमाई, जोधपुर कोर्ट में सलमान खान को धमकाने से लेकर थाईलैंड और कनाडा से गैंग ऑपरेट होने का जिक्र है।

क्राइम की दुनिया में लॉरेंस की एंट्री यूनिवर्सिटी इलेक्शन के झगड़े में पहली FIR कबूलनामे में लॉरेंस बिश्नोई ने खुद अपनी कहानी बताई है। इसके आखिर में उसके साइन भी हैं। ये बयान 2021 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अधिकारियों ने लिया था।

पढ़िए लॉरेंस का बयान ‘2007 में मैंने लॉ की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। तब संपत नेहरा कॉलेज में प्रैक्टिस के लिए आता था। वो खालसा कॉलेज में पढ़ता था। यूनिवर्सिटी इलेक्शन के दौरान वीरेंद्र उर्फ काला राणा से दोस्ती हुई।‘

‘2008 में रॉबिन बराड़ ने स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी ग्रुप से प्रेसिडेंट का चुनाव लड़ा था। मैं भी उसके लिए प्रचार करता था। उसी दौरान दूसरे ग्रुप से झगड़ा हो गया। मैंने अपने दोस्त की राइफल से विरोधी कैंडिडेट पर गोली चला दी। मुझ पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज हुआ।‘

‘मैं 1-2 महीने तक बुड़ैल जेल में रहा। जमानत पर बाहर आया। कुछ दिनों बाद विरोधियों पर गोली चला दी। मैं फिर जेल चला गया। उस दौरान यूनिवर्सिटी कैंपस में कई बार मेरे ग्रुप के दूसरे ग्रुप से झगड़े हुए। मेरे ग्रुप के कई लोग जेल भी गए।‘

‘2012 में मेरी पढ़ाई पूरी हो गई। इसके बाद भी हमारे ऑर्गनाइजेशन की कमान मेरे हाथ में ही रही। इसी दौरान मेरे दोस्त इंदरप्रीत ने मुझे रविंद्र उर्फ काली शूटर से मिलवाया। मैंने अपनी सेफ्टी और झगड़ों की वजह से काली शूटर को अपने साथ रख लिया।‘

2013 में पहला मर्डर, गोल्डी बराड़ भी साथ था ‘2013 की बात है। मैंने पंजाब के मुक्तसर में गवर्नमेंट कॉलेज से अपनी पार्टी से प्रेसिडेंट पद का कैंडिडेट उतारा। चुनाव प्रचार में मेरे साथ गोल्डी बराड़ भी था। मैंने, गोल्डी और कुछ दोस्तों के साथ मिलकर विरोधी कैंडिडेट का मर्डर कर दिया।‘

‘2014 की शुरुआत में मेरे दोस्त करमबीर का भाई काउंसलर का चुनाव लड़ रहा था। मैंने और गोल्डी बराड़ ने उसके खिलाफ खड़े कैंडिडेट को गोली मार दी। इसके बाद हम फरार हो गए। इस दौरान गैंग की ताकत बढ़ाने के लिए हमने कॉलेज के दोस्तों की मदद ली। तभी मेरी मुलाकात आनंदपाल से हुई। आनंदपाल राजस्थान का बड़ा गैंगस्टर था।

‘कुछ दिन जयपुर में रहने के बाद मैं सिरसा आ गया। यहां मैंने शराब तस्करों पर गोलियां चलवाईं। इसके बाद शराब तस्करों से पैसा फिक्स किया और उनसे हिस्सा लेने लगा। कुछ तस्करों से दुश्मनी भी हुई। वे मुझे पैसा नहीं देते थे और मुझे मारने की फिराक में रहते।‘

‘2014 के मई या जून की बात है। मैं दोस्तों के साथ सालासर बालाजी दर्शन करने जा रहा था। तभी एक बस ड्राइवर ने हमें ओवरटेक किया। हमने बस रुकवाकर उसे पीट दिया। पुलिस ने हमें पकड़ने के लिए नाकाबंदी कर दी। हम नाकाबंदी तोड़कर भागे, लेकिन सीकर में पकड़ लिए गए। हमारे ऊपर दो केस दर्ज हुए। मुझे जेल भेज दिया। बाद में मुझे रोपड़ जेल शिफ्ट कर दिया गया।‘

जेल में रहकर पहला क्राइम, कैदी को कोर्ट से भगाया ‘2014 में रोपड़ जेल में रहते हुए मेरी दोस्ती राजू उर्फ पहलवान से हुई। मैंने पहलवान को भगाने का प्लान बनाया। इसके लिए जेल के बाहर मौजूद अपने साथी को 30 हजार रुपए भिजवाए। पहलवान कोर्ट में पेशी के लिए गया, तभी मेरे साथी ने उसे भागने में मदद की।’

ये पहली बार था जब मैंने जेल में रहते हुए क्राइम किया था। इसके बाद गवाहों को डराने के लिए उन पर हमले करवाए। कैदियों को जेल से भागने में मदद की। जेल से छूटे अपराधियों को अपनी गैंग में शामिल कर लिया।

गैंग का खर्च चलाने के लिए शुरू की उगाही ‘गैंग का खर्च चलाने के लिए मैंने जेल से ही रंगदारी मांगनी शुरू कर दी। उसी दौरान मेरी बुआ के बेटे का मर्डर कर दिया गया। मैंने बदला लेने के लिए जेल से भागने का प्लान बनाया। जनवरी, 2015 में कोर्ट में पेशी से लौटते वक्त मैं काली शूटर और गैंग के साथियों की मदद से भाग निकला। इसके बाद मैंने अपने भाई की मौत का बदला लिया और धंधे को फैलाना शुरू किया।‘

‘हरियाणा, पंजाब, राजस्थान बॉर्डर और आसपास के इलाकों में शराब तस्करों को टारगेट किया। वे मुझे प्रोटेक्शन मनी देने लगे। गैंग के पास पैसा आने लगा। इन्हीं पैसों से हमने हथियार खरीदे। 2015 में गुड़गांव में रहने वाले रम्मी को मरवाने की तैयारी कर रहा था। तभी पंजाब पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया था।

‘मैं कपूरथला जेल में था। वहां सुक्खा और जग्गू भगवानपुरिया मिले। दोनों मेरी गैंग से जुड़ गए। यहीं राजा पहाड़ी से दोस्ती हुई। उसने ही दिल्ली और पंजाब में नेटवर्क बढ़ाने में मदद की।’

लॉरेंस का कबूलनामा जिसमें उसने शराब तस्करों से प्रोटेक्शन मनी लेने की बात कही है। इसमें संपत नेहरा और जग्गू भगवानपुरिया के साथ काम करने का भी जिक्र है।

‘2016 में मैंने वीरेंद्र उर्फ काला राणा को गैंग में शामिल किया। उसकी मदद से दीपक उर्फ टीनू का भोंडसी जेल में रहने का सही इंतजाम कराया। इसके बाद दीपक के जरिए भोंडसी जेल में बंद संदीप उर्फ काला जठेड़ी से दोस्ती की। फिर हम साथ मिलकर बड़े नेटवर्क के जरिए काम करने लगे।’

‘मई, 2017 में मेरे कहने पर संपत नेहरा ने दीपक को भिवानी के पंचकूला सिविल हॉस्पिटल से पुलिस की हिरासत से छुड़वा लिया। संपत नेहरा और दीपक को कुछ दिन के लिए वीरेंद्र उर्फ काला राणा के ठिकानों पर रुकवाया।’

जोधपुर में हॉस्पिटल मालिक पर फायरिंग 17 मार्च, 2017 की सुबह करीब 6 बजे जोधपुर में श्रीराम हॉस्पिटल के मालिक डॉ. सुनील चांडक और ट्रैवल कंपनी मालिक मनीष जैन के घर फायरिंग की गई थी। लॉरेंस बिश्नोई ने कबूल किया कि ये भी उसी का काम था। उसने बताया…

‘2017 के आखिर में मैंने जोधपुर में गैंग मजबूत करने के लिए सुनील चांडक पर फायरिंग कराई थी। इसके अलावा एक ट्रैवल कंपनी के मालिक पर भी गोली चलवाई। इसके बाद दोनों से 50-50 लाख रुपए वसूले। इस केस में मुझे अरेस्ट कर रिमांड पर जोधपुर लाया गया था। जोधपुर के तीन हीरा कारोबारियों से मैं रंगदारी वसूल चुका था।’

‘अजमेर जेल में ट्रांसफर होने के बाद मैं आनंद पाल गैंग के मेंबर्स से मिला। वहीं आनंदपाल के छोटे भाई विक्की पाल से मुलाकात हुई। विक्की के कहने पर मैंने सीकर में उसके दुश्मन सरदार राव को मरवा दिया। इससे हमारी दोस्ती और गहरी हो गई।’

फेसबुक के जरिए नए लड़कों को गैंग से जोड़ा ‘मैं फेसबुक पर काफी एक्टिव रहता था। इसी वजह से नए-नए लड़के मुझसे जुड़ जाते थे। मैंने फिरौती के लिए जोधपुर के व्यापारी वासुदेव इसरानी को कॉल किया। उसने मुझे गालियां दीं। मैंने उसे मरवा दिया। इससे जोधपुर में मेरी गैंग का खौफ हो गया। इसके बाद मैंने कई कारोबारियों से फिरौती वसूली।‘

सलमान खान को पहली बार जोधपुर कोर्ट में दी धमकी ‘वासुदेव इसरानी मर्डर केस में गिरफ्तार करके मुझे जोधपुर कोर्ट लाया गया था। उसी दिन सलमान खान भी वहीं कोर्ट में था। कोर्ट से बाहर निकलते वक्त मैंने सलमान को जान से मारने की धमकी दी। उसने काले हिरण का शिकार किया था। कोर्ट से उसे सजा नहीं मिल रही थी।’

‘मैंने सिर्फ मीडिया में आने के लिए और मेरी कम्युनिटी में नाम के लिए ये सब किया था। सलमान खान को धमकी देने के केस में भी मेरी गिरफ्तारी हुई थी। मुझे जोधपुर जेल भेज दिया गया।‘

पुलिस एनकाउंटर करने लगी, तब साथियों को थाईलैंड भेजा ‘मेरी गैंग में अंकित भादु नाम का लड़का था। पुलिस ने चंडीगढ़ में उसका एनकाउंटर कर दिया। इससे गैंग में दहशत फैल गई। मैं नहीं चाहता था कि कोई डरकर काम करे। इसलिए संदीप उर्फ काला जठेड़ी से बात की। हमने वीरेंद्र उर्फ काला राणा और राजकुमार को थाईलैंड भेजने का फैसला लिया। दोनों के लिए नकली पासपोर्ट तैयार कराए और थाईलैंड भेज दिया।‘

राजकुमार ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसे लॉरेंस ने थाईलैंड भेजा था। वो वहीं से मर्डर और फिरौती का काम देख रहा था।

‘राजकुमार थाईलैंड जाकर गैंग ऑपरेट करने लगा। गैंग के मेंबर इंटरनेट वॉयस कॉल से कॉन्टैक्ट करते थे। ये भी तय हुआ कि गैंग के मेन लीडर कुछ समय तक आपस में बात नहीं करेंगे। इंडिया में मौजूद सभी लोग एक-दूसरे से नहीं बल्कि थाईलैंड में राजकुमार से ही संपर्क करेंगे। इस तरह नेटवर्क फिर मजबूत बन गया। हम लोग थाईलैंड को कंट्रोल रूम की तरह इस्तेमाल करने लगे।‘

कनाडा-थाईलैंड में बैठे दोस्तों को सौंपी गैंग की जिम्मेदारी ‘मेरी गैंग विदेश से चलती रहे, इसलिए मैंने अपने दोस्तों से बात की। राजकुमार और वीरेंद्र थाईलैंड में थे। कॉलेज में पढ़ने वाले दोस्त गोल्डी बराड़ और करण कनाडा में सेटल थे। सैम लंदन में था।‘

‘इनसे कॉन्टैक्ट करके गैंग के लिए काम करने की बात की। गैंग ऑपरेट करने के लिए पैसे चाहिए थे। इसलिए हवाला के जरिए उन्हें पैसे भिजवाना शुरू किया। विदेश में बैठे दोस्तों के पास इंडिया में रहने वाले सभी गैंग और उनके मेंबर्स के नंबर नोट करा दिए। इस तरह पूरा नेटवर्क विदेश से ऑपरेट होने लगा।‘

‘हमने अक्टूबर, 2020 में बीकानेर के रहने वाले जुगल राठी पर फायरिंग कराई थी। उससे 2 करोड़ रुपए फिरौती वसूली। नवंबर, 2020 में एलडी मित्तल पर फायरिंग करके 5 करोड़ रुपए की फिरौती ली। इस तरह बड़ी-बड़ी फिरौती की मदद से विदेश में हमारा नेटवर्क आसानी से चलता रहा।‘

NIA रिपोर्ट में खुलासा, हवाला के जरिए मनीष भंडारी करता है पैसे ट्रांसफर NIA की रिपोर्ट से लॉरेंस गैंग की फंडिंग की पड़ताल की, तो पता चला कि दिल्ली का मनीष भंडारी हवाला के जरिए पैसे ट्रांसफर करता है। अब वो थाईलैंड शिफ्ट हो गया है। लॉरेंस के इशारे पर गैंगस्टर वीरेंद्र उर्फ काला राणा थाईलैंड चला गया था। वीरेंद्र ने ही मनीष की पहचान लॉरेंस से कराई थी।

इसके बाद मनीष भंडारी भारत में रंगदारी से वसूले पैसे विदेशों में पहुंचाने लगा। NIA का दावा है कि थाईलैंड में मनीष के कई नाइट क्लब हैं। कनाडा में गोल्डी बराड़ का साथी सतबीर सिंह उर्फ सैम हवाला के पैसों को इन्वेस्ट करता है। वो कनाडा में प्रीमियम लीग स्पोर्ट्स में भी पैसे लगाता था। इसके अलावा फिल्म प्रोडक्शन में भी पैसा लगाया। इससे होने वाली कमाई भारत में गैंग को भेजते हैं।

जेल में लॉरेंस कैसे गैंग बनाता है, गैंगस्टर जगदीप ने बताई कहानी दिल्ली पुलिस ने 30 मार्च, 2021 को गैंगस्टर जगदीप उर्फ जग्गू से पूछताछ की थी। उसने बताया कि, ‘मैंने पारिवारिक विवाद में 3 मर्डर किए थे। 2012 में पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। 2015 में पंजाब की कपूरथला जेल भेज दिया गया। यहां लॉरेंस से मुलाकात हुई। हम अच्छे दोस्त बन गए। फिर मैं लॉरेंस गैंग के साथ काम करने लगा।‘

‘मैं ड्रग्स तस्करी और हथियारों की सप्लाई करने लगा। राजस्थान और पंजाब बॉर्डर पर तस्करी करवाता था। सीमा पार से हथियार मंगवाकर लॉरेंस गैंग को देता था। जेल से ही फोन पर बात करके पैसे-हथियार की व्यवस्था कर देता था। मैं थाईलैंड में रहने वाले लॉरेंस गैंग के मेंबर के संपर्क में हूं। उनके कहने पर आगे का काम करता हूं।‘

थाईलैंड से लॉरेंस गैंग का हिसाब-किताब देखता था राजकुमार लॉरेंस गैंग के मेंबर रहे राजकुमार उर्फ राजू बसौदी से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 18 मई, 2021 को पूछताछ की थी।

राजकुमार ने बताया, ‘हरियाणा की भोंडसी जेल में रहते हुए गैंगस्टर दीपक के जरिए लॉरेंस से कॉन्टैक्ट हुआ। मैंने फरारी के वक्त लॉरेंस गैंग के लड़कों को रहने की जगह दी थी। 2018 में लॉरेंस के साथी वीरेंद्र के साथ फर्जी पासपोर्ट पर थाईलैंड चला गया। वहीं से हम लोग गैंग ऑपरेट करते थे।‘

‘मैं गैंग के फाइनेंशियल सोर्स मैनेज करता था। 2019-20 में मैंने संपत नेहरा, संदीप उर्फ काला जठेड़ी के साथ मिलकर दिल्ली में क्राइम सिंडिकेट खड़ा किया। 2020 में थाईलैंड में पकड़ा गया। मुझे डिपोर्ट करके भारत लाया गया। दिल्ली और हरियाणा की जेल में रहा। जेल में रहते हुए भी मेरी नजर गैंग पर थी।‘

रिटायर्ड DCP बोले- दाऊद की राह पर चल रहा लॉरेंस दिल्ली की स्पेशल सेल में DCP रहे रिटायर्ड IPS अधिकारी एलएन राव बताते हैं, ‘लॉरेंस बिल्कुल दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है। उसका नेटवर्क इतना बड़ा हो चुका है कि लोगों के दिमाग में उसका खौफ है। लोग उसके बारे में जानते हैं। इसीलिए लॉरेंस के नाम पर धमकी मिलते ही लोग पैसे दे रहे हैं।‘

‘आप जान लीजिए कि 100 लोगों को अगर धमकी मिलती है, तो सिर्फ 10 लोग ही शिकायत करते हैं। 90 लोग शिकायत नहीं करते। डरकर पैसे दे देते हैं, ताकि बदमाशों से पीछा छूट जाए। यही वजह है कि गैंग के हौसले बढ़ रहे हैं।‘

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